ETV Bharat / bharat

मुस्लिम पुरुष को इद्दत के बाद भी उठाना होगा पूर्व पत्नी का खर्च : हाई कोर्ट - un remarried ex wife maintenance

कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि अविवाहित पूर्व पत्नी को भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है, जोकि उसकी आवश्यकता है.

मुस्लिम पुरुष
मुस्लिम पुरुष
author img

By

Published : Oct 20, 2021, 3:05 PM IST

Updated : Oct 24, 2021, 6:13 AM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि एक मुस्लिम पुरुष अपनी पूर्व पत्नी की इद्दत अवधि के बाद भी उसका भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है. अगर वह अविवाहित रहती है और खुद का भरण-पोषण नहीं कर सकती है, भले ही व्यक्ति द्वारा उसे मेहर की रकम अदा कर दी गई हो.

बता दें, इस्लाम धर्म में इद्दत एक प्रक्रिया है. पति के निधन या तलाक के बाद एक महिला को एक निर्धारित अवधि के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है, जिसे इद्दत कहा जाता है.

जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने कहा कि मुसलमानों के बीच विवाह एक अनुबंध होता है. यही स्थिति कुछ न्यायोचित दायित्वों को जन्म देती है. ऐसा विवाह तलाक द्वारा खत्म कर दिया जाता है, लेकिन महिला-पुरुष के बीच सभी कर्तव्य और दायित्व समाप्त नहीं होते हैं. कानून में, नए दायित्व भी उत्पन्न हो सकते हैं, उनमें से एक व्यक्ति का परिस्थितिजन्य कर्तव्य है कि वह अपनी पूर्व पत्नी को आजीविका प्रदान करे, जिसका तलाक हुआ है.

अदालत ने स्पष्ट किया कि अविवाहित पूर्व पत्नी को भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है, जोकि उसकी आवश्यकता है.

क्या है मामला

कर्नाटक के एक जोड़े ने मार्च 1991 में शादी की थी और मेहर की राशि 5,000 रुपये तय की गई थी. इसके बाद पत्नी ने दहेज प्रताड़ना आदि की शिकायत की और ससुराल छोड़कर चली गई.

25 नवंबर, 1991 को पति ने तलाक दे दिया और पत्नी को मेहर की राशि और इद्दत अवधि के दौरान उसके भरण-पोषण के लिए 900 रुपये का भुगतान किया.

लेकिन, 2002 में अविवाहित पत्नी ने पूर्व पति से भरण-पोषण की मांग करते हुए दीवानी मुकदमा दायर किया. पूर्व पति ने इस आधार पर इसका विरोध किया कि उसने तलाक के बाद दूसरी शादी कर ली और उसे एक बच्चा भी हुआ है.

पूर्व पति पर पूर्व पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का भी मामला दर्ज कराया था, जिसमें उसे बरी कर दिया गया.

इसके अलावा, पूर्व पत्नी ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू करने की मांग की और पूर्व पति से भुगतान की मांग की.

यह भी पढ़ें- हाई कोर्ट का फैसला: शादीशुदा बेटी को भी पिता की नौकरी का अधिकार

बेंगलुरु : कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि एक मुस्लिम पुरुष अपनी पूर्व पत्नी की इद्दत अवधि के बाद भी उसका भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है. अगर वह अविवाहित रहती है और खुद का भरण-पोषण नहीं कर सकती है, भले ही व्यक्ति द्वारा उसे मेहर की रकम अदा कर दी गई हो.

बता दें, इस्लाम धर्म में इद्दत एक प्रक्रिया है. पति के निधन या तलाक के बाद एक महिला को एक निर्धारित अवधि के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है, जिसे इद्दत कहा जाता है.

जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने कहा कि मुसलमानों के बीच विवाह एक अनुबंध होता है. यही स्थिति कुछ न्यायोचित दायित्वों को जन्म देती है. ऐसा विवाह तलाक द्वारा खत्म कर दिया जाता है, लेकिन महिला-पुरुष के बीच सभी कर्तव्य और दायित्व समाप्त नहीं होते हैं. कानून में, नए दायित्व भी उत्पन्न हो सकते हैं, उनमें से एक व्यक्ति का परिस्थितिजन्य कर्तव्य है कि वह अपनी पूर्व पत्नी को आजीविका प्रदान करे, जिसका तलाक हुआ है.

अदालत ने स्पष्ट किया कि अविवाहित पूर्व पत्नी को भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है, जोकि उसकी आवश्यकता है.

क्या है मामला

कर्नाटक के एक जोड़े ने मार्च 1991 में शादी की थी और मेहर की राशि 5,000 रुपये तय की गई थी. इसके बाद पत्नी ने दहेज प्रताड़ना आदि की शिकायत की और ससुराल छोड़कर चली गई.

25 नवंबर, 1991 को पति ने तलाक दे दिया और पत्नी को मेहर की राशि और इद्दत अवधि के दौरान उसके भरण-पोषण के लिए 900 रुपये का भुगतान किया.

लेकिन, 2002 में अविवाहित पत्नी ने पूर्व पति से भरण-पोषण की मांग करते हुए दीवानी मुकदमा दायर किया. पूर्व पति ने इस आधार पर इसका विरोध किया कि उसने तलाक के बाद दूसरी शादी कर ली और उसे एक बच्चा भी हुआ है.

पूर्व पति पर पूर्व पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का भी मामला दर्ज कराया था, जिसमें उसे बरी कर दिया गया.

इसके अलावा, पूर्व पत्नी ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू करने की मांग की और पूर्व पति से भुगतान की मांग की.

यह भी पढ़ें- हाई कोर्ट का फैसला: शादीशुदा बेटी को भी पिता की नौकरी का अधिकार

Last Updated : Oct 24, 2021, 6:13 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.