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Joshimath Sinking: जोशीमठ आपदा प्रभावितों ने निकाली आक्रोश रैली, लगाए 'NTPC GO BACK' के नारे

जोशीमठ आपदा प्रभावितों ने जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आक्रोश रैली निकाली. रैली में शामिल हुए सामाजिक कार्यकर्ता व जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि जोशीमठ आपदा की वजह एनसीटीपीसी की विष्णुघाट परियोजना है. इस परियोजना को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द प्रभावितों का विस्थापन किए जाने की मांग की है.

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Published : Jan 27, 2023, 2:53 PM IST

जोशीमठ आपदा प्रभावितों ने निकाली आक्रोश रैली

चमोली: जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation Limited) द्वारा बनाई जा रही सुरंग को बताया जा रहा है. जिसको लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का आंदोलन जारी है. एनटीपीसी की विष्णुघाट परियोजना को तत्काल बंद किए जाने की मांग को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले प्रभावितों ने आक्रोश रैली निकाली. इस रैली में जोशीमठ के अलग-अलग गांवों से हजारों की संख्या ग्रामीण शामिल हुए.

आपदा प्रभावितों की रैली में शामिल हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रेश मैखुरी ने जोशीमठ आपदा के लिए एनटीपीसी की विष्णुघाट परियोजना को जिम्मेदार ठहराया है. इंद्रेश मैखुरी ने ईटीवी भारत से कहा कि इसलिए जोशीमठ आपदा प्रभावितों की मांग है कि विष्णुघाट परियोजना को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. उन्होंने कहा कि हेलंग मारवाड़ी बायपास का काम बंद होना चाहिए.

इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि जोशीमठ आपदा के इतने दिनों बाद भी आपदा प्रभावितों के विस्थापन, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के के लिए सरकार ने कोई भी योजना लागू नहीं की है. ऐसे में उन्होंने जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार त्वरित गति से काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकारी काम कछुआ चाल बंद होना चाहिए. आक्रोश रैली में शामिल महिलाओं ने कहा कि जोशीमठ के आपदा प्रभावितों में एनटीपीसी परियोजना को लेकर भारी आक्रोश है. एनटीपीसी की वजह से आज हम सड़क पर आ गए हैं.
ये भी पढ़ें- Joshimath Sinking: प्रभावित कृषि भूमि के आंकलन का निर्देश, गणेश बोले- कांग्रेस कुछ कहे, काम हो रहा है

जोशीमठ में 863 घरों में दरारेंः जोशीमठ नगर क्षेत्र में भू-धंसाव के कारण अभी तक 863 भवनों को चिन्हित किया गया है, जिनमें दरारें मिली हैं. इसमें से 181 भवन असुरक्षित जोन में हैं. जबकि, आपदा प्रभावित 282 परिवारों के 947 सदस्यों को राहत शिविरों में रुकवाया गया है. राहत शिविरों में भोजन, पेयजल, चिकित्सा आदि की मूलभूत सुविधाएं प्रभावितों को उपलब्ध कराई जा रही हैं. सार्वजनिक स्थानों, चौराहों और राहत शिविरों के आसपास 20 स्थानों पर नियमित रूप से अलाव की व्यवस्था की गई है.

जोशीमठ प्रभावित परिवारों के तीक्ष्ण एवं पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों, विशेष पुनर्वास पैकेज की अग्रिम धनराशि, सामान ढुलाई और तात्कालिक आवश्यकताओं के लिए एकमुश्त विशेष ग्रांट के रूप में धनराशि दी जा रही है. चमोली जिला प्रशासन के मुताबिक अभी तक 585 प्रभावितों को 388.27 लाख की राहत धनराशि वितरित की जा चुकी है.

एनटीपीसी दे चुका है सफाईः वहीं, एनटीपीसी ने परियोजना और जोशीमठ के धंसने के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया है. एनटीपीसी के मुताबिक, तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना से जुड़ी टनल जमीन से एक किलोमीटर से ज्यादा नीचे है. यह टनल जोशीमठ के नीचे भी नहीं है. इससे पहले जारी एक बयान में कहा था कि एनटीपीसी की ओर से बनाई गई टनल जोशीमठ के नीचे से नहीं गुजरती है. यह टनल एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के जरिए खोदी गई है और वर्तमान में कोई विस्फोट नहीं किया जा रहा है.

जोशीमठ आपदा प्रभावितों ने निकाली आक्रोश रैली

चमोली: जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation Limited) द्वारा बनाई जा रही सुरंग को बताया जा रहा है. जिसको लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का आंदोलन जारी है. एनटीपीसी की विष्णुघाट परियोजना को तत्काल बंद किए जाने की मांग को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले प्रभावितों ने आक्रोश रैली निकाली. इस रैली में जोशीमठ के अलग-अलग गांवों से हजारों की संख्या ग्रामीण शामिल हुए.

आपदा प्रभावितों की रैली में शामिल हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रेश मैखुरी ने जोशीमठ आपदा के लिए एनटीपीसी की विष्णुघाट परियोजना को जिम्मेदार ठहराया है. इंद्रेश मैखुरी ने ईटीवी भारत से कहा कि इसलिए जोशीमठ आपदा प्रभावितों की मांग है कि विष्णुघाट परियोजना को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. उन्होंने कहा कि हेलंग मारवाड़ी बायपास का काम बंद होना चाहिए.

इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि जोशीमठ आपदा के इतने दिनों बाद भी आपदा प्रभावितों के विस्थापन, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के के लिए सरकार ने कोई भी योजना लागू नहीं की है. ऐसे में उन्होंने जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार त्वरित गति से काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकारी काम कछुआ चाल बंद होना चाहिए. आक्रोश रैली में शामिल महिलाओं ने कहा कि जोशीमठ के आपदा प्रभावितों में एनटीपीसी परियोजना को लेकर भारी आक्रोश है. एनटीपीसी की वजह से आज हम सड़क पर आ गए हैं.
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जोशीमठ में 863 घरों में दरारेंः जोशीमठ नगर क्षेत्र में भू-धंसाव के कारण अभी तक 863 भवनों को चिन्हित किया गया है, जिनमें दरारें मिली हैं. इसमें से 181 भवन असुरक्षित जोन में हैं. जबकि, आपदा प्रभावित 282 परिवारों के 947 सदस्यों को राहत शिविरों में रुकवाया गया है. राहत शिविरों में भोजन, पेयजल, चिकित्सा आदि की मूलभूत सुविधाएं प्रभावितों को उपलब्ध कराई जा रही हैं. सार्वजनिक स्थानों, चौराहों और राहत शिविरों के आसपास 20 स्थानों पर नियमित रूप से अलाव की व्यवस्था की गई है.

जोशीमठ प्रभावित परिवारों के तीक्ष्ण एवं पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों, विशेष पुनर्वास पैकेज की अग्रिम धनराशि, सामान ढुलाई और तात्कालिक आवश्यकताओं के लिए एकमुश्त विशेष ग्रांट के रूप में धनराशि दी जा रही है. चमोली जिला प्रशासन के मुताबिक अभी तक 585 प्रभावितों को 388.27 लाख की राहत धनराशि वितरित की जा चुकी है.

एनटीपीसी दे चुका है सफाईः वहीं, एनटीपीसी ने परियोजना और जोशीमठ के धंसने के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया है. एनटीपीसी के मुताबिक, तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना से जुड़ी टनल जमीन से एक किलोमीटर से ज्यादा नीचे है. यह टनल जोशीमठ के नीचे भी नहीं है. इससे पहले जारी एक बयान में कहा था कि एनटीपीसी की ओर से बनाई गई टनल जोशीमठ के नीचे से नहीं गुजरती है. यह टनल एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के जरिए खोदी गई है और वर्तमान में कोई विस्फोट नहीं किया जा रहा है.

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