बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर 2 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं, जो इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में बने हुए हैं. इनमें हुबली-धारवाड़ मध्य और बेलगाम में अथानी विधानसभा सीट शामिल हैं. भाजपा के पूर्व दिग्गजों जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी ने पार्टी से किनारा कर लिया और टिकट न मिलने पर कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया. इन दोनों नेताओं के पाला बदलने से भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा. बीजेपी से मुख्यमंत्री रहे जगदीश शेट्टार 6 बार विधानसभा के लिए चुने जा रहे थे.
वह 1999 और 2013 में विपक्ष के नेता थे. उन्होंने 2008-13 के दौरान स्पीकर और बाद में ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में काम किया. सदानंद गौड़ा के इस्तीफे के बाद वे राज्य के मुख्यमंत्री थे. लेकिन 2013 में बीजेपी ने उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा और पार्टी को सिर्फ 40 सीटें मिलीं. भले ही 2018 के विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण सावदी हार गए, लेकिन पार्टी ने उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया और उन्हें सशक्त बनाया.
इन सबके बीच शेट्टार और सावदी दोनों टिकट न दिए जाने से खफा थे. इसलिए वे कांग्रेस में शामिल हो गए. शेट्टार के पाला बदलने के बाद बीजेपी ने हुबली में जीत हासिल करने के लिए जोरदार प्रचार अभियान चलाया है. विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, जो पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे, हुबली-धारवाड़ निर्वाचन क्षेत्र जीतने के लिए दृढ़ थे. वहीं बीजेपी और आरएसएस की सेना भी उनके खिलाफ जमकर प्रचार कर रही है.
इसलिए जगदीश शेट्टार और महेश तेंगिंकाई हुबली-धारवाड़ केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र में आमने-सामने हैं. उन्होंने पहली बार 1994 में हुबली ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा में प्रवेश किया. उसके बाद 1999, 2004, 2008, 2013, 2018 में लगातार जीतते रहे हैं. उन्होंने 10 महीने तक सीएम, विपक्ष के नेता और स्पीकर के रूप में कार्य किया. उन्होंने मंत्री के रूप में कई विभागों को संभाला है. लक्ष्मण सावदी लिंगायत समुदाय के एक और नेता हैं, जो कांग्रेस में शामिल हो गए.
उन्होंने भी भाजपा से टिकट न मिलने के चलते पार्टी को टाटा-बाय-बाय किया और भाजपा पर जमकर हमला किया. सावदी जो बीजेपी से चुनाव लड़ते थे और 3 बार विधायक रहे, लेकिन इस बार बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरे हैं. वह अथानी निर्वाचन क्षेत्र में महेश कुमतल्ली के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व डीसीएम सावदी 2004, 2008 और 2013 में चुनाव जीत चुके हैं.
2018 के चुनावों में वह कांग्रेस उम्मीदवार महेश कुमटल्ली से केवल 2,741 मतों के अंतर से हार गए थे. इसके बाद वे विधान परिषद के लिए चुने गए और सीएम येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार में डीसीएम बने. बीजेपी ने इस चुनाव में अठानी से विधानसभा का चुनाव लड़ने के इच्छुक सावदी को टिकट नहीं दिया.