रांची : झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की एकल पीठ ने इससे पहले 7 जून को छठे जेपीएससी परीक्षा परिणाम के लिए मेरिट सूची रद्द कर दी थी और आठ सप्ताह में नए सिरे से मेरिट बनाने के निर्देश दिए थे.
जेपीएससी परीक्षा में चयनित 326 उम्मीदवारों को अंतरिम राहत देते हुए मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई के लिए 28 सितंबर की तारीख तय की है.
सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार के रुख पर चिंता व्यक्त की. जब झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि सरकार ने एकल पीठ के आदेश को लागू करने का फैसला किया है. इसलिए, सरकार ने आदेश के खिलाफ अपील नहीं की.
एकल पीठ द्वारा मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सरकार ने जेपीएससी द्वारा जारी मेरिट सूची को सही ठहराया है लेकिन सरकार अब अपना फैसला बदल रही है. हालांकि जेपीएससी ने सरकार के रुख पर सहमति जताई है.
जेपीएससी के वकील संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की है, जब अदालत ने सवाल किया कि क्या जेपीएससी आदेश को चुनौती देगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या अपील वापस ले ली गई, उन्होंने अदालत को सूचित किया कि यह अदालत की मंजूरी के बिना नहीं हो सकती क्योंकि यह अदालत में लंबित है. आवेदकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रशांत भूषण ने जेपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन में उल्लिखित सभी शर्तों का अनुपालन करने वाली मेरिट सूची को सही ठहराया.
सुनवाई पूरी होने पर झारखंड के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश को लागू करने का फैसला किया है. जिसका मतलब है कि मेरिट लिस्ट में संशोधन किया जाएगा. सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती नहीं दी.
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हालांकि कोर्ट ने यह टिप्पणी की है कि सरकार अपना रुख बदल रही है और अब तटस्थ हो गई है, जबकि आवेदकों की नौकरी पर मंडरा रहे खतरे के बारे में आगाह किया है. अदालत ने माना कि अपील दायर करना या नहीं करना सरकार का फैसला होगा.