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कर्नाटक में एप के जरिए स्कैन किए जा रहे फिंगरप्रिंट, 1024 पुलिस स्टेशन में हो रहा इस्तेमाल

फिंगरप्रिंट ऐसा जरिया है जिससे अपराधी बच नहीं सकते. इसी को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक में एक एप के जरिए डाटा जमा किया जा रहा है. मोबाइल क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम एप (Mobile Crime and Criminal Tracking Network System App) को कर्नाटक के 1024 पुलिस स्टेशन में इस्तेमाल किया जा रहा है.

Karnataka Police Headquarters
कर्नाटक पुलिस मुख्यालय
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Published : Mar 11, 2022, 4:50 PM IST

बेंगलुरु : फिंगरप्रिंट सबूत ने हाल के वर्षों में आपराधिक मामलों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिंगर प्रिंटिंग मुख्य रूप से हत्या, चोरी और जबरन वसूली सहित अपराध के मामलों का पता लगाने में बहुत उपयोगी है. जैसे-जैसे दिन पर दिन अपराध बढ़ते जा रहे हैं, फिंगरप्रिंट डिटेक्शन अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. पहले फिंगरप्रिंट की पहचान न होने से अपराधी बच निकलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. समय के साथ पुलिस हाईटेक हो गई है. मोबाइल क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम एप (एमसीसीटीएन) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. कर्नाटक में 1024 पुलिस स्टेशन में ये एप इस्तेमाल किया जा रहा है.

एफएसएल और अन्य फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ इस एप में स्टोर की गई इमेज का मिलान आसान से आरोपी की उंगलियों से कर सकते थे. ऐसे में रिपोर्ट मिलने में देरी का सवाल ही नहीं. आईटी विभाग ने राज्य के सभी पुलिस निरीक्षकों को एमसीसीटीएन स्थापित करने का निर्देश दिया है.

सबसे ज्यादा डेटाबेस पंजाब के पास
एमसीसीटीएन एप डाउनलोड करना जांच करने वालों के लिए फायदेमंद है. एप के जरिए गंभीर मामलों में शामिल अन्य आरोपियों से फिंगर प्रिंट का मिलान किया जा सकेगा. इस एप के जरिए ये पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की आपराधिक पृष्ठभूमि है या नहीं. फिंगरप्रिंट ब्यूरो में फिलहाल 28,691 अपराधियों के 10 उंगलियों के निशान हैं. अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक फिंगरप्रिंट डेटा बेस स्टोरेज श्रेणी में 15वें स्थान पर है. पंजाब अपराध डेटाबेस में 3.8 लाख 10 उंगलियों के निशान के साथ सूची में सबसे ऊपर है. बड़ी बात ये भी है कि

पुलिस विभाग में ई-हस्ताक्षर प्रणाली
ई-हस्ताक्षर प्रणाली के माध्यम से ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज की जा रही है. कोविड के दौरान राज्य भर के 1,054 पुलिस स्टेशनों में दर्ज की गई 80 प्रतिशत प्राथमिकी अदालतों में ऑनलाइन जमा की गई हैं. राज्य पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2022 तक 2,09,945 प्राथमिकी दर्ज की गईं. इनमें से 1,66,930 प्राथमिकी ई-हस्ताक्षर कोड का उपयोग करके दर्ज की गई हैं.

हालांकि तकनीकी दिक्कतों के चलते ऑफलाइन एफआईआर की तुलना में इनकी संख्या कम है. मार्च 2021 से फरवरी 2022 के बीच पुलिस ने पूरे राज्य में 1,40,569 चार्जशीट दाखिल कीं. अदालत में ई-हस्ताक्षर से 68,079 आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुल 48 प्रतिशत चार्जशीट ई-हस्ताक्षर के माध्यम से जमा की गईं.

पढ़ें- जानें देश में कब और कैसे शुरू हुई फिंगरप्रिंट के जरिए अपराध की तहकीकात

बेंगलुरु : फिंगरप्रिंट सबूत ने हाल के वर्षों में आपराधिक मामलों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिंगर प्रिंटिंग मुख्य रूप से हत्या, चोरी और जबरन वसूली सहित अपराध के मामलों का पता लगाने में बहुत उपयोगी है. जैसे-जैसे दिन पर दिन अपराध बढ़ते जा रहे हैं, फिंगरप्रिंट डिटेक्शन अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. पहले फिंगरप्रिंट की पहचान न होने से अपराधी बच निकलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. समय के साथ पुलिस हाईटेक हो गई है. मोबाइल क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम एप (एमसीसीटीएन) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. कर्नाटक में 1024 पुलिस स्टेशन में ये एप इस्तेमाल किया जा रहा है.

एफएसएल और अन्य फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ इस एप में स्टोर की गई इमेज का मिलान आसान से आरोपी की उंगलियों से कर सकते थे. ऐसे में रिपोर्ट मिलने में देरी का सवाल ही नहीं. आईटी विभाग ने राज्य के सभी पुलिस निरीक्षकों को एमसीसीटीएन स्थापित करने का निर्देश दिया है.

सबसे ज्यादा डेटाबेस पंजाब के पास
एमसीसीटीएन एप डाउनलोड करना जांच करने वालों के लिए फायदेमंद है. एप के जरिए गंभीर मामलों में शामिल अन्य आरोपियों से फिंगर प्रिंट का मिलान किया जा सकेगा. इस एप के जरिए ये पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की आपराधिक पृष्ठभूमि है या नहीं. फिंगरप्रिंट ब्यूरो में फिलहाल 28,691 अपराधियों के 10 उंगलियों के निशान हैं. अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक फिंगरप्रिंट डेटा बेस स्टोरेज श्रेणी में 15वें स्थान पर है. पंजाब अपराध डेटाबेस में 3.8 लाख 10 उंगलियों के निशान के साथ सूची में सबसे ऊपर है. बड़ी बात ये भी है कि

पुलिस विभाग में ई-हस्ताक्षर प्रणाली
ई-हस्ताक्षर प्रणाली के माध्यम से ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज की जा रही है. कोविड के दौरान राज्य भर के 1,054 पुलिस स्टेशनों में दर्ज की गई 80 प्रतिशत प्राथमिकी अदालतों में ऑनलाइन जमा की गई हैं. राज्य पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2022 तक 2,09,945 प्राथमिकी दर्ज की गईं. इनमें से 1,66,930 प्राथमिकी ई-हस्ताक्षर कोड का उपयोग करके दर्ज की गई हैं.

हालांकि तकनीकी दिक्कतों के चलते ऑफलाइन एफआईआर की तुलना में इनकी संख्या कम है. मार्च 2021 से फरवरी 2022 के बीच पुलिस ने पूरे राज्य में 1,40,569 चार्जशीट दाखिल कीं. अदालत में ई-हस्ताक्षर से 68,079 आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुल 48 प्रतिशत चार्जशीट ई-हस्ताक्षर के माध्यम से जमा की गईं.

पढ़ें- जानें देश में कब और कैसे शुरू हुई फिंगरप्रिंट के जरिए अपराध की तहकीकात

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