बेंगलुरु : स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ के के सुधाकर ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के निदेशक प्रो गोविंदन रंगराजन के साथ बातचीत कर कोविड -19 महामारी से निपटने में मदद मांगी है.
इस दौरान, रंगराजन ने मंत्री सुधाकर को आईआईएससी में वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे विभिन्न शोधों के बारे में बताया, जिसमें एक अधिक कुशल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को डिजाइन करना और कोविड-19 के लिए वैक्सीन बनना भी शामिल है. इस वैक्सीन को 30 डिग्री सेल्यियस तक के रूम टेंपरेचर पर संग्रहीत किया जा सकता है.
आईआईएससी ने 10 एलपीएम क्षमता का एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर विकसित किया है जिसका बैंगलोर मेडिकल कॉलेज में नैदानिक मान्यता के लिए परीक्षण किया जा रहा है. रंगराजन ने कहा कि इसके परिणाम आशाजनक रहे हैं और उन्होंने दावा किया है कि ऑक्सीजन का उत्पादन लगभग 90 फीसदी है इसलिए यह चीनी कंसंट्रेटर की तुलना में अधिक कुशल है. चीनी कंसंट्रेटर का उत्पादन लगभग 40-50% होता है.
रंगराजन ने नैदानिक मान्यता की प्रक्रिया को तेज करने और इसके आपातकालीन उपयोग के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने में मदद करने के लिए मंत्री के समर्थन की मांग की. वहीं, सुधाकर ने सरकार से सभी आवश्यक समर्थन का आश्वासन दिया और कहा कि वह इस मामले पर राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति और संबंधित केंद्रीय मंत्रियों के साथ चर्चा करेंगे.
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रंगराजन ने मंत्री सुधाकर को कोविड -19 से लड़ने बनाई जा रही वैक्सीन के प्रयासों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि भारतीय विज्ञान संस्थान जो वैक्सीन विकसित कर रहा है उसके परिणाम मौजूदा टीकों की तुलना में बेहतर है. इसका वायरस को बेअसर करने का प्रभाव दिखाता है. यह वैक्सीन जिसकी मानव परीक्षण प्रक्रिया शुरू होने वाली है, महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक बड़ी सफलता हो सकती है क्योंकि टीके को 30 ℃ तक के रूम टेंपरेचर में संग्रहीत किया जा सकता है. सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह एक बहुत बड़ा लाभ है. इससे सरकार बहुत तेज और आसान तरीके से टीकों को वितरित कर सकती है.
स्वास्थ्य मंत्री ने एक ऑडिट तंत्र विकसित करने और ऑक्सीजन के सर्वोत्तम उपयोग के तरीके खोजने और रिफिलिंग / बॉटलिंग इकाइयों और अस्पतालों में अपव्यय को कम करने के लिए आईआईएससी की मदद मांगी. रंगराजन ने मंत्री को कोरोना महामारी के निपटने सभी तकनीकी और इंजीनियरिंग समर्थन देने का आश्वासन दिया है.