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हिमाचल प्रदेश: कटोच वंश के 489वें 'राजा' बने ऐश्वर्य चंद, कांगड़ा के किले में 400 साल बाद हुआ राजतिलक

आज 30 मार्च को हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में कटोच वंश के 489वें राजा ऐश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक हुआ. इस कार्यक्रम में कई राजपरिवारों के लोग शामिल हुए. वहीं, राजस्थान की बीजापुर रियासत के राजा ने ऐश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक किया. पढ़ें पूरी खबर...

aishwarya chand katoch 489th king
कटोच वंश के 489वें 'राजा' बने ऐश्वर्य चंद
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Published : Mar 30, 2023, 5:58 PM IST

Updated : Mar 30, 2023, 7:59 PM IST

कटोच वंश के 489वें 'राजा' बने ऐश्वर्य चंद

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बुधवार को राम नवमी के दिन कटोच वंश के 489वें राजा का राज्याभिषेक हुआ. पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रेश कुमारी के बेटे ऐश्वर्य चंद कटोच का राज्याभिषेक कांगड़ा के ऐतिहासिक किले में हुआ. जहां ढोल नगाड़ों के बीच विधिवत रूप से मंत्रो के बीच नए राजा का राजतिलक हुआ. इस समारोह में हिमाचल और राजस्थान के राज घरानों से जुड़े लोगों ने शिरकत की. राजशाही के खत्म हुए भले जमाना बीत गया हो लेकिन कांगड़ा के किले में जो राजसी ठाठ-बाट नजर आए उससे लगा मानों रियासत काल वापस लौट आया हो.

कांगड़ा किले में 400 साल बाद हुआ राज्याभिषेक- दरअसल राज्यभिषेक का ये मौका इसलिये भी खास था क्योंकि करीब 400 साल बाद कांगड़ा किले में किसी कटोच राजा का राज्याभिषेक हो रहा था. कांगड़ा किले में कटोच वंश की कुलदेवी माता अंबिका का आशीर्वाद लेकर राज्याभिषेक की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया गया. ऐश्वर्य चंद कटोच ने बताया कि "कटोच वंश के राजा हरिचंद द्वितीय का राजतिलक 1614 में यहां हुआ था. उसके बाद 1620 में मुगलों के साथ युद्ध के बाद कांगड़ा किला हार गए. जिसके बाद कटोच वंश अपनी राजधानी बदलता रहा और राज्याभिषेक की रस्में अलग-अलग जगह निभाई जाती रहीं, ये करीब 400 साल बाद ऐसा मौका आया है जब उनका राजतिलक इस किले में हुआ है".

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कटोच वंश की कुलदेवी माता अंबिका का मंदिर.

"ये राजशाही दिखाने का नहीं, परंपरा निभाने का मौका है"- ऐश्वर्य चंद कटोच ने बताया कि ये राज्याभिषेक राजसी ठाठ-बाट या राजशाही का दबदबा दिखाने का मौका नहीं है. बल्कि ये हमारी परंपरा है जिसे हम निभाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि "हम लोकतंत्र की इज्जत करते हैं, हम अपने स्तर पर लोगों की मदद और सेवा करते हैं. अगर कोई पार्टी हमें जनप्रतिनिधि बनने का मौका देती है तो उसके लिए भी तैयार हैं. लेकिन हम अपनी परंपरा को निभाते रहेंगे. इस तरह के कार्यक्रम हमारी सांस्कृतिक धरोहर है जिसे जिंदा रखना जरूरी है."

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कटोच वंश के 489वें राजा ऐश्वर्य चंद कटोच व अन्य.

2 अप्रैल को स्थानीय लोगों के लिए धाम का आयोजन: नए राजा को गद्दी पर आसीन करने का यह सारा कार्यक्रम पहाड़ों के अभेद दुर्ग माने जाने वाले कांगड़ा किले में हुआ. इस कार्यक्रम में कटोच पुरुष संतरी रंग की पगड़ी और महिलाएं संतरी रंग के दुपट्टे ओढ़कर शामिल हुईं. दोपहर करीब 12 बजे से एक बजे तक कांगड़ा किले में बीजापुर के ठाकुर उदय चंद कटोच द्वारा तिलक किया गया. उसके बाद त्रिगर्त दरबार में नजराना पेश किया गया. इसके बाद कटोच बिरादरी ने नए महाराज को तिलक किया. राजमाता चंद्रेश कुमारी ने नए महाराजा ऐश्वर्य चंद कटोच के राजतिलक के उपलक्ष्य में 2 अप्रैल को राजमहल लंबागांव में स्थानीय जनता के लिए कांगड़ी धाम का आयोजन भी किया जाएगा.

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कई राजपरिवारों के लोग राजतिलक कार्यक्रम में पहुंचे थे.

बता दें कि कांगड़ा दुर्ग में अंतिम राज्यभिषेक सन् 1629 में हुआ था. कांगड़ा के अलावा नादौन का अमतर किला कटोच शासकों का है. कटोच वंश के राजाओं ने कभी त्रिगर्त में 3000 मंदिर बनाए थे. ऐश्वर्य पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रेश कुमारी के पुत्र हैं. कांगड़ा किले के पास महाराजा संसार चंद म्यूजियम भी राजघराने परिवार द्वारा चलाया जा रहा है. वहीं, कांगड़ा का किला अपने 282 रक्षात्मक घेरों के साथ अजेय था. यह सतलुज, ब्यास व रावी नदी के आसपास का क्षेत्र था. महाभारत में त्रिगर्त राज्य के राजा सुशर्म चंद द्वारा कौरवों के पक्ष में लड़ाई का जिक्र है. कटोच वंश के राजाओं भूमि चंद, सुशर्म चंद, संसार चंद, जयचंद का इतिहास में विशेष जिक्र है.

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राजस्थान की बीजापुर रियासत के राजा उदय चंद कटोच ने किया ऐश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक

बीजापुर रियासत के राजा उदय चंद कटोच ने किया ऐश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक: वहीं, राजस्थान में बीजापुर रियासत के राजा उदय चंद कटोच ने कहा कि आज मुझे इस बात का गर्व है कि मुझे ऐश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक करने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि वे महाराजा के दोनों परिवारों की ओर से रिश्ते में आते हैं. वे महाराजा ऐश्वर्य चंद कटोच के पिता व माता दोनों की तरफ से उनके रिश्ते में आते है. उन्होंने ऐश्वर्य कटोच के दादा भाई होने के नाते राज्याभिषेक किया था.

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कटोच वंश के 489वें राजा ऐश्वर्य चंद कटोच के राजतिलक में पहुंचे लोग.

उन्होंने कहा कि इस समारोह को फैमिली फंक्शन के नजरिए से भी देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि आज हमारी कुल देवी के मंदिर में पूजा अर्चना की गई और उनके आशीर्वाद से आज फिर से गद्दी पर कोई महाराजा विराजमान हुआ है. उन्होंने कहा कि ऐश्वर्य चंद कटोच कोई शान बान के लिए गद्दी पर नहीं बैठे हैं. उन्होंने कहा कि आज जमाना बदल गया है, लेकिन इसमें देखने वाली बात यह है कि यह परंपरा फिर से शुरू हो गई है. उन्होंने बताया कि इस समारोह में कटोच परिवार तो शामिल हुए ही हैं, लेकिन कांगड़ा के जो स्थानीय लोगों का जो प्यार कटोच घराने को व महाराजा ऐश्वर्य चंद कटोच को मिला है उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है.

ये भी पढ़ें: 400 साल बाद कांगड़ा किले में राजतिलक, महाभारत काल से भी पुराने राजवंश और कांगड़ा के ऐतिहासिक किले की कहानी

कटोच वंश के 489वें 'राजा' बने ऐश्वर्य चंद

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बुधवार को राम नवमी के दिन कटोच वंश के 489वें राजा का राज्याभिषेक हुआ. पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रेश कुमारी के बेटे ऐश्वर्य चंद कटोच का राज्याभिषेक कांगड़ा के ऐतिहासिक किले में हुआ. जहां ढोल नगाड़ों के बीच विधिवत रूप से मंत्रो के बीच नए राजा का राजतिलक हुआ. इस समारोह में हिमाचल और राजस्थान के राज घरानों से जुड़े लोगों ने शिरकत की. राजशाही के खत्म हुए भले जमाना बीत गया हो लेकिन कांगड़ा के किले में जो राजसी ठाठ-बाट नजर आए उससे लगा मानों रियासत काल वापस लौट आया हो.

कांगड़ा किले में 400 साल बाद हुआ राज्याभिषेक- दरअसल राज्यभिषेक का ये मौका इसलिये भी खास था क्योंकि करीब 400 साल बाद कांगड़ा किले में किसी कटोच राजा का राज्याभिषेक हो रहा था. कांगड़ा किले में कटोच वंश की कुलदेवी माता अंबिका का आशीर्वाद लेकर राज्याभिषेक की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया गया. ऐश्वर्य चंद कटोच ने बताया कि "कटोच वंश के राजा हरिचंद द्वितीय का राजतिलक 1614 में यहां हुआ था. उसके बाद 1620 में मुगलों के साथ युद्ध के बाद कांगड़ा किला हार गए. जिसके बाद कटोच वंश अपनी राजधानी बदलता रहा और राज्याभिषेक की रस्में अलग-अलग जगह निभाई जाती रहीं, ये करीब 400 साल बाद ऐसा मौका आया है जब उनका राजतिलक इस किले में हुआ है".

aishwarya chand katoch 489th king
कटोच वंश की कुलदेवी माता अंबिका का मंदिर.

"ये राजशाही दिखाने का नहीं, परंपरा निभाने का मौका है"- ऐश्वर्य चंद कटोच ने बताया कि ये राज्याभिषेक राजसी ठाठ-बाट या राजशाही का दबदबा दिखाने का मौका नहीं है. बल्कि ये हमारी परंपरा है जिसे हम निभाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि "हम लोकतंत्र की इज्जत करते हैं, हम अपने स्तर पर लोगों की मदद और सेवा करते हैं. अगर कोई पार्टी हमें जनप्रतिनिधि बनने का मौका देती है तो उसके लिए भी तैयार हैं. लेकिन हम अपनी परंपरा को निभाते रहेंगे. इस तरह के कार्यक्रम हमारी सांस्कृतिक धरोहर है जिसे जिंदा रखना जरूरी है."

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कटोच वंश के 489वें राजा ऐश्वर्य चंद कटोच व अन्य.

2 अप्रैल को स्थानीय लोगों के लिए धाम का आयोजन: नए राजा को गद्दी पर आसीन करने का यह सारा कार्यक्रम पहाड़ों के अभेद दुर्ग माने जाने वाले कांगड़ा किले में हुआ. इस कार्यक्रम में कटोच पुरुष संतरी रंग की पगड़ी और महिलाएं संतरी रंग के दुपट्टे ओढ़कर शामिल हुईं. दोपहर करीब 12 बजे से एक बजे तक कांगड़ा किले में बीजापुर के ठाकुर उदय चंद कटोच द्वारा तिलक किया गया. उसके बाद त्रिगर्त दरबार में नजराना पेश किया गया. इसके बाद कटोच बिरादरी ने नए महाराज को तिलक किया. राजमाता चंद्रेश कुमारी ने नए महाराजा ऐश्वर्य चंद कटोच के राजतिलक के उपलक्ष्य में 2 अप्रैल को राजमहल लंबागांव में स्थानीय जनता के लिए कांगड़ी धाम का आयोजन भी किया जाएगा.

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कई राजपरिवारों के लोग राजतिलक कार्यक्रम में पहुंचे थे.

बता दें कि कांगड़ा दुर्ग में अंतिम राज्यभिषेक सन् 1629 में हुआ था. कांगड़ा के अलावा नादौन का अमतर किला कटोच शासकों का है. कटोच वंश के राजाओं ने कभी त्रिगर्त में 3000 मंदिर बनाए थे. ऐश्वर्य पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रेश कुमारी के पुत्र हैं. कांगड़ा किले के पास महाराजा संसार चंद म्यूजियम भी राजघराने परिवार द्वारा चलाया जा रहा है. वहीं, कांगड़ा का किला अपने 282 रक्षात्मक घेरों के साथ अजेय था. यह सतलुज, ब्यास व रावी नदी के आसपास का क्षेत्र था. महाभारत में त्रिगर्त राज्य के राजा सुशर्म चंद द्वारा कौरवों के पक्ष में लड़ाई का जिक्र है. कटोच वंश के राजाओं भूमि चंद, सुशर्म चंद, संसार चंद, जयचंद का इतिहास में विशेष जिक्र है.

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राजस्थान की बीजापुर रियासत के राजा उदय चंद कटोच ने किया ऐश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक

बीजापुर रियासत के राजा उदय चंद कटोच ने किया ऐश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक: वहीं, राजस्थान में बीजापुर रियासत के राजा उदय चंद कटोच ने कहा कि आज मुझे इस बात का गर्व है कि मुझे ऐश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक करने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि वे महाराजा के दोनों परिवारों की ओर से रिश्ते में आते हैं. वे महाराजा ऐश्वर्य चंद कटोच के पिता व माता दोनों की तरफ से उनके रिश्ते में आते है. उन्होंने ऐश्वर्य कटोच के दादा भाई होने के नाते राज्याभिषेक किया था.

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कटोच वंश के 489वें राजा ऐश्वर्य चंद कटोच के राजतिलक में पहुंचे लोग.

उन्होंने कहा कि इस समारोह को फैमिली फंक्शन के नजरिए से भी देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि आज हमारी कुल देवी के मंदिर में पूजा अर्चना की गई और उनके आशीर्वाद से आज फिर से गद्दी पर कोई महाराजा विराजमान हुआ है. उन्होंने कहा कि ऐश्वर्य चंद कटोच कोई शान बान के लिए गद्दी पर नहीं बैठे हैं. उन्होंने कहा कि आज जमाना बदल गया है, लेकिन इसमें देखने वाली बात यह है कि यह परंपरा फिर से शुरू हो गई है. उन्होंने बताया कि इस समारोह में कटोच परिवार तो शामिल हुए ही हैं, लेकिन कांगड़ा के जो स्थानीय लोगों का जो प्यार कटोच घराने को व महाराजा ऐश्वर्य चंद कटोच को मिला है उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है.

ये भी पढ़ें: 400 साल बाद कांगड़ा किले में राजतिलक, महाभारत काल से भी पुराने राजवंश और कांगड़ा के ऐतिहासिक किले की कहानी

Last Updated : Mar 30, 2023, 7:59 PM IST
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