रांचीः झारखंड के लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए केंद्र से मिली कोरोना वैक्सीन (Jharkhand quota Corona vaccine) की करीब 25 लाख डोज में से साढ़े नौ लाख वैक्सीन पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी और लखनऊ के लोगों के लिए भेजी जा रही है. झारखंड में कोरोना टीकाकरण की बेहद धीमी रफ्तार को देखते हुए भारत सरकार ने अलग अलग पत्र जारी कर झारखंड के स्वास्थ्य विभाग को करीब साढ़े 09 लाख डोज वैक्सीन (7.5 लाख वाराणसी और 2 लाख लखनऊ) उत्तर प्रदेश भेजने का निर्देश दिया है, जिसके बाद आइस पैक बनाकर विशेष वैन से वैक्सीन को गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है.
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कोरोना वायरस से बचाव के लिए जिस वैक्सीन को बेहद जरूरी बताया जा रहा है, उसका बूस्टर डोज तो छोड़िए झारखंड में 18 + उम्र समूह वाले 51 लाख 76 हजार 534 लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज तक नहीं ली है, यानी एक डोज लेने के बाद इन लोगों ने दूसरी डोज नहीं ली और इनका सुरक्षा चक्र पूरा नहीं हुआ है. इसी तरह राज्य में अभी तक 98 हजार 446 हेल्थ केयर वर्कर्स, 02 लाख 13 हजार 437 फ्रंट लाइन वर्कर्स और 29 लाख 38 हजार 970 साठ वर्ष से ऊपर वाले लोगों ने कोरोना के खिलाफ शरीर में कम होती एंटीबॉडी की समस्या को दूर करने के लिए जरूरी बूस्टर डोज नहीं ली है. ये तमाम आंकड़े बताते हैं कि राज्य कोरोना टीकाकरण अभियान में न सिर्फ पिछड़ गया है बल्कि शिथिल भी पड़ गया है. राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राकेश दयाल के अनुसार राज्य में 25 लाख वैक्सीन का स्टॉक होने के बावजूद लोगों में टीकाकरण को लेकर गंभीरता नहीं देखी जा रही है.
दरअसल, झारखंड में टीकाकरण को लेकर जितनी उदासीन राज्य की जनता है, उतना ही उदासीन स्वास्थ्य महकमा भी है. झारखंड में टीकाकरण कैंप की संख्या जहां घटा दी गई है, वहीं लोगों के बीच कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज और बूस्टर डोज क्यों जरूरी है, इसके लिए जागरुकता फैलाने के कार्य में भी कमी आई है. नतीजा यह कि जहां राज्य में लाखों की संख्या में लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं ली है तो भारत सरकार ने झारखंड कोटे के भेजे गए लाखों डोज वैक्सीन को रांची से वाराणसी और लखनऊ भेजने के आदेश दिए हैं और कोल्ड चेन मेंटेन करते हुए वैक्सीन वैन से भेजी जा रही है.
झारखंड में सरकारी डॉक्टरों के संगठन झारखंड हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (झासा) के संरक्षक और रांची में टीकाकरण अभियान का पूर्व में नेतृत्व करने वालों में से एक डॉ. बिमलेश सिंह मानते हैं कि राज्य में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. कमी राज्य के लोगों और विभाग में है, जो उदासीन हैं, विभाग अगर IEC पर ज्यादा जोर दे तो संभव है कि राज्य में टीकाकरण रफ्तार पकड़े और झारखंड कोटे की वैक्सीन दूसरे राज्यों को न भेजनी पड़े.