बेंगलुरु: कर्नाटक के दावणगेरे जिले में सार्वजनिक वितरण की दुकानों (पीडीएस) में 'भ्रष्टाचार' को लेकर 68 वर्षीय एक पर्यावरणविद् ने मंगलवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. राज्योत्सव पुरस्कार से राज्य सरकार द्वारा सम्मानित वीरचारी ने प्रतिज्ञा की थी कि यदि उक्त मुद्दे पर न्याय नहीं मिला तो वह फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेंगे. घटना से आक्रोशित प्रकृति प्रेमियों और स्थानीय निवासियों ने धरना दिया और सड़क जाम कर दिया. उन्होंने मांग की कि जिला आयुक्त मौके पर आएं और जांच कराएं.
ग्रामीण पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रिण में लिया. स्थानीय निवासियों के अनुसार, वीरचारी ने उसी पेड़ पर फांसी लगाई जिसे उन्होंने दशकों पहले लगाया था और उसकी देखभाल करते रहे थे. इससे पहले, वीरचारी ने दावा किया था कि पीडीएस की दुकानों में खाद्य सामग्री समाज के हाशिए के वर्गों को वितरित नहीं की जा रही है. वह लंबे समय से स्थानीय राशन की दुकानों में भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे थे और कहा था कि अगर न्याय नहीं मिला तो वह अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेंगे.
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इससे जुड़ा एक ऑडियो भी वायरल हो गया है. वह पेड़ पौधों के साथ क्षेत्रों में सभी कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाते थे. हरियाली बढ़ाने के बारे में जागरूकता पैदा करते थे. उन्होंने चार दशकों तक हजारों पेड़ लगाए और उन्हें पोषित किया. वीरचारी मिड्लकट्टे गांव के रहने वाले थे. वह रोजी-रोटी के लिए माल ऑटो चलाते थे. और उस वाहन में भी वे पेड़-पौधे रखते थे. वह जहां भी जाते वहां पौधे लगाते और बांटते थे.
20 साल तक किया संघर्ष. कोर्ट के एक फैसले ने तोड़ दी हिम्मत : वीरचारी ने मिड्लकट्टे गांव में राशन की दुकान के मालिक सिद्धारमप्पा के खिलाफ आवाज उठाई थी. उनका आरोप था कि सिद्धारमप्पा ने राशन देने में व्यापक भ्रष्टाचार किया है. वीरचारी सिद्धारमप्पा के खिलाफ लगातार बीस वर्षों तक अलग-अलग जगहों पर शिकायत करते रहे थे. उनका आरोप था कि सिद्धारमप्पा गरीबों को चावल, गेहूं और बाजरा उचित रूप से वितरित नहीं करता है.
कई सालों की मेहनत के बाद कुछ दिनों पहले जिलाधिकारी सिद्धारमप्पा की राशन की दुकान को बंद करने का फैसला लिया. लेकिन जब तक यह फैसला लागू हो पाता सिद्धारमप्पा सोमवार को जिलाधिकारी के फैसले के खिलाफ कोर्ट से स्टे ऑर्डर लेकर आ गया. जिसके बारे में सोमवार को ही जिलाधिकारी ने वीरचारी को सूचित किया. बताया जाता है उसी सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात को वीरचारी ने कई दशक पहले अपने ही लगाये पेड़ पर खुद को फांसी लगा ली.
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