बेंगलुरु: क्लेरेंस हाई स्कूल में सभी छात्रों के लिए बाइबिल अनिवार्य करने को लेकर कुछ हिंदू संगठनों ने विरोध जताया है. इस पर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (education minister BC Nagesh) ने कहा है कि किसी भी संस्थान में धार्मिक ग्रंथों को अपनाने का प्रावधान नहीं है. आज एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल को शिक्षा विभाग नोटिस जारी करेगा. उन्होंने कहा कि क्लेरेंस स्कूल में सभी धर्मों के बच्चे आते हैं. लोकतंत्र के तहत शिक्षा विभाग कार्रवाई करता है. राज्य के सभी ईसाई शिक्षण संस्थानों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. इसी तरह सभी बीईओ को जांच के लिए ईसाई स्कूलों में जाने का निर्देश दिया गया है.
क्या आप बाइबल सीखने के लिए तैयार हैं? : मंत्री का कहना है कि प्रवेश के दौरान वे पूछते हैं क्या आप बाइबल सीखने के लिए तैयार हैं?. अगर हम कहते हैं नहीं, तो नहीं, लेकिन यह सही नहीं है. किसी भी बोर्ड-व्यापी अल्पसंख्यक विद्यालय में धर्म की शिक्षा निषिद्ध है. शिक्षा विभाग इसे रोकने के लिए कार्रवाई करेगा. बेंगलुरु के उपायुक्त जे. मंजूनाथ अनिवार्य बाइबिल अध्ययन के आरोपों की जांच करेंगे.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के निर्देश के बाद मंगलवार को जांच शुरू हुई. हिंदू संगठनों के क्लेरेंस हाई स्कूल की शिकायत के बाद एनसीपीसीआर ने उपायुक्त को सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है. आयोग ने कहा कि यह ध्यान में लाया गया है कि स्कूल बच्चों को बाइबिल पढ़कर ईसाई धार्मिक विचार थोप रहा है. स्कूल उनके लिए रोजाना सुबह ईसाई धार्मिक प्रार्थना में शामिल होना अनिवार्य कर रहा है. आयोग ने कहा कि छात्र अन्य ईसाई धार्मिक गतिविधियों में शामिल हैं और इसका उल्लेख स्कूल की वेबसाइट पर भी किया गया है.
स्कूल का लाइसेंस रद करने की मांग : श्री राम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने कहा, हिंदू छात्रों के बीच बाइबल का प्रचार क्यों किया जा रहा है. जबकि स्कूल में 90 फीसदी छात्र हिंदू धर्म से हैं. उन्होंने मांग की कि स्कूल को बंद कर दिया जाए और छात्रों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कराया जाए. हिंदू जन जागृति समिति ने आरोप लगाया है कि छात्रों को अनिवार्य रूप से हर रोज बाइबल पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है. सभी विद्यार्थियों को एक बाइबिल दी गई है जो एक पुस्तिका के रूप में है, उसे प्रतिदिन ले जाने को कहा गया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि अगर कोई छात्र आपत्ति करता है तो उसे एडमिशन रद्द करने की धमकी दी जाती है. समिति ने आरोप लगाया है कि स्कूल ने संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन और दुरुपयोग किया है. यह कदम सुप्रीम कोर्ट, कर्नाटक शिक्षा अधिनियम और बाल संरक्षण कानूनों के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. इसलिए स्कूल का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए. उधर, स्कूल के प्रिंसिपल जॉर्ज मैथ्यू ने मीडिया से कहा है कि वह इस घटनाक्रम से दुखी हैं. बता दें पिछले महीने राज्य के स्कूलों में हिजाब पहनने को लेकर विवाद हुआ था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा.
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