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हिजाब मामला : कर्नाटक हाईकोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा - क्या है हिजाब विवाद

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगी. उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छह छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. छात्राओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया और विरोध अन्य जिलों में भी फैल गया. यह एक बड़ा विवाद बन गया और यहां तक कि तनाव भी पैदा हो गया, क्योंकि कुछ हिंदू छात्राएं भगवा शॉल ओढ़कर कॉलेज आने लगीं.

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Published : Mar 14, 2022, 10:20 PM IST

बेंगुलुरु : मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली कर्नाटक उच्च न्यायालय की पीठ मंगलवार सुबह हिजाब मुद्दे पर फैसला सुनाएगी. मामले को दिन के पहले पहर में सूचीबद्ध किया गया है. तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन ने तर्को और प्रतिवादों को सुनने के बाद मामले पर फैसले को सुरक्षित रख लिया था.

उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छह छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. छात्राओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया और विरोध अन्य जिलों में भी फैल गया. यह एक बड़ा विवाद बन गया और यहां तक कि तनाव भी पैदा हो गया, क्योंकि कुछ हिंदू छात्राएं भगवा शॉल ओढ़कर कॉलेज आने लगीं.

छात्राओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए. जब हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया कि स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब या भगवा शॉल ओढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती, तब याचिकाकर्ताओं ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं से हाईकोर्ट से ही राहत मांगने को कहा.

बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने सोमवार को निषेधाज्ञा जारी करते हुए 21 मार्च तक किसी भी सार्वजनिक स्थान पर किसी भी तरह के समारोहों, प्रदर्शनों और सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह प्रतिबंध शहर में 15 मार्च से 21 मार्च के बीच 7 दिनों के लिए लगाया गया है. चूंकि इस मुद्दे में स्कूलों और कॉलेजों में वर्दी और उनके लागू किए जाने के संबंध में नियम शामिल हैं, इसलिए निर्णय सुनाए जाने के बाद विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. पुलिस आयुक्त ने अपने आदेश में कहा कि शहर में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए निषेधाज्ञा जारी करना उचित है.

ये भी पढ़ें : ओवैसी का आरोप- जम्मू-कश्मीर को कठपुतली की तरह नियंत्रित करना चाहती है केंद्र सरकार

बेंगुलुरु : मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली कर्नाटक उच्च न्यायालय की पीठ मंगलवार सुबह हिजाब मुद्दे पर फैसला सुनाएगी. मामले को दिन के पहले पहर में सूचीबद्ध किया गया है. तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन ने तर्को और प्रतिवादों को सुनने के बाद मामले पर फैसले को सुरक्षित रख लिया था.

उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छह छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. छात्राओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया और विरोध अन्य जिलों में भी फैल गया. यह एक बड़ा विवाद बन गया और यहां तक कि तनाव भी पैदा हो गया, क्योंकि कुछ हिंदू छात्राएं भगवा शॉल ओढ़कर कॉलेज आने लगीं.

छात्राओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए. जब हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया कि स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब या भगवा शॉल ओढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती, तब याचिकाकर्ताओं ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं से हाईकोर्ट से ही राहत मांगने को कहा.

बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने सोमवार को निषेधाज्ञा जारी करते हुए 21 मार्च तक किसी भी सार्वजनिक स्थान पर किसी भी तरह के समारोहों, प्रदर्शनों और सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह प्रतिबंध शहर में 15 मार्च से 21 मार्च के बीच 7 दिनों के लिए लगाया गया है. चूंकि इस मुद्दे में स्कूलों और कॉलेजों में वर्दी और उनके लागू किए जाने के संबंध में नियम शामिल हैं, इसलिए निर्णय सुनाए जाने के बाद विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. पुलिस आयुक्त ने अपने आदेश में कहा कि शहर में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए निषेधाज्ञा जारी करना उचित है.

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