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देश के विभाजन के अध्ययन के लिए केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है जेएनयू - जेएनयू कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित

जेएनयू देश के बंटवारे के दौरान भयावहता की गहराई से अध्ययन करने और इससे संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों को एकत्र करने के उद्देश्य से एक केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है.

JNU planning to set up center to study partition of the country
देश के विभाजन के अध्ययन के लिए केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है जेएनयू
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Published : Aug 22, 2022, 6:55 AM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) 1947 में हुए देश के विभाजन का गहराई से अध्ययन करने और इससे संबंधित ऐतिहासिक जानकारियों की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से एक केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है. जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने रविवार को यह जानकारी दी. कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय इस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और शिक्षा मंत्रालय (MOE) को एक प्रस्ताव भेजेगा.

उन्होंने कहा कि इस केंद्र में प्रमुख रूप से विभाजन संबंधी विषयों के बारे में शोध पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि उस दौरान प्रभावित हुए आम लोगों के जीवन की कहानियों को उजागर किया जा सके. इसके अलावा विभाजन की 'भयावहता' को लेकर भी अध्ययन किया जाएगा. जेएनयू की कुलपति ने कहा कि इस अध्ययन केंद्र के लिए विश्वविद्यालय नए पाठ्यक्रम भी शुरू करेगा.

यह केंद्र शरणार्थियों और उन परिस्थितियों के अध्ययन में भी मदद करेगा जिनके कारण लोगों को अनैच्छिक रूप से मजबूरी में पलायन करना पड़ा. जेएनयू अंतरराष्ट्रीय अध्ययन स्कूल के तहत यह केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है क्योंकि इसका उद्देश्य पूरे दक्षिण एशिया पर विभाजन के प्रभाव का अध्ययन करना है. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने कहा, 'उच्च शिक्षण संस्थानों को इतिहास की जानकारियों की कमी को पूरा करना चाहिए.

ये भी पढ़ें- केरल के राज्यपाल बोले ... कन्नूर विवि के कुलपति अपराधी, की अवैध नियुक्ति

विभाजन से संबंधित प्रदर्शनियां लगाना अच्छा है लेकिन वे अस्थायी हैं. इसलिए हमने सुझाव दिया है कि विभाजन पर अध्ययन को लेकर जेएनयू में एक विशेष केंद्र होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि इस केंद्र के जरिए आम लोगों तक विभाजन के बारे में अहम जानकारियां पहुंचाने में भी मदद मिलेगी. जेएनयू के इस केंद्र का नाम भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल अथवा जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा जा सकता है.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) 1947 में हुए देश के विभाजन का गहराई से अध्ययन करने और इससे संबंधित ऐतिहासिक जानकारियों की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से एक केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है. जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने रविवार को यह जानकारी दी. कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय इस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और शिक्षा मंत्रालय (MOE) को एक प्रस्ताव भेजेगा.

उन्होंने कहा कि इस केंद्र में प्रमुख रूप से विभाजन संबंधी विषयों के बारे में शोध पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि उस दौरान प्रभावित हुए आम लोगों के जीवन की कहानियों को उजागर किया जा सके. इसके अलावा विभाजन की 'भयावहता' को लेकर भी अध्ययन किया जाएगा. जेएनयू की कुलपति ने कहा कि इस अध्ययन केंद्र के लिए विश्वविद्यालय नए पाठ्यक्रम भी शुरू करेगा.

यह केंद्र शरणार्थियों और उन परिस्थितियों के अध्ययन में भी मदद करेगा जिनके कारण लोगों को अनैच्छिक रूप से मजबूरी में पलायन करना पड़ा. जेएनयू अंतरराष्ट्रीय अध्ययन स्कूल के तहत यह केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है क्योंकि इसका उद्देश्य पूरे दक्षिण एशिया पर विभाजन के प्रभाव का अध्ययन करना है. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने कहा, 'उच्च शिक्षण संस्थानों को इतिहास की जानकारियों की कमी को पूरा करना चाहिए.

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विभाजन से संबंधित प्रदर्शनियां लगाना अच्छा है लेकिन वे अस्थायी हैं. इसलिए हमने सुझाव दिया है कि विभाजन पर अध्ययन को लेकर जेएनयू में एक विशेष केंद्र होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि इस केंद्र के जरिए आम लोगों तक विभाजन के बारे में अहम जानकारियां पहुंचाने में भी मदद मिलेगी. जेएनयू के इस केंद्र का नाम भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल अथवा जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा जा सकता है.

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