हैदराबाद : चीफ जस्टिस एनवी रमना ने शुक्रवार को कहा कि देश की न्यायपालिका बोझ से दबी हुई है और इसीलिये उनकी प्राथमिकता जजों के खाली पद पर नियुक्तियां करना तथा बुनियादी ढांचे को मजबूत करके लंबित मुकदमों का निपटारा करना है. चीफ जस्टिस ने तेलंगाना के न्यायिक अधिकारियों के दो दिवसीय सम्मलेन के उद्घाटन समारोह में कहा कि पदभार ग्रहण करते ही उन्होंने इन दोनों समस्याओं की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा, 'न्याय तक पहुंच सिर्फ तभी संभव है, जब हम न सिर्फ पर्याप्त संख्या में अदालतें मुहैया कराएं बल्कि बुनियादी ढांचा भी दें, ताकि लोग न्याय पाने के लिए अदालत आएं.'
गाचीबोवली के अन्वाया कन्वेंशन सेंटर (anvaya convention center in gachibowli) में सीएम केसीआर और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की मौजूदगी में चीफ जस्टिस ने कहा, 'हमारी न्यायपालिका बोझ से दबी है. यह एक गैरविवादित तथ्य है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ गई है और इसके सैकड़ों कारण हैं. ऐसी स्थिति में यह विचार उठने लगता है कि अगर आप अदालत की शरण में गए भी तो परिणाम आने में कितने साल लग जाएंगे. यह एक बहुत बड़ा सवाल है. हमारे यहां जो अपील करने की प्रणाली है, उससे भी समय अधिक लगता है.' उन्होंने कहा,'मैंने इसीलिए महसूस किया कि जितना हो सके जजों की नियुक्ति करनी जरूरी है. मैं हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट या जिला अदालतों में एक भी पद रिक्त रखना नहीं चाहता हूं.'
उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के सर्वेक्षण से पता चला है कि अदालतों का बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है. उन्होंने केंद्र सरकार से इसे मजबूत करने का आग्रह किया है. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने जजों को कोरोना महामारी के भय से बाहर निकलने का आग्रह करते हुए कहा कि वे कोर्ट के नियमित समय से अधिक समय देने का कष्ट करें ताकि लंबित मामलों को निपटाया जा सके.
उन्होंने कहा कि जब तक न्याय व्यवस्था की प्रणाली को आंतरिक रूप से प्रभावी नहीं बनाया जाएगा तब तक लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है. उन्होंने जजों पर होने वाले हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है और वह इसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के लिए कोर्ट के अंदर तथा बाहर सुरक्षा को बेहतर बनाने के निर्देश दिए गए हैं.
फैसला सुनाते समय मानवीय पक्ष का जरूर ध्यान रखें : उन्होंने न्यायिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे फैसला सुनाते समय मानवीय पक्ष का जरूर ध्यान रखें और सभी का सम्मान करें. वे अपने समक्ष उपस्थित सबूतों के बारे में स्वतंत्र राय कायम करें. वे नए फैसलों और कानूनों की जानकारी रखें. उन्होंने कहा कि न्याय के क्षेत्र में सीखना कभी बंद नहीं होता है. नए कानूनों, प्रक्रियाओं और फैसलों की जानकारी न्याय सुनिश्चित करने में मदद करती है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने न्यायपालिका के लिए 4,320 रिक्तियों को भरने की मंजूरी दी, जो एक उपलब्धि है. उन्होंने हैदराबाद में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना को भी उल्लेखनीय प्रगति बताया और कहा कि महाराष्ट्र तथा अन्य राज्यों से भी ऐसे केंद्र की स्थापना की मांगें आ रही हैं. मुख्यमंत्री ने तेलंगाना हाईकोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने पर चीफ जस्टिस का धन्यवाद दिया और घोषणा की उन सभी 44 जजों के लिए दुरगम शेरूवु के पास 30 से 42 एकड़ जमीन पर सरकारी आवास का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने चीफ जस्टिस से उसका शिलान्यास करने का आग्रह किया.
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