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कर्नाटक में अब पशु की हत्या होगा अपराध, राज्यपाल ने दी विधेयक को मंजूरी

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Published : Feb 16, 2021, 3:26 PM IST

कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने राज्य सरकार के गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2020 को मंजूरी दे दी है. 9 दिसंबर 2020 को इस विधेयक को राज्य के विधानसभा में पारित किया गया था.

गोहत्या विधेयक आज से लागू
गोहत्या विधेयक आज से लागू

बेंगलुरु : कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा राज्य सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद कर्नाटक गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2020 का संरक्षण मंगलवार से लागू हो गया है.कानून सभी प्रकार के मवेशियों के वध पर प्रतिबंध लगाता है, 13 साल से अधिक उम्र के भैंसों को छोड़कर प्रतिबंध का उल्लंघन करने के लिए दोषी पाए गए लोगों को तीन से सात साल के सश्रम कारावास और कठोर जुर्माना लगाया जाएगा.

गौ हत्या विरोधी अध्यादेश को राज्यपाल की भी मंजूरी मिल गई है. चार हफ्ते पहले जब विधेयक को विधानसभा में पेश किया गया था तो इसे लेकर विपक्ष ने जबरदस्त विरोध और हंगामा किया था. खासकर कांग्रेस और जेडीएस ने कहा था इसे अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए लाया जा रहा है. येदियुरप्पा सरकार ने विधानसभा में तो पारित करवा लिया था लेकिन विधान परिषद में पारित नहीं करवा पाए, इसी लिए बिल को अध्यादेश का रूट लेना पड़ा. इस अध्यादेश की मंजूरी के बाद अब राज्य में गौ हत्या करना कानूनी अपराध की श्रेणी में आएगा. इसके तहत में राज्य के अंदर गौ त्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध का प्रावधान है. गौहत्या, गौ तस्करी, गोवंश पर अत्याचार पर कड़ी सजा का प्रावधान है.

पढ़ें : कर्नाटक विधान परिषद में गोहत्या विरोधी विधेयक पारित

गौहत्या विरोधी बिल में अन्य तत्व:

पशुधन परिवहन केवल कृषि और पशुपालन प्रयोजनों के लिए अनुमत है

पशुओं की तस्करी एक दंडनीय अपराध है

कृषि और पशुपालन के उद्देश्य के लिए अंतरराज्यीय तस्करी की अनुमति के लिए प्राधिकरण से अनुमति लेनी होगी

मवेशियों की तस्करी एक निश्चित शुल्क के साथ कृषि गतिविधियों के लिए अनुमति देती है

पशुओं के वध के लिए बेचने, खरीदने के लिए प्रतिबंध

अगर पशुचिकित्सा पुष्टि करती है कि कोई बीमारी है तो उसे वध करने की अनुमति है

मामलों की त्वरित पूछताछ के लिए विशेष अदालत की स्थापना की जाएगी

बेंगलुरु : कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा राज्य सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद कर्नाटक गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2020 का संरक्षण मंगलवार से लागू हो गया है.कानून सभी प्रकार के मवेशियों के वध पर प्रतिबंध लगाता है, 13 साल से अधिक उम्र के भैंसों को छोड़कर प्रतिबंध का उल्लंघन करने के लिए दोषी पाए गए लोगों को तीन से सात साल के सश्रम कारावास और कठोर जुर्माना लगाया जाएगा.

गौ हत्या विरोधी अध्यादेश को राज्यपाल की भी मंजूरी मिल गई है. चार हफ्ते पहले जब विधेयक को विधानसभा में पेश किया गया था तो इसे लेकर विपक्ष ने जबरदस्त विरोध और हंगामा किया था. खासकर कांग्रेस और जेडीएस ने कहा था इसे अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए लाया जा रहा है. येदियुरप्पा सरकार ने विधानसभा में तो पारित करवा लिया था लेकिन विधान परिषद में पारित नहीं करवा पाए, इसी लिए बिल को अध्यादेश का रूट लेना पड़ा. इस अध्यादेश की मंजूरी के बाद अब राज्य में गौ हत्या करना कानूनी अपराध की श्रेणी में आएगा. इसके तहत में राज्य के अंदर गौ त्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध का प्रावधान है. गौहत्या, गौ तस्करी, गोवंश पर अत्याचार पर कड़ी सजा का प्रावधान है.

पढ़ें : कर्नाटक विधान परिषद में गोहत्या विरोधी विधेयक पारित

गौहत्या विरोधी बिल में अन्य तत्व:

पशुधन परिवहन केवल कृषि और पशुपालन प्रयोजनों के लिए अनुमत है

पशुओं की तस्करी एक दंडनीय अपराध है

कृषि और पशुपालन के उद्देश्य के लिए अंतरराज्यीय तस्करी की अनुमति के लिए प्राधिकरण से अनुमति लेनी होगी

मवेशियों की तस्करी एक निश्चित शुल्क के साथ कृषि गतिविधियों के लिए अनुमति देती है

पशुओं के वध के लिए बेचने, खरीदने के लिए प्रतिबंध

अगर पशुचिकित्सा पुष्टि करती है कि कोई बीमारी है तो उसे वध करने की अनुमति है

मामलों की त्वरित पूछताछ के लिए विशेष अदालत की स्थापना की जाएगी

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