मैसूर: दक्षिण पश्चिम रेलवे, मैसूरु डिवीजन ने रविवार को मैसूरु शहर रेलवे स्टेशन पर भारतीय रेलवे की ओर से शुरू किये गये नये सफाई प्रोटोकॉल को अपनाया. '14-मिनट मिरेकल' के नाम से जानी जाने वाली इस प्रोटोकॉल को चेन्नई-मैसूर-चेन्नई वंदे भारत ट्रेन के लिए लागू किया गया है. नये प्रोटोकॉल को विभिन्न टर्मिनलों पर वंदे भारत एक्सप्रेस के आगमन पर उसके 16 कोचों की सफाई प्रक्रिया शुरू करने के लिए डिजाइन किया गया है. इस प्रोटोकॉल के पालन करने से पूरी ट्रेन की सफाई 14 मिनट में हो जाती है. जो पहले के मुकाबले काफी कम है.
क्या है नया सफाई प्रोटोकॉल : इस प्रोटोकॉल के तहत 16 डब्बों वाली तीन ट्रेनों की सफाई के लिए कुल तीन पर्यवेक्षकों नियुक्त किये जायेंगे. इनकी देखरेख में कुल 48 सफाई कर्मचारी एक ट्रेन की सफाई करेंगे. नये प्रोटोकॉल के तहत 16 कोचों में से प्रत्येक के लिए तीन सफाई कर्मचारियों का एक दल बनाया गया है. इस दल में एक व्यक्ति कचरा इकट्ठा करता है, दूसरा व्यक्ति मेजों और सीटों पर लगी धूल को साफ करने के बाद डिब्बे में पोंछा लगाता है और तीसरा व्यक्ति बाहरी खिड़की को साफ करता है. अधिकारियों ने कहा कि अंत में, तीसरे स्टाफ सदस्य की जिम्मेदारी होगी कि वह कूड़ेदानों और शौचालयों, मिरर्स और दरवाजे के क्षेत्रों को साफ करे.
अधिक कुशलता हासिल करना लक्ष्य : इस अवसर पर बोलते हुए, मैसूरु डिवीजन रेलवे प्रबंधक शिल्पी अग्रवाल ने कहा कि नई पहल का उद्देश्य वंदे भारत ट्रेनों में सफाई प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और पुन: व्यवस्थित करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अधिक कुशल हों और एक सटीक समय सीमा के भीतर वापसी यात्राओं के लिए तैयार हों.
कहां से मिली प्रेरणा : उन्होंने कहा कि पहले वंदे भारत ट्रेन को साफ करने में लगभग 30-45 मिनट लगते थे. डीआरएम ने कहा कि एक नई सफाई प्रोटोकॉल की शुरूआत और कर्मचारियों के निर्बाध रूप से काम करने से ट्रेन की सफाई केवल 14 मिनट में हो जाएगी. उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेनों की सफाई के लिए जापान की सात मिनट की चमत्कारी प्रणाली से प्रेरित होकर, यह पहल देश भर के 29 स्टेशनों पर लागू की जाएगी. अधिकारियों ने कहा कि कर्मचारियों को इस काम के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित किया जायेगा. भविष्य में इस पहल को अन्य ट्रेनों तक विस्तारित करने की योजना है.