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वाम सहयोगी संगठनों का राष्ट्रीय सम्मेलन, किसानों-मजदूरों से एकजुटता का आह्वान

वाम सहयोगी संगठनों ने दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन कर किसानों, श्रमिकों से एकजुटता का आह्वान किया. तीनों संगठनों के नेताओं ने संसद के 2023 के बजट सत्र के दौरान 'मजदूर संघर्ष रैली 2.0' में मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों की भारी जुझारू लामबंदी करने की घोषणा की है.

Joint National Convention
वाम सहयोगी संगठनों का राष्ट्रीय सम्मेलन
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Published : Sep 5, 2022, 9:04 PM IST

नई दिल्ली : वाम सहयोगी संगठनों की ओर से संयुक्त रूप से सोमवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सम्मेलन (joint National Convention) आयोजित किए गया. हजारों श्रमिक, किसान और कृषि श्रमिकों की मौजूदगी में अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ, भारतीय ट्रेड यूनियन ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ संयुक्त जुझारू कार्रवाई तेज करने की घोषणा की. कन्वेंशन ने देश भर के करोड़ों मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों का आह्वान किया कि वे एक-दूसरे के स्वतंत्र संघर्षों को हर संभव तरीके से समर्थन और एकजुटता दें और मजबूत प्रत्यक्ष संयुक्त कार्रवाई करें.

संयुक्त अधिवेशन के बाद तीनों संगठनों के नेताओं ने संसद के 2023 के बजट सत्र के दौरान 'मजदूर संघर्ष रैली 2.0' में मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों की भारी जुझारू लामबंदी करने की घोषणा की है. संगठन के नेताओं का कहना है कि इस संयुक्त सम्मेलन ने सर्वसम्मति से अक्टूबर 2022 से फरवरी 2023 तक व्यापक संयुक्त अभियान चलाने का फैसला किया गया ताकि मजदूरों, किसानों और कृषि श्रमिकों को नव उदारवादी नीति के हमलों के खिलाफ आक्रामक प्रत्यक्ष प्रतिरोध संघर्ष शुरू करने के लिए तैयार किया जा सके.

संगठनों के नेताओं ने कहा कि 'इस सम्मेलन में हमने देखा है कि आरएसएस द्वारा नियंत्रित वर्तमान मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पिछले 75 वर्षों के दौरान जो कुछ भी हम, लोगों ने हमारे श्रम के माध्यम से ईंट से ईंट का निर्माण किया है और जो कुछ भी हमने अपने संघर्षों और बलिदानों के माध्यम से हासिल किया है, उसे नष्ट कर रहा है. यह न केवल ब्रिटिश उपनिवेशवाद से, बल्कि अपने वर्ग, जाति, पंथ, धर्म या लिंग के आधार पर सभी प्रकार के उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्त भारत के हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को कुचल रहा है.'

मेगा संयुक्त सम्मेलन के माध्यम से संगठनों ने देश भर के श्रमिकों, किसानों और कृषि श्रमिकों को अपनी मांगों के लिए एकजुट होने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है. अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. अशोक धवले ने कहा, 'हमें इस देश के मेहनतकश लोगों की बुनियादी मांगों के लिए लड़ना होगा, जैसे कि न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये और सभी श्रमिकों को 10,000 रुपये की पेंशन सुनिश्चित करना, सभी कृषि उपज के लिए सी 2 + 50 के फॉर्मूले के साथ कानूनी रूप से एमएसपी सुनिश्चित करना, गारंटीकृत खरीद, चार श्रम संहिताओं को खत्म करना और बिजली संशोधन विधेयक 2020, मजदूरी पर 200 कार्यदिवस प्रदान करना, मनरेगा के तहत शहरी क्षेत्रों में विस्तार और गरीब और मध्यम किसानों और कृषि श्रमिकों को एकमुश्त ऋण माफी के साथ मजदूरी प्रति दिन 600 रुपये करना है.'

उन्होंने कहा कि 'संयुक्त अधिवेशन में सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, स्क्रैप एनएमपी, स्क्रैप, अग्निपथ मुद्दा, मूल्य वृद्धि को रोकने और पीडीएस को मजबूत और सार्वभौमिक बनाने, सभी श्रमिकों के लिए 10,000 रुपये की पेंशन, सुपर रिच पर टैक्स को रोकने की मांग भी उठाई गई.' देश भर के मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों तक अपनी मांगों को पहुंचाने के लिए तीनों संगठनों ने अपनी सभी इकाइयों से अक्टूबर 2022 से फरवरी 2023 तक पर्चे, पोस्टर, दीवार लेखन, समूह के वितरण के माध्यम से एक व्यापक अभियान चलाने का आह्वान किया है. अगले चार महीनों के दौरान स्थानीय मांगों सहित मुद्दों और मांगों पर बैठकें, जत्थे, जुलूस आदि निकालने का लक्ष्य रखा गया है.

पढ़ें- किसान संगठनों के साथ बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं ट्रेड यूनियन

नई दिल्ली : वाम सहयोगी संगठनों की ओर से संयुक्त रूप से सोमवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सम्मेलन (joint National Convention) आयोजित किए गया. हजारों श्रमिक, किसान और कृषि श्रमिकों की मौजूदगी में अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ, भारतीय ट्रेड यूनियन ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ संयुक्त जुझारू कार्रवाई तेज करने की घोषणा की. कन्वेंशन ने देश भर के करोड़ों मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों का आह्वान किया कि वे एक-दूसरे के स्वतंत्र संघर्षों को हर संभव तरीके से समर्थन और एकजुटता दें और मजबूत प्रत्यक्ष संयुक्त कार्रवाई करें.

संयुक्त अधिवेशन के बाद तीनों संगठनों के नेताओं ने संसद के 2023 के बजट सत्र के दौरान 'मजदूर संघर्ष रैली 2.0' में मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों की भारी जुझारू लामबंदी करने की घोषणा की है. संगठन के नेताओं का कहना है कि इस संयुक्त सम्मेलन ने सर्वसम्मति से अक्टूबर 2022 से फरवरी 2023 तक व्यापक संयुक्त अभियान चलाने का फैसला किया गया ताकि मजदूरों, किसानों और कृषि श्रमिकों को नव उदारवादी नीति के हमलों के खिलाफ आक्रामक प्रत्यक्ष प्रतिरोध संघर्ष शुरू करने के लिए तैयार किया जा सके.

संगठनों के नेताओं ने कहा कि 'इस सम्मेलन में हमने देखा है कि आरएसएस द्वारा नियंत्रित वर्तमान मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पिछले 75 वर्षों के दौरान जो कुछ भी हम, लोगों ने हमारे श्रम के माध्यम से ईंट से ईंट का निर्माण किया है और जो कुछ भी हमने अपने संघर्षों और बलिदानों के माध्यम से हासिल किया है, उसे नष्ट कर रहा है. यह न केवल ब्रिटिश उपनिवेशवाद से, बल्कि अपने वर्ग, जाति, पंथ, धर्म या लिंग के आधार पर सभी प्रकार के उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्त भारत के हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को कुचल रहा है.'

मेगा संयुक्त सम्मेलन के माध्यम से संगठनों ने देश भर के श्रमिकों, किसानों और कृषि श्रमिकों को अपनी मांगों के लिए एकजुट होने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है. अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. अशोक धवले ने कहा, 'हमें इस देश के मेहनतकश लोगों की बुनियादी मांगों के लिए लड़ना होगा, जैसे कि न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये और सभी श्रमिकों को 10,000 रुपये की पेंशन सुनिश्चित करना, सभी कृषि उपज के लिए सी 2 + 50 के फॉर्मूले के साथ कानूनी रूप से एमएसपी सुनिश्चित करना, गारंटीकृत खरीद, चार श्रम संहिताओं को खत्म करना और बिजली संशोधन विधेयक 2020, मजदूरी पर 200 कार्यदिवस प्रदान करना, मनरेगा के तहत शहरी क्षेत्रों में विस्तार और गरीब और मध्यम किसानों और कृषि श्रमिकों को एकमुश्त ऋण माफी के साथ मजदूरी प्रति दिन 600 रुपये करना है.'

उन्होंने कहा कि 'संयुक्त अधिवेशन में सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, स्क्रैप एनएमपी, स्क्रैप, अग्निपथ मुद्दा, मूल्य वृद्धि को रोकने और पीडीएस को मजबूत और सार्वभौमिक बनाने, सभी श्रमिकों के लिए 10,000 रुपये की पेंशन, सुपर रिच पर टैक्स को रोकने की मांग भी उठाई गई.' देश भर के मजदूरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों तक अपनी मांगों को पहुंचाने के लिए तीनों संगठनों ने अपनी सभी इकाइयों से अक्टूबर 2022 से फरवरी 2023 तक पर्चे, पोस्टर, दीवार लेखन, समूह के वितरण के माध्यम से एक व्यापक अभियान चलाने का आह्वान किया है. अगले चार महीनों के दौरान स्थानीय मांगों सहित मुद्दों और मांगों पर बैठकें, जत्थे, जुलूस आदि निकालने का लक्ष्य रखा गया है.

पढ़ें- किसान संगठनों के साथ बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं ट्रेड यूनियन

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