नई दिल्ली : कर्ज में फंसी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के रिणदाता समूह की सोमवार सुबह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी द्वारा सौंपे गये प्रस्ताव पर चर्चा के लिये बैठक होगी. हालांकि, जेआईएल के लिये बोली लगाने वाले निजी क्षेत्र के सुरक्षा समूह ने रिणदाता समिति के इस कदम का पुरजोर विरोध किया है. सुरक्षा समूह ने चेतावनी दी है कि यदि उसके प्रस्ताव पर तय समय के मुताबिक मतदान शुरू नहीं हुआ तो वह कानूनी कार्रवाई करेगा.
जेपी इंफ्राटेक के रिणदाताओं की समिति (सीआईसी) की अचानक यह बैठक दरअसल, एनबीसीसी का पत्र मिलने के बाद तय की गई है. एनबीसीसी ने अंतरिम समाधान पेशेवर अनुज जैन को कड़े शब्दों में लिखे पत्र में कंपनी की पेशकश को ठुकराने के उनके (अनुज जैन) के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया है.
इससे पहले 20 मई को सीओसी ने सुरक्षा समूह के प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए एनबीसीसी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और सुरक्षा समूह की पेशकश को मतदान के लिये रखे जाने का फैसला किया था.
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सूत्रों के मुताबिक, सीओसी की बैठक सोमवार को सुबह 10 बजे से दोपहर तक होगी. खास बात यह है कि सुरक्षा समूह की बोली पर मतदान की शुरुआत का समय 24 मई (सोमवार) को दोपहर से लेकर 27 मई की शाम पांच बजे तक रखा गया है.
सूत्रों ने बताया कि सोमवार की बैठक में एनबीसीसी की समाधान योजना और उसमें जोड़ी गई नई पेशकशों की पुष्टि व उन पर विचार विमर्श करने के साथ ही कंपनी दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के तहत अगले कदम को एजेंडा में रखा गया है.
पांच रिणदाताओं- स्टेट बैंक, आईआईएफसीएल, आईडीबीआई, यूबीआई और एलआईसी द्वारा सीओसी की बैठक बुलाने का आह्वान करने पर ही अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) ने सीओसी की बैठक बुलाने का फैसला किया.
रविवार को भेजी गई नियामकीय सूचना में अनुज जैन ने शेयरधारकों को सूचित किया है कि सीओसी की एक बैठक 24 मई को तय की गई है. कर्जदाताओं ने बैठक बुलाने का आग्रह एनबीसीसी के 23 मई को भेजे पत्र के बाद किया. एनबीसीसी ने आईआरपी के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुये यह पत्र भेजा. इसके साथ ही उसने रिणदाताओं द्वारा उठाये गये सवालों पर 14 पन्ने का स्पष्टीकरण भी अलग से भेजा.
बहरहाल, सुरक्षा समूह ने 24 मई को होने वाले रिणदाताओं की समिति की बैठक का कड़ाई के साथ विरोध किया है. सुरक्षा समूह ने कहा है कि एनबीसीसी की अतिरिक्त जानकारी को उसकी अंतिम बोली में शामिल कर उस पर चर्चा नहीं होनी चाहिये, क्योंकि यह 18 मई को शाम चार बजे की समयसीमा के बाद सौंपा गया है.
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मुंबई के सुरक्षा समूह ने कहा है कि उसके मंजूरी प्राप्त प्रस्ताव पर यदि मतदान की प्रक्रिया में कोई देरी अथवा बदलाव किया जाता है तो वह रिणदाता बैंकों और संस्थानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता अपनायेगा.
समूह ने बैंकों और आईआरपी को पत्र लिखकर दिवाला प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाये रखने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा, प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता के हित में सीओसी को 18 मई 2021 को समयसीमा समाप्त होने के बाद सौंपे गये एनबीसीसी के प्रस्ताव पर विचार ही नहीं करना चाहिये.
सुरक्षा समूह ने अपनी आपत्ति को लेकर जो तर्क दिये हैं उनमें कहा गया है कि उसने 18 मई को शाम चार बजे की तय समयसीमा के भीतर समाधान योजना सौंपी है, जबकि एनबीसीसी की योजना न केवल तय समयसीमा के बाद सौंपी गई बल्कि सुरक्षा की योजना को खोल दिये जाने और उसे सीओसी सदस्यों को वितरित कर दिये जाने के बाद प्राप्त हुई.
सुरक्षा समूह ने कहा कि प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाये रखने के लिये सीओसी को एनबीसीसी द्वारा 18 मई 2021 को सौंपे गई योजना पर किसी तरह का विचार ही नहीं करना चाहिये. यदि समाधान योजना को प्राप्त हुआ ही नहीं माना जायेगा तो फिर उसमें कुछ नया जोड़ने का सवाल ही नहीं उठता है.
सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा समूह सीओसी की बैठक बुलाये जाने के फैसले से बहुत नाराज है. यदि रिणदाताओं ने एनबीसीसी के प्रस्ताव पर मतदान की अनुमति दी तो सुरक्षा समूह इस प्रक्रिया से बाहर भी हो सकता है.
(भाषा)