भोपाल : कोरोना काल में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर गए मध्य प्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है. मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मुलाकात के बाद जूडा ने अपनी हड़ताल वापस ले ली. जल्द मांगें माने जाने के आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ली गई है. मध्य प्रदेश के 6 सरकारी अस्पतालों के 3 हजार से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स अपनी मांगों को लेकर गुरुवार सुबह से हड़ताल पर चले गए थे. अस्पताल में भर्ती अपने साथियों को बेहतर इलाज मिलने समेत कई मांगों को लेकर जूडा ने ये हड़ताल शुरू की थी.
कोविड वार्ड के डॉक्टर्स नहीं हुए शामिल
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हड़ताल के पहले दिन कोविड वार्ड में ड्यूटी देने वाले डॉक्टर्स को इससे दूर रखा. हड़ताल के पहले दिन कोविड वार्ड में ड्यूटी करने वाले जूनियर डॉक्टर्स अपनी ड्यूटी करते रहे. लेकिन जूडा ने हड़ताल के दूसरे दिन कोविड वार्ड में ड्यूटी दे रहे जूनियर डॉक्टर्स को शामिल करने की चेतावनी दी थी. इसका असर ये हुआ कि शाम तक ही सरकार ने जूडा की हड़ताल खत्म करवा दी.
दिन में बिगड़ने लगे थे हालात
गुरुवार सुबह राजधानी के हमीदिया अस्पताल में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन द्वारा अपनी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू की थी. सुबह से ही हड़ताल का थोड़ा-थोड़ा असर अस्पताल की व्यवस्था पर दिखने लगा था. मरीजों को इलाज करवाने में परेशानी का सामना करना पड़ा. इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध ना होने से मरीजों को भर्ती होने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ी. ऐसे ही हाल इंदौर में भी बनते दिखाई दिए.
ग्वालियर के डॉक्टर्स ने भी दी थी चेतावनी
इंदौर और भोपाल की तरह ग्वालियर में भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल तो नहीं हुई, लेकिन उन्होंने गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉक्टर समीर गुप्ता और जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉक्टर आरकेएस धाकड़ को एक नोटिस भेजकर चेतावनी दी है. जुनियर डॉक्टरों ने कहा कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वह भी काम बंद कर सकते हैं.
क्या हैं जूडा की मांगें ?
जूनियर डॉक्टर्स ने सरकार के सामने पांच सूत्रीय मांगें रखी थीं और यह आरोप लगाया था कि इनमें से कुछ मांगें, तो ऐसी हैं जिनका वायदा खुद मुख्यमंत्री की ओर से किया गया था. लेकिन उन्हें एक साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं किया गया है.
- सरकार की ओर से 6% सालाना मानदेय बढ़ाने का वायदा पूरा किया जाए.
- जूनियर डॉक्टरों के इलाज की बेहतर व्यवस्था की जाए.
- कोरोना के दौरान प्रति महीने 10 हज़ार रुपये मानदेय देने का वायदा पूरा किया जाए.
- जूनियर डॉक्टर्स को ग्रामीण सेवा के बंधन से मुक्त किया जाए.
- कोरोना काल में सेवा के लिए प्रशस्ती पत्र दिया जाए जिसका फायदा सरकारी भर्तियों में मिले.
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