श्रीनगर: दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों की कंसोर्टियम ने दावा किया है कि विश्व के कई देशों की सरकारें 'पेगासस सॉफ्टवेयर' से अपने यहां के पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों की जासूसी करा रही है. रविवार को पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत कई देशों में सरकारों ने करीब 180 पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी कराई. कथित तौर पर इनमें कश्मीर घाटी के कुछ पत्रकार भी शामिल हैं. 'ईटीवी भारत' ने इन पत्रकारों से संपर्क किया और उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. हालांकि, अधिकांश पत्रकार इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहते थे. पत्रकार इफ्तिकार गिलानी और औरंगजेब नक्शबंदी ने इसे 'चौंकाने वाला' बताते हुए अपने विचार व्यक्त किए.
गिलानी ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि मैं भारतीय और इस्राइली एजेंसियों के लिए इतना महत्वपूर्ण हूं कि वे मेरा फोन रिकॉर्ड करने में अपना समय, संसाधन और ऊर्जा बर्बाद कर देंगे. नक्शबंदी ने कहा कि अगर ये सच है, तो यह अविश्वसनीय और चौंकाने वाला है.
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मैंने अपने पूरे करियर में बेहद पेशेवर और ईमानदार तरीके से पत्रकारिता की है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखूंगा. यह मेरे लिए एक असहज और अवांछित स्पॉटलाइट है. हालांकि, मेरा प्रयास एक पत्रकार के रूप में मेरे काम पर हमेशा रहा है और हमेशा रहेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, मुजम्मिल जलील, शब्बीर बछ, इफ्तिखार गिलानी और औरंगजेब नक्शबंदी के साथ कुछ अन्य कश्मीरी पत्रकारों के फोन सर्विलांस पर थे.
जानें कैसे काम करता है सॉफ्टवेयर
पेगासस एक मैलवेयर है जो आईफोन और एंड्रॉइड डिवाइस को हैक कर लेता है. इससे मैलवेयर भेजने वाला शख्स उस फोन मे मौजूद मैसेज, फोटो और ईमेल तक को देख सकता है. इतना ही नहीं, यह साफ्टवेयर उस फोन पर आ रही कॉल को रिकॉर्ड भी कर सकता है. इस साफ्टवेयर से फोन के माइक को गुप्त रूप से एक्टिव किया जा सकता है.