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JNU take U-turn: JNU ने 48 घंटे में वापस लिया आदेश, धरना देने पर 20 हजार रुपए का था जुर्माना - Jawaharlal Nehru University

जेएनयू प्रशासन ने कैंपस के अंदर धरना देने पर 20 हजार और हिंसा करने पर 30 हजार का जुर्माना लगाने के अपने फैसले को वापस ले लिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जारी आदेश के बाद विभिन्न छात्र संगठनों ने इसका विरोध किया था और इसे तुगलकी फरमान बताया था.

जेएनयू प्रशासन ने वापस लिया आदेश.
जेएनयू प्रशासन ने वापस लिया आदेश.
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Published : Mar 2, 2023, 9:50 PM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के लिए गुरुवार का दिन बेहद ही चर्चित रहा. जहां एक तरफ जेएनयू प्रशासन ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक 10 पेज का नोटिस जारी कर छात्र संगठन को चेतवानी दी डाली. इसमें कहा गया था कि जेएनयू परिसर के अंदर धरना देने पर 20 हजार और हिंसा करने पर 30 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही संस्थान से निष्कासित कर दिया जाएगा, लेकिन अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे वापस ले लिया है.

जेएनयू ने अपने नोटिस में दिए गए 10 पन्नों में यह नियम लागू किया था. इसमें सख्त लहजे में कहा गया कि जो इन नियमों को नहीं मानेगा उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इधर जेएनयू के इस फैसले को गुरुवार सुबह से ही छात्र संगठन तुगलकी फरमान बताते हुए इसे वापस लेने की मांग करने लगे. बहरहाल, छात्र संगठन में रोष को देखते हुए जेएनयू प्रशासन ने अपना 28 फरवरी को जारी नोटिस वापस ले लिया है.

जेएनयू प्रशासन ने वापस लिया आदेश.
जेएनयू प्रशासन ने वापस लिया आदेश.

जेएनयू की कुलपति ने दिए निर्देशः जेएनयू की पहली महिला कुलपति शांतिश्री डी पंडित के निर्देश पर जेएनयू प्रशासन ने अपना नोटिस वापस ले लिया है. इस संबंध में अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में कहा गया है कि जेएनयू में अनुशासन और उचित आचरण के संबंध में जो नोटिस जारी किया गया था, उसे जेएनयू की कुलपति के निर्देश पर वापस लिया जाता है.

ये भी पढ़ेंः New Rules of JNU: जेएनयू में धरना करने पर 20 हजार का जुर्माना, हिंसा करने पर दाखिला रद्द

एबीवीपी ने तुगलकी फरमान बताया थाः छात्रों के धरना प्रदर्शन और हिंसा पर जुर्माना और संस्थान से अलग करने वाले नोटिस को एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष उमेश चंद्र अजमीरा ने तुगलकी फरमान बताया था. इस तरह के फैसले को लेने के लिए छात्र संघटन की सलाह भी लेनी चाहिए. देर सवेर जेएनयू प्रशासन को अपनी गलती का भूल हुआ है और अपने तुगलकी फरमान को वापस लिया. हालांकि, एसएफआई, आइसा अन्य छात्र संघटन ने नोटिस जारी होने और नोटिस वापस लेने के बीच कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

ये भी पढ़ेंः Money Laundering Case: ट्रायल कोर्ट के आरोप तय करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा सुकेश चंद्रशेखर

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के लिए गुरुवार का दिन बेहद ही चर्चित रहा. जहां एक तरफ जेएनयू प्रशासन ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक 10 पेज का नोटिस जारी कर छात्र संगठन को चेतवानी दी डाली. इसमें कहा गया था कि जेएनयू परिसर के अंदर धरना देने पर 20 हजार और हिंसा करने पर 30 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही संस्थान से निष्कासित कर दिया जाएगा, लेकिन अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे वापस ले लिया है.

जेएनयू ने अपने नोटिस में दिए गए 10 पन्नों में यह नियम लागू किया था. इसमें सख्त लहजे में कहा गया कि जो इन नियमों को नहीं मानेगा उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इधर जेएनयू के इस फैसले को गुरुवार सुबह से ही छात्र संगठन तुगलकी फरमान बताते हुए इसे वापस लेने की मांग करने लगे. बहरहाल, छात्र संगठन में रोष को देखते हुए जेएनयू प्रशासन ने अपना 28 फरवरी को जारी नोटिस वापस ले लिया है.

जेएनयू प्रशासन ने वापस लिया आदेश.
जेएनयू प्रशासन ने वापस लिया आदेश.

जेएनयू की कुलपति ने दिए निर्देशः जेएनयू की पहली महिला कुलपति शांतिश्री डी पंडित के निर्देश पर जेएनयू प्रशासन ने अपना नोटिस वापस ले लिया है. इस संबंध में अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में कहा गया है कि जेएनयू में अनुशासन और उचित आचरण के संबंध में जो नोटिस जारी किया गया था, उसे जेएनयू की कुलपति के निर्देश पर वापस लिया जाता है.

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एबीवीपी ने तुगलकी फरमान बताया थाः छात्रों के धरना प्रदर्शन और हिंसा पर जुर्माना और संस्थान से अलग करने वाले नोटिस को एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष उमेश चंद्र अजमीरा ने तुगलकी फरमान बताया था. इस तरह के फैसले को लेने के लिए छात्र संघटन की सलाह भी लेनी चाहिए. देर सवेर जेएनयू प्रशासन को अपनी गलती का भूल हुआ है और अपने तुगलकी फरमान को वापस लिया. हालांकि, एसएफआई, आइसा अन्य छात्र संघटन ने नोटिस जारी होने और नोटिस वापस लेने के बीच कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

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