बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने एक उपयोगकर्ता द्वारा ट्विटर पर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील वीडियो पोस्ट किये जाने के मामले में जारी नोटिस को दुर्भावनापूर्ण करार दिया है.
हाईकोर्ट ने गाजियाबाद पुलिस की तरफ से ट्विटर (Ghaziabad Police Twitter) इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी (Twitter India MD Manish Maheshwari) को व्यक्तिगत पेशी के लिए भेजे गए नोटिस को ने खारिज कर दिया.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि ट्विटर इंडिया (Karnataka High Court Twitter India) के एमडी मनीष माहेश्वरी को धारा 41(ए) के तहत दुर्भावनापूर्ण (Notice Malafide) रूप से नोटिस जारी किया गया, क्योंकि यह पूर्व-शर्तों को पूरा नहीं करता है.
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 (ए) के तहत नोटिस को धारा 160 के तहत माना जाना चाहिए जिससे गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी से उनके कार्यालय या बेंगलुरु में उनके आवासीय पते पर डिजिटल तरीके से पूछताछ करने की अनुमति मिलती है.
अदालत ने कहा कि धारा 41 (ए) के तहत कानूनी प्रावधानों को 'उत्पीड़न का औजार' बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और गाजियाबाद पुलिस ने ऐसी कोई सामग्री नहीं पेश की, जिससे प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की संलिप्तता का पता लग सके जबकि सुनवाई पिछले कई दिनों से चल रही है.
अदालत ने कहा, 'इस तथ्य की पृष्ठभूमि में कि धारा 41 (ए) के तहत नोटिस दुर्भावना से जारी किया गया था, यह रिट याचिका (माहेश्वरी द्वारा दायर याचिका) स्वीकार करने योग्य है.'
गौरतलब है कि गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) पुलिस ने 21 जून को सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी कर माहेश्वरी से 24 जून को सुबह 10.30 बजे लोनी बॉर्डर थाना में रिपोर्ट करने को कहा था.
माहेश्वरी ने इस नोटिस के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की क्योंकि वह कर्नाटक के बेंगलुरु में रहते हैं. उच्च न्यायालय ने 24 जून को अपने अंतरिम आदेश में गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया था. न्यायमूर्ति नरेंद्र ने यह भी कहा था कि अगर पुलिस उनसे पूछताछ करना चाहती है, तो वे ऑनलाइन माध्यम के जरिए ऐसा कर सकती है.
गौरतलब है कि गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ट्विटर इंडिया), समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब के अलावा कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखक सबा नकवी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
उन पर एक वीडियो को प्रसारित करने का मामला दर्ज किया गया था जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल शमाद सैफी ने आरोप लगाया था कि पांच जून को कुछ युवकों ने उनकी पिटाई की, जिन्होंने उसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए कहा था. पुलिस के अनुसार, वीडियो को सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए साझा किया गया था.
(पीटीआई भाषा)