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असम के कामाख्या मंदिर का ठीक से रखरखाव नहीं हो रहा: सुप्रीम कोर्ट - temple not being properly maintained

असम के कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) का रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है. मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि स्वच्छता को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.

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Published : Oct 19, 2022, 4:14 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि असम में कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) का रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि स्वच्छता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (Justices Ajay Rastogi) और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार (Justices CT Ravikumar) की पीठ मंदिर के रखरखाव से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी.

न्यायमूर्ति रस्तोगी ने कहा, 'मैं छुट्टियों के दौरान वहां गया था और मंदिर का रखरखाव तब भी ठीक से नहीं किया जा रहा था. यह मेरी निजी राय है. लेकिन स्वच्छता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है.' मंदिर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन (Senior advocate Rajeev Dhavan) ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां केवल कुछ लोगों ने पत्र लिखकर कहा है कि स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.

उन्होंने अदालत को बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जैसे विशेषज्ञ निकायों को शामिल कर मंदिर के रखरखाव का कार्य किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों के बीच संभावित सौहार्दपूर्ण समाधान को सक्षम बनाने के मकसद से मामले की सुनवाई को जनवरी 2023 तक के लिए टाल दिया.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर जल्द सुनवाई करने को कहा

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि असम में कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) का रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि स्वच्छता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (Justices Ajay Rastogi) और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार (Justices CT Ravikumar) की पीठ मंदिर के रखरखाव से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी.

न्यायमूर्ति रस्तोगी ने कहा, 'मैं छुट्टियों के दौरान वहां गया था और मंदिर का रखरखाव तब भी ठीक से नहीं किया जा रहा था. यह मेरी निजी राय है. लेकिन स्वच्छता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है.' मंदिर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन (Senior advocate Rajeev Dhavan) ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां केवल कुछ लोगों ने पत्र लिखकर कहा है कि स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.

उन्होंने अदालत को बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जैसे विशेषज्ञ निकायों को शामिल कर मंदिर के रखरखाव का कार्य किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों के बीच संभावित सौहार्दपूर्ण समाधान को सक्षम बनाने के मकसद से मामले की सुनवाई को जनवरी 2023 तक के लिए टाल दिया.

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