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महबूबा ने कहा, जम्मू कश्मीर ने अपने खुद के झंडे की संवैधानिक गारंटी के साथ राष्ट्र ध्वज को अपनाया था

पीडीपी की अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यहां के लोगों ने 1947 में अपने झंडे के साथ राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया था. लेकिन भाजपा के एजेंडे को पूरा करने के लिए 2019 में उसे कुचल दिया गया.

Mehbooba Mufti
महबूबा मुफ्ती
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Published : Aug 15, 2022, 5:29 PM IST

श्रीनगर : पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने 1947 में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया था लेकिन अपने झंडे समेत कुछ संवैधानिक गारंटियों के साथ ऐसा हुआ था, जिसे 2019 में 'कुचल दिया' गया. महबूबा ने आरोप लगाया कि कश्मीरियों को परिणाम भुगतने की धमकी देकर तिरंगा फहराया गया.

  • Jawahar Lal Nehru standing tall between two flags,the Indian national flag & J&Ks state flag adopted constitutionally in 1952 & bulldozed in 2019 to fulfil BJPs divisive agenda. Now, every foundational value that the Indian flag stands for too lies in peril. pic.twitter.com/7NvQJ6VexJ

    — Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर ट्वीट किया, 'हम यह न भूलें कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने अक्टूबर 1947 में भारतीय ध्वज अपनाया था.लेकिन कुछ शर्तों और संवैधानिक गारंटियों के साथ मसलन उनका अपना ध्वज और एक अलग संविधान. भाजपा की वैचारिक मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ऐसा करने से काफी पहले इसे अपनाया गया था.' पीडीपी अध्यक्ष ने 1950 के दशक की एक तस्वीर साझा की जिसमें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'जवाहरलाल नेहरू दो ध्वजों के बीच दृढ़ता से खड़े हैं. एक भारत का राष्ट्रीय ध्वज है और दूसरा जम्मू कश्मीर का राज्य ध्वज जिसे 1952 में संवैधानिक तरीके से अपनाया गया था और भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे को पूरा करने के लिए 2019 में उसे कुचल दिया गया.' महबूबा ने जम्मू कश्मीर प्रशासन के इन दावों पर सवाल खड़ा किया कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बड़ी संख्या में कश्मीरियों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया.

उन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में एक वीडियो डालते हुए लिखा, 'जम्मू कश्मीर प्रशासन बेशर्मी से कश्मीरियों के भारतीय झंडा फहराने की झूठी तारीफ कर रहा है. सच तो यह है कि उन्हें ऐसा करने के लिए धमकाया गया और परिणाम भुगतने की धमकी दी गई. एकीकरण के 75 वर्ष के बाद भारत सरकार ने यहां के लोगों को उसकी छद्म देशभक्ति के जाल में शामिल होने को बाध्य करने के लिहाज से अपनी पूरी ताकत लगा दी.'

ये भी पढ़ें - जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद 370 हटाने की तीसरी वर्षगांठ पर पीडीपी का विरोध-प्रदर्शन

(पीटीआई-भाषा)

श्रीनगर : पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने 1947 में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया था लेकिन अपने झंडे समेत कुछ संवैधानिक गारंटियों के साथ ऐसा हुआ था, जिसे 2019 में 'कुचल दिया' गया. महबूबा ने आरोप लगाया कि कश्मीरियों को परिणाम भुगतने की धमकी देकर तिरंगा फहराया गया.

  • Jawahar Lal Nehru standing tall between two flags,the Indian national flag & J&Ks state flag adopted constitutionally in 1952 & bulldozed in 2019 to fulfil BJPs divisive agenda. Now, every foundational value that the Indian flag stands for too lies in peril. pic.twitter.com/7NvQJ6VexJ

    — Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर ट्वीट किया, 'हम यह न भूलें कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने अक्टूबर 1947 में भारतीय ध्वज अपनाया था.लेकिन कुछ शर्तों और संवैधानिक गारंटियों के साथ मसलन उनका अपना ध्वज और एक अलग संविधान. भाजपा की वैचारिक मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ऐसा करने से काफी पहले इसे अपनाया गया था.' पीडीपी अध्यक्ष ने 1950 के दशक की एक तस्वीर साझा की जिसमें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'जवाहरलाल नेहरू दो ध्वजों के बीच दृढ़ता से खड़े हैं. एक भारत का राष्ट्रीय ध्वज है और दूसरा जम्मू कश्मीर का राज्य ध्वज जिसे 1952 में संवैधानिक तरीके से अपनाया गया था और भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे को पूरा करने के लिए 2019 में उसे कुचल दिया गया.' महबूबा ने जम्मू कश्मीर प्रशासन के इन दावों पर सवाल खड़ा किया कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बड़ी संख्या में कश्मीरियों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया.

उन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में एक वीडियो डालते हुए लिखा, 'जम्मू कश्मीर प्रशासन बेशर्मी से कश्मीरियों के भारतीय झंडा फहराने की झूठी तारीफ कर रहा है. सच तो यह है कि उन्हें ऐसा करने के लिए धमकाया गया और परिणाम भुगतने की धमकी दी गई. एकीकरण के 75 वर्ष के बाद भारत सरकार ने यहां के लोगों को उसकी छद्म देशभक्ति के जाल में शामिल होने को बाध्य करने के लिहाज से अपनी पूरी ताकत लगा दी.'

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(पीटीआई-भाषा)

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