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Karnataka Politics: येदियुरप्पा के उत्तराधिकारी के लिए कहीं इस फार्मूले पर तो नहीं चल रही BJP ?

कर्नाटक की राजनीति (Karnataka Politics) में इन दिनों उथल पुथल का माहौल है. मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के इस्तीफे के कयास लगाए जा रहे हैं. इस बीच, विभिन्न मठों के 30 से अधिक संतों ने सीएम बीएस येदियुरप्पा को समर्थन दिया है तो वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने सारी चर्चा को कोरी अफवाह बताया है.

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Published : Jul 21, 2021, 7:37 PM IST

Updated : Jul 25, 2021, 12:09 PM IST

Karnataka politics yediturappa, Karnataka Politics
सीएम बीएस येदियुरप्पा

बेंगलुरु: कर्नाटक की पॉलिटिक्स (Karnataka Politics) नित नए मोड़ ले रही है. अब भाजपा (BJP) में दो चर्चा तेज है पहली कि क्या सीएम बीएस येदियुरप्पा (CM BS Yediyurappa) की विदाई हो सकती है. वहीं पार्टी के भीतर इस बात के भी कयास लगाये जा रहे हैं कि उनका संभावित उत्तराधिकारी कौन हो सकता है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस पर पार्टी अपने अन्य में अपनाए गए खास फार्मूले जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने पर जोर दे रही है.

दरसअल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में 26 जुलाई को अपने मौजूदा कार्यकाल के दो साल पूरा करने जा रहे येदियुरप्पा इन सूचनाआं को खारिज कर चुके हैं कि केंद्रीय नेतृत्व उनकी जगह किसी और लाने के बारे में विचार कर रहा है. लेकिन वो कहते हैं ​न कि बिना आग के धुओं नहीं उठता. ऐसा ही कुछ कर्नाटक में हो रहा है और लिंगायत समुदाय के ताकतवर नेता 78 वर्षीय येदियुरप्पा के संभावित उत्तराधिकारी को लेकर कई नामों पर कयास लगाये जा रहे हैं. भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस पद की आकांक्षा रखने वाले लोगों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन भाजपा के सामने चुनौती येदियुरप्पा के स्थान पर ऐसे व्यक्ति को लाने की है जो उनके विशाल कद के अनुरूप हो.

निर्विवाद जन नेता की तलाश

ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा पार्टी नेतृत्व में पीढ़ीगत बदलाव और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण चाहती है, लेकिन बदलाव के रूप में राज्य में ऐसा नेता तलाशना कभी आसान काम नहीं रहा है जो निर्विवाद जन नेता हो. बीजेपी को नेतृत्व परिवर्तन के साथ संतुलन भी बनाना होगा, क्योंकि पार्टी को इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इस कदम से उसके मूल मतदाता विशेषकर येदियुरप्पा के खास प्रभाव वाले वीरशैव-लिंगायत समुदाय नाराज न हो जाएं.

एक अनुमान के मुताबिक राज्य की आबादी में वीरशैवा-लिंगायत समुदाय की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है और माना जाता है कि यह समुदाय राज्य में भाजपा का मूल मतदाता आधार है. इस समुदाय का एक बड़ा वर्ग येदियुरप्पा को बदलने के पक्ष में नहीं है. ऐसी भी सूचना है कि भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए कोई बिल्कुल ही नया नाम घोषित कर सकती है, जैसा कि उसने कुछ राज्यों में यह प्रयोग किया है.

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संतों से बातचीत करते सीएम येदियुरप्पा

पढ़ें:CM येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को बुलाई विधायक दल की बैठक

ये नाम रेस में चल रहे आगे

  • केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजन सचिव बीएल संतोष का नाम प्रमुख है. जोशी और संतोष ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जबकि रवि चिक्कामंगलुरू से विधायक हैं और राज्य के दूसरे प्रभावशाली समुदाय वोक्कालिगा से आते हैं. यह समुदाय अधिकतर दक्षिण कर्नाटक में केंद्रित है, जहां पर पार्टी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.
  • एक अन्य ब्राह्मण नाम व राज्य विधानसभा के मौजूदा स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागरी भी चर्चा में हैं. राज्य में वर्ष 1988 में रामकृष्ण हेगड़े के बाद से कोई भी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं बना है.

वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा ने दिए ये संकेत

येदियुरप्पा की सार्वजनिक आलोचना करने वाले और उनको हटाने की मांग कर चुके वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने संकेत दिया है कि मुख्यमंत्री पद के लिए 'आश्चर्य में डालने वाले किसी नाम' को चुना जा सकता है. हाल में उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री हिंदुत्व की विचारधारा वाले ईमानदार व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के लिए चुनेंगे, जो अगले चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करेगा.

विधायक अरविंद बेल्लाद ने लगाया है येदियुरप्पा पर आरोप

अगर पार्टी येदियुरप्पा के स्थान पर किसी अन्य वीरशैव-लिंगायत समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाती है तो संभावित नामों के तौर पर खनन मंत्री मुरुगेश निरानी और विधायक अरविंद बेल्लाद का नाम सामने आ रहे हैं. पेशे से व्यवसायी निरानी के हाल में कई बार दिल्ली के दौरों के कारण लोगों की निगाहें उनकी ओर गई हैं. बेल्लाद हुबली-धारवाड़ पश्चिमी सीट से विधायक हैं जिन्हें उन असंतुष्ट विधायकों में माना जाता है जो येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते हैं. बेल्लाद ने हाल में आरोप लगाया था कि उनका फोन टैप किया जा रहा है और सरकार उन्हें किसी मामले में फंसा सकती है. यतनाल का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में आ रहा है. वह वीरशैव-लिंगायत समुदाय से आते हैं.

पढ़ें:नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच येदियुरप्पा ने विधायकों को रात्रिभोज पर बुलाया

सरकार द्वारा उनको फंसाये जाने की उनके द्वारा व्यक्त की गई आशंका के कारण पार्टी और सरकार को असहज होना पड़ा है और यह बयान उनके खिलाफ जा सकता है. यतनाल ने हाल में स्पष्ट किया था कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं. मौजूदा सरकार में गृहमंत्री बसावाराज एस बोम्मई (लिंगायत), राजस्व मंत्री आर अशोक और उप मुख्यमंत्री सीएन अश्वत्थ नारायण (वोक्कालिगा) के नामों की चर्चा भी मुख्यमंत्री पद को लेकर है.

उत्तरी कर्नाटक से लिंगायत नेता एवं मौजूदा सरकार में उद्योग मंत्री जगदीश शेट्टार को भी इस दौड़ में बताया जा रहा है. शेट्टार पहले भी राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.

नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं: सदानंद गौड़ा

पूर्व केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्रीय नेतृत्व राज्य में विकास गतिविधियों और कोविड​​-19 से निपटने के प्रयासों से संतुष्ट है. राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच बेंगलुरु उत्तर से भाजपा सांसद गौड़ा ने यहां पत्रकारों से कहा कि मुझे नहीं लगता कि नेतृत्व परिवर्तन के बारे में चल रही चर्चा में कोई सच्चाई है, क्योंकि ये ऐसे निर्णय हैं जो हमारे केंद्रीय स्तर के नेताओं द्वारा राज्यों में राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं.

नहीं हुआ है कोई निर्णय

उन्होंने कहा कि उनके पास जानकारी है कि मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तृत तौर पर अवगत कराए जाने के बाद अब तक ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ है. गौड़ा ने कहा कि कोविड​​-19 महामारी के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए कदम और विकास गतिविधियों में कर्नाटक की प्रगति की सराहना की गई है और उन्हें हटाने का कोई कारण नहीं है. ये सभी अटकलें हैं.

पढ़ें:इस्तीफे के सवाल पर बोले येदियुरप्पा, हर्गिज नहीं, हर्गिज नहीं

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन और एक नई टीम के गठन की ओर इशारा करने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील के कथित ऑडियो के बारे में पूछे जाने पर गौड़ा ने कहा कि उन्होंने खुद ही इसे फर्जी बताकर इसे खारिज कर दिया है.

कर्नाटक में विभिन्न मठों के संतों ने येदियुरप्पा को दिया समर्थन

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच विभिन्न मठों के संतों ने मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के प्रति अपना समर्थन जताया और उनसे मिलने लगातार दूसरे दिन उनके आधिकारिक आवास पर पहुंचे. राज्य के एक प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के सिद्धगंगा मठ के सिद्धलिंग स्वामीजी के नेतृत्व में लगभग 40 संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने येदियुरप्पा से मुलाकात की और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व से येदियुरप्पा को अपना कार्यकाल पूरा करने देने का अनुरोध किया.

उनमें से कुछ ने भाजपा को येदियुरप्पा के स्थान पर किसी और को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर बुरे परिणाम भुगतने की कथित तौर पर चेतावनी दी है. सिद्धलिंग स्वामीजी ने कहा कि ऐसा (नेतृत्व परिवर्तन वार्ता) क्यों हो रहा है, जब मुख्यमंत्री संकट के समय कुशलता से काम कर रहे हैं ? सभी स्वामीजी की इच्छा है कि वह पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री रहें.

बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा है, वह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके प्रति विशेष ध्यान दिया है, और केवल वही ऐसे शख्स थे जिन्हें 75 वर्ष की आयु पूरी करने के बावजूद शीर्ष पद पर बने रहने दिया गया था.

पढ़ें: कर्नाटक के कलबुर्गी में पांच साल का बालक बना मठ का उत्तराधिकारी

स्वामी ने कहा कि येदियुरप्पा ने कहा है कि वह अंतिम सांस तक पार्टी की सेवा करते रहेंगे, लेकिन इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ नहीं कहा. गौरतलब है कि मंगलवार को बालेहोसुर मठ के डिंगलेश्वर स्वामी के नेतृत्व में राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए 24 से अधिक संत येदियुरप्पा से मिले थे.

300-400 संतों के बेंगलुरु में इकट्ठा होने की उम्मीद

सूत्रों ने बताया कि भविष्य की कार्रवाई के बारे में चर्चा करने के लिए कुछ दिनों में 300-400 संतों के बेंगलुरु में इकट्ठा होने की उम्मीद है. सिद्धलिंग स्वामी ने कहा कि यह संकट का समय है क्योंकि बारिश शुरू हो गई है, कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका है और यदि इस समय कोई बदलाव होता है तो एक स्थिर प्रशासन प्रदान करना और लोगों की सेवा करना संभव नहीं होगा. उन्होंने अन्य संतों की ओर से कहा कि यह सब ध्यान में रखते हुए, उन्हें (येदियुरप्पा) को यह कार्यकाल पूरा होने तक मुख्यमंत्री बनाये रखना चाहिए और यह सभी संतों की इच्छा है.

हम नहीं हैं पक्षपाती

संतों के राजनीति में शामिल होने की आलोचना को खारिज करते हुए सिद्धलिंग स्वामीजी ने कहा कि धर्मगुरुओं ने सभी मुख्यमंत्रियों का समर्थन किया है, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों. उन्होंने कहा कि हम पक्षपाती नहीं हैं, लेकिन येदियुरप्पा की खास बात यह है कि हम चाहते हैं कि वह अपना कार्यकाल पूरा करें.

धारवाड़ में मुरुघा मठ के मल्लिकार्जुन स्वामीजी ने चेतावनी दी कि अगर येदियुरप्पा को हटा दिया जाता है तो भाजपा को कर्नाटक में एक बड़ा झटका लगेगा क्योंकि वह राज्य में पार्टी की नींव हैं और अनुभवी नेता को कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. कोलाडा मठ के संत डॉ शांतावीरा स्वामीजी ने कहा कि येदियुरप्पा को बदला नहीं जाना चाहिए और यदि ऐसा होता है तो वीरशैव-लिंगायत को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए.

बेंगलुरु: कर्नाटक की पॉलिटिक्स (Karnataka Politics) नित नए मोड़ ले रही है. अब भाजपा (BJP) में दो चर्चा तेज है पहली कि क्या सीएम बीएस येदियुरप्पा (CM BS Yediyurappa) की विदाई हो सकती है. वहीं पार्टी के भीतर इस बात के भी कयास लगाये जा रहे हैं कि उनका संभावित उत्तराधिकारी कौन हो सकता है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस पर पार्टी अपने अन्य में अपनाए गए खास फार्मूले जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने पर जोर दे रही है.

दरसअल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में 26 जुलाई को अपने मौजूदा कार्यकाल के दो साल पूरा करने जा रहे येदियुरप्पा इन सूचनाआं को खारिज कर चुके हैं कि केंद्रीय नेतृत्व उनकी जगह किसी और लाने के बारे में विचार कर रहा है. लेकिन वो कहते हैं ​न कि बिना आग के धुओं नहीं उठता. ऐसा ही कुछ कर्नाटक में हो रहा है और लिंगायत समुदाय के ताकतवर नेता 78 वर्षीय येदियुरप्पा के संभावित उत्तराधिकारी को लेकर कई नामों पर कयास लगाये जा रहे हैं. भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस पद की आकांक्षा रखने वाले लोगों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन भाजपा के सामने चुनौती येदियुरप्पा के स्थान पर ऐसे व्यक्ति को लाने की है जो उनके विशाल कद के अनुरूप हो.

निर्विवाद जन नेता की तलाश

ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा पार्टी नेतृत्व में पीढ़ीगत बदलाव और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण चाहती है, लेकिन बदलाव के रूप में राज्य में ऐसा नेता तलाशना कभी आसान काम नहीं रहा है जो निर्विवाद जन नेता हो. बीजेपी को नेतृत्व परिवर्तन के साथ संतुलन भी बनाना होगा, क्योंकि पार्टी को इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इस कदम से उसके मूल मतदाता विशेषकर येदियुरप्पा के खास प्रभाव वाले वीरशैव-लिंगायत समुदाय नाराज न हो जाएं.

एक अनुमान के मुताबिक राज्य की आबादी में वीरशैवा-लिंगायत समुदाय की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है और माना जाता है कि यह समुदाय राज्य में भाजपा का मूल मतदाता आधार है. इस समुदाय का एक बड़ा वर्ग येदियुरप्पा को बदलने के पक्ष में नहीं है. ऐसी भी सूचना है कि भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए कोई बिल्कुल ही नया नाम घोषित कर सकती है, जैसा कि उसने कुछ राज्यों में यह प्रयोग किया है.

etv bharat
संतों से बातचीत करते सीएम येदियुरप्पा

पढ़ें:CM येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को बुलाई विधायक दल की बैठक

ये नाम रेस में चल रहे आगे

  • केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजन सचिव बीएल संतोष का नाम प्रमुख है. जोशी और संतोष ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जबकि रवि चिक्कामंगलुरू से विधायक हैं और राज्य के दूसरे प्रभावशाली समुदाय वोक्कालिगा से आते हैं. यह समुदाय अधिकतर दक्षिण कर्नाटक में केंद्रित है, जहां पर पार्टी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.
  • एक अन्य ब्राह्मण नाम व राज्य विधानसभा के मौजूदा स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागरी भी चर्चा में हैं. राज्य में वर्ष 1988 में रामकृष्ण हेगड़े के बाद से कोई भी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं बना है.

वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा ने दिए ये संकेत

येदियुरप्पा की सार्वजनिक आलोचना करने वाले और उनको हटाने की मांग कर चुके वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने संकेत दिया है कि मुख्यमंत्री पद के लिए 'आश्चर्य में डालने वाले किसी नाम' को चुना जा सकता है. हाल में उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री हिंदुत्व की विचारधारा वाले ईमानदार व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के लिए चुनेंगे, जो अगले चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करेगा.

विधायक अरविंद बेल्लाद ने लगाया है येदियुरप्पा पर आरोप

अगर पार्टी येदियुरप्पा के स्थान पर किसी अन्य वीरशैव-लिंगायत समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाती है तो संभावित नामों के तौर पर खनन मंत्री मुरुगेश निरानी और विधायक अरविंद बेल्लाद का नाम सामने आ रहे हैं. पेशे से व्यवसायी निरानी के हाल में कई बार दिल्ली के दौरों के कारण लोगों की निगाहें उनकी ओर गई हैं. बेल्लाद हुबली-धारवाड़ पश्चिमी सीट से विधायक हैं जिन्हें उन असंतुष्ट विधायकों में माना जाता है जो येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते हैं. बेल्लाद ने हाल में आरोप लगाया था कि उनका फोन टैप किया जा रहा है और सरकार उन्हें किसी मामले में फंसा सकती है. यतनाल का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में आ रहा है. वह वीरशैव-लिंगायत समुदाय से आते हैं.

पढ़ें:नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच येदियुरप्पा ने विधायकों को रात्रिभोज पर बुलाया

सरकार द्वारा उनको फंसाये जाने की उनके द्वारा व्यक्त की गई आशंका के कारण पार्टी और सरकार को असहज होना पड़ा है और यह बयान उनके खिलाफ जा सकता है. यतनाल ने हाल में स्पष्ट किया था कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं. मौजूदा सरकार में गृहमंत्री बसावाराज एस बोम्मई (लिंगायत), राजस्व मंत्री आर अशोक और उप मुख्यमंत्री सीएन अश्वत्थ नारायण (वोक्कालिगा) के नामों की चर्चा भी मुख्यमंत्री पद को लेकर है.

उत्तरी कर्नाटक से लिंगायत नेता एवं मौजूदा सरकार में उद्योग मंत्री जगदीश शेट्टार को भी इस दौड़ में बताया जा रहा है. शेट्टार पहले भी राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.

नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं: सदानंद गौड़ा

पूर्व केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्रीय नेतृत्व राज्य में विकास गतिविधियों और कोविड​​-19 से निपटने के प्रयासों से संतुष्ट है. राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच बेंगलुरु उत्तर से भाजपा सांसद गौड़ा ने यहां पत्रकारों से कहा कि मुझे नहीं लगता कि नेतृत्व परिवर्तन के बारे में चल रही चर्चा में कोई सच्चाई है, क्योंकि ये ऐसे निर्णय हैं जो हमारे केंद्रीय स्तर के नेताओं द्वारा राज्यों में राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं.

नहीं हुआ है कोई निर्णय

उन्होंने कहा कि उनके पास जानकारी है कि मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तृत तौर पर अवगत कराए जाने के बाद अब तक ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ है. गौड़ा ने कहा कि कोविड​​-19 महामारी के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए कदम और विकास गतिविधियों में कर्नाटक की प्रगति की सराहना की गई है और उन्हें हटाने का कोई कारण नहीं है. ये सभी अटकलें हैं.

पढ़ें:इस्तीफे के सवाल पर बोले येदियुरप्पा, हर्गिज नहीं, हर्गिज नहीं

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन और एक नई टीम के गठन की ओर इशारा करने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील के कथित ऑडियो के बारे में पूछे जाने पर गौड़ा ने कहा कि उन्होंने खुद ही इसे फर्जी बताकर इसे खारिज कर दिया है.

कर्नाटक में विभिन्न मठों के संतों ने येदियुरप्पा को दिया समर्थन

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच विभिन्न मठों के संतों ने मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के प्रति अपना समर्थन जताया और उनसे मिलने लगातार दूसरे दिन उनके आधिकारिक आवास पर पहुंचे. राज्य के एक प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के सिद्धगंगा मठ के सिद्धलिंग स्वामीजी के नेतृत्व में लगभग 40 संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने येदियुरप्पा से मुलाकात की और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व से येदियुरप्पा को अपना कार्यकाल पूरा करने देने का अनुरोध किया.

उनमें से कुछ ने भाजपा को येदियुरप्पा के स्थान पर किसी और को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर बुरे परिणाम भुगतने की कथित तौर पर चेतावनी दी है. सिद्धलिंग स्वामीजी ने कहा कि ऐसा (नेतृत्व परिवर्तन वार्ता) क्यों हो रहा है, जब मुख्यमंत्री संकट के समय कुशलता से काम कर रहे हैं ? सभी स्वामीजी की इच्छा है कि वह पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री रहें.

बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा है, वह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके प्रति विशेष ध्यान दिया है, और केवल वही ऐसे शख्स थे जिन्हें 75 वर्ष की आयु पूरी करने के बावजूद शीर्ष पद पर बने रहने दिया गया था.

पढ़ें: कर्नाटक के कलबुर्गी में पांच साल का बालक बना मठ का उत्तराधिकारी

स्वामी ने कहा कि येदियुरप्पा ने कहा है कि वह अंतिम सांस तक पार्टी की सेवा करते रहेंगे, लेकिन इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ नहीं कहा. गौरतलब है कि मंगलवार को बालेहोसुर मठ के डिंगलेश्वर स्वामी के नेतृत्व में राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए 24 से अधिक संत येदियुरप्पा से मिले थे.

300-400 संतों के बेंगलुरु में इकट्ठा होने की उम्मीद

सूत्रों ने बताया कि भविष्य की कार्रवाई के बारे में चर्चा करने के लिए कुछ दिनों में 300-400 संतों के बेंगलुरु में इकट्ठा होने की उम्मीद है. सिद्धलिंग स्वामी ने कहा कि यह संकट का समय है क्योंकि बारिश शुरू हो गई है, कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका है और यदि इस समय कोई बदलाव होता है तो एक स्थिर प्रशासन प्रदान करना और लोगों की सेवा करना संभव नहीं होगा. उन्होंने अन्य संतों की ओर से कहा कि यह सब ध्यान में रखते हुए, उन्हें (येदियुरप्पा) को यह कार्यकाल पूरा होने तक मुख्यमंत्री बनाये रखना चाहिए और यह सभी संतों की इच्छा है.

हम नहीं हैं पक्षपाती

संतों के राजनीति में शामिल होने की आलोचना को खारिज करते हुए सिद्धलिंग स्वामीजी ने कहा कि धर्मगुरुओं ने सभी मुख्यमंत्रियों का समर्थन किया है, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों. उन्होंने कहा कि हम पक्षपाती नहीं हैं, लेकिन येदियुरप्पा की खास बात यह है कि हम चाहते हैं कि वह अपना कार्यकाल पूरा करें.

धारवाड़ में मुरुघा मठ के मल्लिकार्जुन स्वामीजी ने चेतावनी दी कि अगर येदियुरप्पा को हटा दिया जाता है तो भाजपा को कर्नाटक में एक बड़ा झटका लगेगा क्योंकि वह राज्य में पार्टी की नींव हैं और अनुभवी नेता को कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. कोलाडा मठ के संत डॉ शांतावीरा स्वामीजी ने कहा कि येदियुरप्पा को बदला नहीं जाना चाहिए और यदि ऐसा होता है तो वीरशैव-लिंगायत को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए.

Last Updated : Jul 25, 2021, 12:09 PM IST
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