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Karnataka Election : डीके शिवकुमार के विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला, सब कर रहे जीत के दावे

कर्नाटक में 10 मई मतदान होना है. कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार मैदान में हैं. यहां भाजपा ने आर अशोक को टिकट दिया है, जबकि जेडीएस ने स्थानीय नेता नागराजू को उतारा है. कुल मिलाकर यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं.

Karnataka Election
कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार
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Published : Apr 29, 2023, 7:39 PM IST

रामनगर (कर्नाटक) : कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार का गढ़ है. भाजपा से मंत्री आर अशोक और जेडीएस से स्थानीय नेता नागराज डीके शिवकुमार से मुकाबला करने के लिए चुनाव मैदान में डटे हुए हैं. इससे यहां मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है.

डीके शिवकुमार को हराने के लिए बीजेपी की रणनीति : इस बार कहा जा रहा है कि कनकपुरा सीट पर जीत उतनी आसान नहीं है, जितना डीके शिवकुमार सोच रहे थे. कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार इतने वर्षों तक निर्वाचन क्षेत्र में मजबूत नेता रहे हैं इसलिए वे मजबूत उम्मीदवार थे, लेकिन अब जेडीएस और बीजेपी ने उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं.

बीजेपी ने डीके शिवकुमार को हराने के लिए रणनीति तैयार की है. यही वजह है कि उसने इस निर्वाचन क्षेत्र में वोक्कालिगा के मजबूत नेता आर अशोक को मैदान में उतारा है, क्योंकि यहां वोक्कालिगा के वोट निर्णायक हैं. वहीं, आर अशोक और प्रदेश भाजपा प्रभारी अरुण सिंह, सीटी रवि, डॉ. अश्वथ नारायण समेत कई नेता इस क्षेत्र में जमकर प्रचार कर रहे हैं. विधानसभा क्षेत्र में परिवर्तन की हवा चल रही है और इस बार कनकपुरा दुर्ग में कमल खिलेगा, ऐसा भाजपा नेताओं का मानना है.

भाजपा को जीत का भरोसा : भाजपा उम्मीदवार आर अशोक का कहना है कि 'मैं मतदाताओं से बिना किसी डर या चिंता के वोट डालने की अपील करता हूं. केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने कनकपुरा को बहुत अधिक अनुदान दिया है. यह कनकपुरा के विकास में भाजपा सरकारों का योगदान है. डीके शिवकुमार कनकपुरा में एक मेडिकल कॉलेज लाने में भी विफल रहे हैं. इस बार मतदाता मेरा समर्थन करेंगे.'

शिवकुमार मजबूत दावेदार : वहीं, KPCC अध्यक्ष डीके शिवकुमार कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र से मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं. डीके शिवकुमार लगातार 7 बार विधायक चुने गए हैं, कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने से पहले वह सतनूर निर्वाचन क्षेत्र से 4 बार विधायक चुने गए. 2008 से वे लगातार कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र से जीतते आ रहे हैं. हर चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ता जा रहा है जो उनके लोगों के समर्थन का सबूत है.

डीके शिवकुमार, जिन्हें इस बार कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया है, उनका इस निर्वाचन क्षेत्र में कोई विरोधी नहीं है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 'बीजेपी से आर अशोक भले ही मैदान में हों लेकिन चुनावी खेल में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है. भले ही अशोक भाजपा में एक शक्तिशाली वोक्कालिगा नेता हैं, लेकिन उनके पास इस निर्वाचन क्षेत्र में योगदान देने के लिए कुछ भी नहीं है. वह इस निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक अतिथि हैं. हमारा आतिथ्य स्वीकार करने के लिए मैदान में आए हैं.'

डीके शिवकुमार की पत्नी उषा कर रहीं प्रचार: कांग्रेस प्रत्याशी डीके शिवकुमार की ओर से पत्नी उषा शिवकुमार और बेटी प्रचार में जुटी हैं. आमतौर पर डीके शिवकुमार की पत्नी सार्वजनिक कार्यक्रमों में कम शामिल होती हैं. उषा शिवकुमार ने कहा कि 'डीके शिवकुमार ने क्षेत्र में विकास किया है. शिवकुमार को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला आलाकमान का है. मुझे विश्वास है कि निर्वाचन क्षेत्र के लोग फिर से शिवकुमार का समर्थन करेंगे.'

जेडीएस दे रही टक्कर : वहीं, जेडीएस ने कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवारों को टक्कर देने के लिए कनकपुरा सीट पर स्थानीय उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. एस नागराजू, जो कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष थे, जेडीएस से चुनाव लड़ रहे हैं, वह इन दिनों पूरे विधानसभा क्षेत्र में प्रचार में जुटे हुए हैं.

नागराजू का कहना है कि 'मैं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के विकास कार्यों पर प्रचार कर रहा हूं, जो जेडीएस नेता हैं. कुमारस्वामी होंगे अगले मुख्यमंत्री. कांग्रेस और बीजेपी पार्टियों में अंदरूनी सहमति है. जेडीएस के बारे में जनता की अच्छी राय है, मैं जीतूंगा.'

गौरतलब है कि एचडी देवेगौड़ा, एचडी कुमारस्वामी ने भी कनकपुरा में चुनाव लड़ा था जब सतनूर निर्वाचन क्षेत्र पहले मौजूद था. जनता परिवार के नेता रहे पीजीआर सिंधिया कनकपुरा से विधायक के रूप में कई बार जीत चुके हैं. आज भी यहां जेडीएस के पारंपरिक वोट हैं. इसलिए यहां ऐसे कार्यकर्ता हैं जो उम्मीदवार की परवाह किए बिना पार्टी के प्रति वफादारी दिखाते हैं.

यहां पिछले चुनाव में जेडीएस ने आखिरी समय में नारायण गौड़ा को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. चुनाव प्रचार न होने के बावजूद जेडीएस के पक्ष में 47 हजार वोट आए. इस वजह से कहा जा रहा है कि इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि इस बार स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दिया गया है.

पढ़ें- karnataka Assembly Election 2023: मोदी ने सिद्धरमैया पर साधा निशाना, कहा- दयनीय हालत में पहुंच गए हैं

रामनगर (कर्नाटक) : कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार का गढ़ है. भाजपा से मंत्री आर अशोक और जेडीएस से स्थानीय नेता नागराज डीके शिवकुमार से मुकाबला करने के लिए चुनाव मैदान में डटे हुए हैं. इससे यहां मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है.

डीके शिवकुमार को हराने के लिए बीजेपी की रणनीति : इस बार कहा जा रहा है कि कनकपुरा सीट पर जीत उतनी आसान नहीं है, जितना डीके शिवकुमार सोच रहे थे. कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार इतने वर्षों तक निर्वाचन क्षेत्र में मजबूत नेता रहे हैं इसलिए वे मजबूत उम्मीदवार थे, लेकिन अब जेडीएस और बीजेपी ने उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं.

बीजेपी ने डीके शिवकुमार को हराने के लिए रणनीति तैयार की है. यही वजह है कि उसने इस निर्वाचन क्षेत्र में वोक्कालिगा के मजबूत नेता आर अशोक को मैदान में उतारा है, क्योंकि यहां वोक्कालिगा के वोट निर्णायक हैं. वहीं, आर अशोक और प्रदेश भाजपा प्रभारी अरुण सिंह, सीटी रवि, डॉ. अश्वथ नारायण समेत कई नेता इस क्षेत्र में जमकर प्रचार कर रहे हैं. विधानसभा क्षेत्र में परिवर्तन की हवा चल रही है और इस बार कनकपुरा दुर्ग में कमल खिलेगा, ऐसा भाजपा नेताओं का मानना है.

भाजपा को जीत का भरोसा : भाजपा उम्मीदवार आर अशोक का कहना है कि 'मैं मतदाताओं से बिना किसी डर या चिंता के वोट डालने की अपील करता हूं. केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने कनकपुरा को बहुत अधिक अनुदान दिया है. यह कनकपुरा के विकास में भाजपा सरकारों का योगदान है. डीके शिवकुमार कनकपुरा में एक मेडिकल कॉलेज लाने में भी विफल रहे हैं. इस बार मतदाता मेरा समर्थन करेंगे.'

शिवकुमार मजबूत दावेदार : वहीं, KPCC अध्यक्ष डीके शिवकुमार कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र से मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं. डीके शिवकुमार लगातार 7 बार विधायक चुने गए हैं, कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने से पहले वह सतनूर निर्वाचन क्षेत्र से 4 बार विधायक चुने गए. 2008 से वे लगातार कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र से जीतते आ रहे हैं. हर चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ता जा रहा है जो उनके लोगों के समर्थन का सबूत है.

डीके शिवकुमार, जिन्हें इस बार कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया है, उनका इस निर्वाचन क्षेत्र में कोई विरोधी नहीं है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 'बीजेपी से आर अशोक भले ही मैदान में हों लेकिन चुनावी खेल में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है. भले ही अशोक भाजपा में एक शक्तिशाली वोक्कालिगा नेता हैं, लेकिन उनके पास इस निर्वाचन क्षेत्र में योगदान देने के लिए कुछ भी नहीं है. वह इस निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक अतिथि हैं. हमारा आतिथ्य स्वीकार करने के लिए मैदान में आए हैं.'

डीके शिवकुमार की पत्नी उषा कर रहीं प्रचार: कांग्रेस प्रत्याशी डीके शिवकुमार की ओर से पत्नी उषा शिवकुमार और बेटी प्रचार में जुटी हैं. आमतौर पर डीके शिवकुमार की पत्नी सार्वजनिक कार्यक्रमों में कम शामिल होती हैं. उषा शिवकुमार ने कहा कि 'डीके शिवकुमार ने क्षेत्र में विकास किया है. शिवकुमार को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला आलाकमान का है. मुझे विश्वास है कि निर्वाचन क्षेत्र के लोग फिर से शिवकुमार का समर्थन करेंगे.'

जेडीएस दे रही टक्कर : वहीं, जेडीएस ने कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवारों को टक्कर देने के लिए कनकपुरा सीट पर स्थानीय उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. एस नागराजू, जो कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष थे, जेडीएस से चुनाव लड़ रहे हैं, वह इन दिनों पूरे विधानसभा क्षेत्र में प्रचार में जुटे हुए हैं.

नागराजू का कहना है कि 'मैं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के विकास कार्यों पर प्रचार कर रहा हूं, जो जेडीएस नेता हैं. कुमारस्वामी होंगे अगले मुख्यमंत्री. कांग्रेस और बीजेपी पार्टियों में अंदरूनी सहमति है. जेडीएस के बारे में जनता की अच्छी राय है, मैं जीतूंगा.'

गौरतलब है कि एचडी देवेगौड़ा, एचडी कुमारस्वामी ने भी कनकपुरा में चुनाव लड़ा था जब सतनूर निर्वाचन क्षेत्र पहले मौजूद था. जनता परिवार के नेता रहे पीजीआर सिंधिया कनकपुरा से विधायक के रूप में कई बार जीत चुके हैं. आज भी यहां जेडीएस के पारंपरिक वोट हैं. इसलिए यहां ऐसे कार्यकर्ता हैं जो उम्मीदवार की परवाह किए बिना पार्टी के प्रति वफादारी दिखाते हैं.

यहां पिछले चुनाव में जेडीएस ने आखिरी समय में नारायण गौड़ा को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. चुनाव प्रचार न होने के बावजूद जेडीएस के पक्ष में 47 हजार वोट आए. इस वजह से कहा जा रहा है कि इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि इस बार स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दिया गया है.

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