बेंगलुरु: नई दिल्ली में इस साल के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए 'कर्नाटक, पारंपरिक हस्तशिल्प का पालना' विषय पर कर्नाटक की झांकी को चुना गया है। यह लगातार 13वीं बार है जब हमारी झांकी का चयन हुआ है। कर्नाटक उन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल है, जिन्हें इस साल परेड में हिस्सा लेने का मौका मिला है.
झांकी में उन सभी पारंपरिक हस्तशिल्पों को दिखाया जाएगा जिन्होंने भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग अर्जित किया है. झांकी में जीआई टैग वाली 16 ऐसी पारंपरिक कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी.
कर्नाटक झांकी की विशेषता: झांकी में प्रशंसित स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक कमलादेवी चट्टोपाध्याय होंगी, जिन्हें 'भारत में पारंपरिक हस्तशिल्प की जननी' कहा जाता है, कमलादेवी एक कन्नड़ थीं और उन्होंने भारतीय शिल्प परिषद, हस्तशिल्प बोर्ड और अन्य की स्थापना करके भारत में पारंपरिक हस्तशिल्प उद्योग को पुनर्जीवित किया.
राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक निकाय
1. झांकी में एशियाई हाथी का एक मॉडल होगा जिसमें हाथी दांत की नक्काशी के साथ-साथ मैसूर शीशम की जड़ की नक्काशी को दर्शाया जाएगा.
2. फ्लोट में पारंपरिक बीदरीवेयर और कांसे की मूर्तियां भी होंगी.
3. झांकी के मध्य भाग में चन्नापटना के खिलौनों के साथ किन्हल लकड़ी का शिल्प होगा.
4. चंदन की जटिल नक्काशी भी प्रदर्शित की जाएगी.
5. पीछे के छोर पर, झांकी में कमलादेवी की एक मूर्ति होगी जो मोलाकलमुर रेशम की साड़ी में लिपटी होगी और सभी कलाकृतियों को एक बांस की ट्रे में रखेगी.
6. झांकी में प्रसिद्ध इलाकल साड़ियों को भी दिखाया जाएगा प्रसिद्ध कला निर्देशक शशिधर अदपा के नेतृत्व में कुल 150 कलाकारों ने इस अवधारणा पर काम किया है. झांकी का संगीत संगीतकार प्रवीण डी राव ने दिया है.
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