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karnataka Hizab Row : राज्य के राजस्व मंत्री का दावा, हिजाब मुद्दे के पीछे ISIS

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Published : Feb 19, 2022, 10:22 PM IST

कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक (Revenue minister karnatka R Ashok) ने कहा कि इस साजिश में विदेशी संगठन (Overseas Organizations Are Involved In This Conspiracy) शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इस विरोध के पीछे आईएसआईएस और केएफडी जैसे संगठन (ISIS And KFD Organizations) काम कर रहे हैं. इधर, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय (State Goverment told High Court) को बताया है कि सरकारी आदेश (Government Order) में हिजाब पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है.

karnatka Hizab Row
karnatka Hizab Row

उडुपी : कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक (Revenue minister Karnataka R Ashok) ने शनिवार को यहां दावा किया कि हिजाब मुद्दे (karnataka Hizab Row) की साजिश में अंतरराष्ट्रीय संगठन (Overseas organizations) शामिल थे. मंत्री यहां उडुपी जिले (Udupi district) के करकला तालुक में ग्राम प्रवास कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. वह दिन में पहले मेंगलुरु की यात्रा के बाद यहां पहुंचे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़कियों (Muslim girls are not to be blamed) को दोष नहीं दिया जाना चाहिए.

हिजाब मामले के पीछे कई लोग हैं. उन्होंने कहा कि इस साजिश में विदेशी संगठन (Overseas Organizations Are Involved In This Conspiracy) शामिल हैं. उडुपी में शुरू हुआ विरोध इतनी तेजी से अंतरराष्ट्रीय कैसे हो गया? इसे फैलाने के लिए कौन काम कर रहा है? उन्होंने दावा किया कि इस विरोध के पीछे आईएसआईएस और केएफडी जैसे संगठन (ISIS And KFD Organizations) काम कर रहे हैं.

पढ़ें: हिजाब विवाद ने पकड़ा तूल, देश भर में सामने आ रही विरोध की घटनाएं

मंत्री ने कहा कि बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल जाते हैं. उन्हें समझना चाहिए कि वे धार्मिक प्रचार के लिए नहीं जा रहे हैं. आप अपने घर में कुछ भी करें, लेकिन स्कूल, कॉलेज में सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दें. ISIS ने स्थानीय संगठनों से हिजाब के लिए विरोध शुरू करने को कहा है. हिजाब मुद्दे के संबंध में व्यापक जांच किए जाने की आवश्यकता है. मैं इस विषय पर मुख्यमंत्री से बात करूंगा.

कर्नाटक के राजस्व मंत्री ने सोमवार को यह भी दावा किया कि कांग्रेस पार्टी हिजाब विवाद पर बंटी हुई है. क्योंकि कनार्टक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष डी के शिवकुमार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया द्वारा मामले पर अपनाए गए रुख का समर्थन नहीं कर रहे हैं.

पढ़ें : Karnataka Hijab Row : भाजपा नेता बोले, देश में अस्थिरता उत्पन्न करने का षड्यंत्र चल रहा

यहां जिला पंचायत सभागार में हुई बैठक से इतर संवाददाताओं से बातचीत में अशोक ने कहा कि शिवकुमार कांग्रेस नेताओं को हिजाब का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, जबकि सिद्धरमैया का अलग रुख है.

अशोक, कांग्रेस की मांग को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. कांग्रेस लाल किले पर भगवा झंडा संबंधी कथित टिप्पणी को लेकर के एस ईश्वरप्पा से इस्तीफे की मांग कर रही है. राजस्व मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हिजाब के मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा के लिए तैयार नहीं है. इसलिए ईश्वरप्पा के बहाने मुद्दे से ध्यान भटका रही है. उन्होंने कांग्रेस से मांग की कि वह अपना रुख स्पष्ट करे, ताकि छात्र स्कूल शिक्षण संस्थानों में लौट सकें.

कोर्ट में बोले राज्य सरकार के महाधिवक्ता राज्य इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता

इधर, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया है कि उसके पांच फरवरी के सरकारी आदेश (Government Order) में हिजाब पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, बल्कि केवल कॉलेज विकास समितियों (सीडीसी) को स्कूल की पोशाक तय करने का अधिकार दिया गया है.

महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ को बताया कि सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के लिए एक सतर्क रुख अपनाया है. इसलिए उसने सीडीसी को स्कूल की पोशाक तय करने की शक्तियां सौंप दीं.

हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों की याचिका के संबंध में सुनवाई के दौरान नवदगी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ को बताया कि मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ राज्य का सतर्क रुख बताता हूं कि जहां तक मामला शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों के मुद्दों से संबंधित है, तो हम इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं.

पढ़ें : Karnataka Hijab Row : मुसलमानों की तमाम निशानियां खत्म करना चाहती है भाजपा : महबूबा मुफ्ती

महाधिवक्ता ने कहा कि लेकिन मुझे कहना होगा कि उन्होंने हमें इसमें अनावश्यक रूप से घसीटा और इसे एक मुद्दा बना दिया. उन्होंने पांच फरवरी, 2022 के आदेश को सीधे तौर पर पढ़ते हुए कहा कि हमने हिजाब को प्रतिबंधित नहीं किया है. वास्तव में, हमने सीडीसी के साथ-साथ निजी कॉलेज प्रबंधन को पूर्ण स्वायत्तता दी है.

शांति और सद्भाव को भंग करने वाले कपड़े पहनने पर रोक लगाने का आदेश जारी करने के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इरादा केवल विद्यार्थियों को अभद्र पोशाक नहीं पहनने के लिए कहना था. उनके मुताबिक याचिकाकर्ताओं ने बेवजह राज्य को इस मामले में घसीटा है.

शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब विवाद को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने पहले एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें विद्यार्थियों को अंतिम आदेश पारित होने तक हिजाब पहनने से रोका गया था.

गौरतलब है कि हिजाब विवाद उस समय बढ़ गया, जब उडुपी के एक प्री यूनिवसिर्टी कॉलेज में लड़कियों के हिजाब पहन कर आने के विरोध में लड़के भगवा गमछा पहनकर आने लगे. उनका कहना था कि अगर लड़कियां हिजाब पहनकर कक्षा में आएंगी तो वे भी भगवा गमछा पहनकर कक्षा में आएंगे.

उडुपी : कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक (Revenue minister Karnataka R Ashok) ने शनिवार को यहां दावा किया कि हिजाब मुद्दे (karnataka Hizab Row) की साजिश में अंतरराष्ट्रीय संगठन (Overseas organizations) शामिल थे. मंत्री यहां उडुपी जिले (Udupi district) के करकला तालुक में ग्राम प्रवास कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. वह दिन में पहले मेंगलुरु की यात्रा के बाद यहां पहुंचे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़कियों (Muslim girls are not to be blamed) को दोष नहीं दिया जाना चाहिए.

हिजाब मामले के पीछे कई लोग हैं. उन्होंने कहा कि इस साजिश में विदेशी संगठन (Overseas Organizations Are Involved In This Conspiracy) शामिल हैं. उडुपी में शुरू हुआ विरोध इतनी तेजी से अंतरराष्ट्रीय कैसे हो गया? इसे फैलाने के लिए कौन काम कर रहा है? उन्होंने दावा किया कि इस विरोध के पीछे आईएसआईएस और केएफडी जैसे संगठन (ISIS And KFD Organizations) काम कर रहे हैं.

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मंत्री ने कहा कि बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल जाते हैं. उन्हें समझना चाहिए कि वे धार्मिक प्रचार के लिए नहीं जा रहे हैं. आप अपने घर में कुछ भी करें, लेकिन स्कूल, कॉलेज में सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दें. ISIS ने स्थानीय संगठनों से हिजाब के लिए विरोध शुरू करने को कहा है. हिजाब मुद्दे के संबंध में व्यापक जांच किए जाने की आवश्यकता है. मैं इस विषय पर मुख्यमंत्री से बात करूंगा.

कर्नाटक के राजस्व मंत्री ने सोमवार को यह भी दावा किया कि कांग्रेस पार्टी हिजाब विवाद पर बंटी हुई है. क्योंकि कनार्टक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष डी के शिवकुमार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया द्वारा मामले पर अपनाए गए रुख का समर्थन नहीं कर रहे हैं.

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यहां जिला पंचायत सभागार में हुई बैठक से इतर संवाददाताओं से बातचीत में अशोक ने कहा कि शिवकुमार कांग्रेस नेताओं को हिजाब का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, जबकि सिद्धरमैया का अलग रुख है.

अशोक, कांग्रेस की मांग को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. कांग्रेस लाल किले पर भगवा झंडा संबंधी कथित टिप्पणी को लेकर के एस ईश्वरप्पा से इस्तीफे की मांग कर रही है. राजस्व मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हिजाब के मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा के लिए तैयार नहीं है. इसलिए ईश्वरप्पा के बहाने मुद्दे से ध्यान भटका रही है. उन्होंने कांग्रेस से मांग की कि वह अपना रुख स्पष्ट करे, ताकि छात्र स्कूल शिक्षण संस्थानों में लौट सकें.

कोर्ट में बोले राज्य सरकार के महाधिवक्ता राज्य इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता

इधर, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया है कि उसके पांच फरवरी के सरकारी आदेश (Government Order) में हिजाब पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, बल्कि केवल कॉलेज विकास समितियों (सीडीसी) को स्कूल की पोशाक तय करने का अधिकार दिया गया है.

महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ को बताया कि सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के लिए एक सतर्क रुख अपनाया है. इसलिए उसने सीडीसी को स्कूल की पोशाक तय करने की शक्तियां सौंप दीं.

हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों की याचिका के संबंध में सुनवाई के दौरान नवदगी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ को बताया कि मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ राज्य का सतर्क रुख बताता हूं कि जहां तक मामला शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों के मुद्दों से संबंधित है, तो हम इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं.

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महाधिवक्ता ने कहा कि लेकिन मुझे कहना होगा कि उन्होंने हमें इसमें अनावश्यक रूप से घसीटा और इसे एक मुद्दा बना दिया. उन्होंने पांच फरवरी, 2022 के आदेश को सीधे तौर पर पढ़ते हुए कहा कि हमने हिजाब को प्रतिबंधित नहीं किया है. वास्तव में, हमने सीडीसी के साथ-साथ निजी कॉलेज प्रबंधन को पूर्ण स्वायत्तता दी है.

शांति और सद्भाव को भंग करने वाले कपड़े पहनने पर रोक लगाने का आदेश जारी करने के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इरादा केवल विद्यार्थियों को अभद्र पोशाक नहीं पहनने के लिए कहना था. उनके मुताबिक याचिकाकर्ताओं ने बेवजह राज्य को इस मामले में घसीटा है.

शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब विवाद को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने पहले एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें विद्यार्थियों को अंतिम आदेश पारित होने तक हिजाब पहनने से रोका गया था.

गौरतलब है कि हिजाब विवाद उस समय बढ़ गया, जब उडुपी के एक प्री यूनिवसिर्टी कॉलेज में लड़कियों के हिजाब पहन कर आने के विरोध में लड़के भगवा गमछा पहनकर आने लगे. उनका कहना था कि अगर लड़कियां हिजाब पहनकर कक्षा में आएंगी तो वे भी भगवा गमछा पहनकर कक्षा में आएंगे.

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