तुमकुरू (कर्नाटक) : 10वीं क्लास के सिलेबस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के भाषण को शामिल पर स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), ऑल-इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (AIDSO) और ऑल-इंडिया सेव एजुकेशन कमेटी (AISEC) समेत कई संगठनों ने आपत्ति जताई है. इस कारण विपक्षी दल लगातार सरकार पर हमले कर रहे हैं. मगर कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने हेडगेवार के भाषण को 10वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक में शामिल किए जाने के कदम का बचाव किया है. नागेश ने कहा कि पाठ्यपुस्तक में हेडगेवार या संघ के बारे में कोई सामग्री नहीं है. सिलेबस में सिर्फ हेडगेवार के भाषण को शामिल किया गया है ताकि लोगों, विशेषकर युवाओं, को प्रेरणा मिल सके. मंत्री ने कहा कि मुझे आरएसएस प्रमुख हेगदेवर के बयान को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने के बारे में पूरी जानकारी नहीं है. जो लोग आपत्ति जता रहे हैं, उन्होंने पाठ्यपुस्तक का अध्ययन नहीं किया है.
तुमकुरू में मीडिया से बात करते हुए प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने कहा कि कुछ लोग हर चीज पर आपत्ति जताना चाहते हैं और वे सोचते हैं कि जो कुछ भी वे बोल रहे हैं, बस वही सत्य है. अपने भाषण में हेडगेवार ने कहा था कि व्यक्ति को विचारधारा, मूल्यों और सिद्धांतों को अपनी प्रेरणा के रूप में लेना होगा. उन्होंने समाज और राष्ट्र के महत्व के बारे में बात की है. उसमें गलत क्या है?
मंत्री ने कहा कि कर्नाटक का शिक्षा विभाग इस पर विचार करता है कि एक्सपर्ट ने क्या किया है. हम देखेंगे कि क्या होना चाहिए और क्या नहीं? मैं सभी अटकलों का जवाब देने की कोशिश नहीं करूंगा. हमने पहले भी इसी तरह की अटकलें देखी हैं. पहले यह अफवाह फैलाई गई थी कि टीपू सुल्तान पर चैप्टर को सिलेबस से हटा दिया है, आज वही लोग हेडगेवार के बारे में बात कर रहे हैं.
बता दें कि कई संगठनों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, ए एन मूर्ति राव की 'व्याघ्रगीते', पी लंकेश की 'मृगा मट्टू सुंदरी' और सारा अबूबकर की 'युद्ध' जैसी पुनर्जागरण साहित्यिक हस्तियों की कृतियों को भी पाठ्यक्रम से हटा दिया है. राज्य की बीजेपी सरकार आरएसएस और पार्टी की विचारधारा छात्रों पर थोप रही है.
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