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छह साल की बच्ची ने रखा रोजा तो हिंदू परिवार ने उतारी आरती

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Published : Apr 20, 2022, 6:17 PM IST

कर्नाटक में एक हिंदू और एक मुस्लिम परिवार पचास साल से भाईचारा निभाते चले आ रहे हैं. इसी के तहत हिंदू परिवार ने मुस्लिम परिवार की रोजेदार बेटी को घर बुलाकर सम्मान किया. पढ़ें पूरी खबर.

A Muslim girl who made a Roza was honour in a Hindu home
छह साल की बच्ची ने रखा रोजा तो हिंदू परिवार ने उतारी आरती

मुद्देबिहाला (विजयपुरा): यहां के हिंदू और मुस्लिम परिवार एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना जारी रखे हैं. यहां के दो परिवार इसका जीता जागता उदाहरण हैं, जिन्होंने पचास साल पुरानी दोस्ती बखूबी निभाई है. यहां के वासुदेव नारायण राव शास्त्री की फोटोग्राफर अलीसाबा कुंतोजी की दोस्ती मिसाल है. रमजान के महीने में इन दो परिवारों ने कुछ ऐसा किया जिसकी चर्चा है.

देखिए वीडियो

अलीसाबा कुंतोजी की छह साल की पोती शिफानाज (Shifanaz) को घर बुलाकर वासुदेव नारायण राव के परिवार ने आरती की. शिफानाज ने रविवार को सुबह तीन बजे उठकर रोजा रखा था. इस पर कुंतोजी के बचपन के दोस्त वासुदेव शास्त्री ने शिफानाज़ को सम्मानित करने का फैसला किया. मुस्लिम कुंतोजी परिवार की सहमति से शास्त्री ने लड़की को अपने घर बुलाया और उसका सम्मान किया. शास्त्री के बच्चे गौरी और रानी ने शिफानाज को तैयार किया. बच्ची की आरती उतारी गई. उसे नई पोशाक देने के साथ मिठाई खिलाई गई. बच्ची के माता-पिता इससे काफी खुश नजर आए.

पढ़ें- ऐसी दरगाह जहां 355 वर्षों से पुजारी सुनाते हैं उगादि पंचांग श्रवणम, हिंदू-मुस्लिम लेते हैं भाग

पढ़ें- रोजा रखने वालों के लिए खास ड्रिंक ताहुरा

मुद्देबिहाला (विजयपुरा): यहां के हिंदू और मुस्लिम परिवार एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना जारी रखे हैं. यहां के दो परिवार इसका जीता जागता उदाहरण हैं, जिन्होंने पचास साल पुरानी दोस्ती बखूबी निभाई है. यहां के वासुदेव नारायण राव शास्त्री की फोटोग्राफर अलीसाबा कुंतोजी की दोस्ती मिसाल है. रमजान के महीने में इन दो परिवारों ने कुछ ऐसा किया जिसकी चर्चा है.

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अलीसाबा कुंतोजी की छह साल की पोती शिफानाज (Shifanaz) को घर बुलाकर वासुदेव नारायण राव के परिवार ने आरती की. शिफानाज ने रविवार को सुबह तीन बजे उठकर रोजा रखा था. इस पर कुंतोजी के बचपन के दोस्त वासुदेव शास्त्री ने शिफानाज़ को सम्मानित करने का फैसला किया. मुस्लिम कुंतोजी परिवार की सहमति से शास्त्री ने लड़की को अपने घर बुलाया और उसका सम्मान किया. शास्त्री के बच्चे गौरी और रानी ने शिफानाज को तैयार किया. बच्ची की आरती उतारी गई. उसे नई पोशाक देने के साथ मिठाई खिलाई गई. बच्ची के माता-पिता इससे काफी खुश नजर आए.

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