रांची: शनिवार दिन भर झारखंड की राजनीति में नए नए घटनाक्रम देखने को मिले. इस दौरान बैठकों का दौर भी जारी रहा. सुबह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर यूपीए विधायकों की बैठक हुई. सीएम आवास पर जब जेएमएम और कांग्रेस के विधायक पहुंचे तो उनकी गाड़ी में बैग भी थे. पूछने पर कुछ विधायकों ने कहा वीकेंड मनाने जाना है. दोपहर 2 बजे सीएम आवास से तीन बसें निकलीं जिसमें सीएम समेत यूपीए के विधायक मौजूद थे. कयास लगाने लगे कि यहां भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स शुरु होने वाली है. बस छत्तीसगढ़ की ओर जाएगी, लेकिन कुछ देर में पता चला कि बस रांची से लगभग 50 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के डुमरगाड़ी गेस्ट हाउस पहुंच चुकी है.
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अचानक लतरातू डैम (Latratu Dam Khunti) झारखंड की राजनीति (Jharkhand political crisis) के केंद्र में आ गया. पूरी सरकार वहां पहुंच चुकी थी. सीएम, मंत्री और विधायकों की आवभगत करने के लिए खूंटी जिले के आला अधिकारी भी पहुंच गए. जहां राज्य के शीर्ष नेता, सीएम, मंत्री और विधायक पहुंचें, भला वहां मीडिया नहीं पहुंचे ये कैसे संभव है, लिहाजा डुमरगाड़ी गेस्ट हाउस में मीडिया का भी जमावड़ा लग गया.
खूंटी के लतरातू डैम में सीएम समेत विधायकों ने जमकर वीकेंड एंज्वॉय किया. इस दौरान सीएम और कई विधायक बोटिंग का मजा लेते भी दिखे. वहां पर सीएम हेमंत सोरेन, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और सीएम हेमंत के भाई बसंत सोरेन कई बार मंत्रणा करते दिखे. लतरातू डैम से वीकेंड एंज्वॉय करने के बाद शाम होते ही फिर सीएम समेत सभी विधायक रांची की ओर रवाना हो गए. तकरीबन एक घंटे बाद सभी विधायक रांची पहुंचे.
रात तकरीबन 8 बजे झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे रांची एयरपोर्ट पर पहुंचे, जहां उनके स्वागत के लिए पहले से कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और कई नेता मौजूद थे. अविनाश पांडे वहां से सीधे स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचे और कांग्रेस के विधायकों के साथ देर रात तक बैठक की.
बता दें कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक संकट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिए जाने की वजह से पैदा हुआ है. राज्यपाल रमेश बैस ने उनकी विधानसभा की सदस्यता खारिज करने का आदेश दे दिया है, लेकिन प्रक्रिया के अनुसार इस संबंध में आधिकारिक पत्र निर्वाचन आयोग जारी करेगा. संभावना है कि आयोग जल्द ही पत्र जारी करेगा और इसके तत्काल बाद संवैधानिक बाध्यताओं के चलते हेमंत सोरेन को त्यागपत्र देना होगा. यह भी तय माना जा रहा है कि इस्तीफे के बाद हेमंत सोरेन दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे, क्योंकि खबरों के मुताबिक राज्यपाल के आदेश में उनके आगे चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई गई है. दरअसल, नई सरकार बनने पर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट अनिवार्य होगा और इसे देखते हुए यूपीए गठबंधन कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगा.