रांची: मोदी सरनेम विवाद मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. न्यायाधीश एसके द्विवेदी की अदालत ने निचली अदालत में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को सशरीर हाजिर होने के आदेश को निरस्त कर दिया है. मोदी सरनेम पर टिप्पणी करने के मामले में रांची सिविल कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने से छूट देने की मांग को लेकर राहुल गांधी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
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पिछली सुनवाई में ही न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने राहत देते हुए 16 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख तय की थी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका को अलाउ कर दिया है. राहुल गांधी के अधिवक्ता दीपांकर रॉय ने अदालत को बताया कि निचली अदालत में मोदी सरनेम से संबंधित याचिका पर सुनवाई हो रही है. उसमें उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है. उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने से छूट दिया जाए.
बता दें कि पूर्व में निचली अदालत ने राहुल गांधी को सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था. उसके बाद राहुल गांधी ने रांची सिविल कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति की छूट को लेकर निचली अदालत से गुहार लगाई थी. लेकिन निचली अदालत ने उन्हें किसी भी प्रकार की कोई छूट देने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी. उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. 'सभी मोदी चोर हैं', वाली टिप्पणी को लेकर रांची के प्रदीप मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ रांची सिविल कोर्ट में शिकायतवाद दायर किया है.
4 जुलाई की सुनवाई में भी राहुल गांधी को कोर्ट ने दी थी राहत: 4 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत देते हुए एमपी-एमएलए कोर्ट में सशरीर उपस्थित होने के आदेश पर रोक लगा दी थी. इसके बाद सुनवाई की अगली तारीख 16 अगस्त तय की गई थी. दरअसल, मोदी सरनेम पर टिप्पणी के विरोध में प्रदीप मोदी नाम के शख्स ने एमपी-एमएलए कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान 30 अप्रैल को राहुल गांधी ने रांची में आयोजित चुनावी सभा में मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी की थी.
बता दें कि मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी मामले में गुजरात की निचली अदालत ने उन्हें सजा सुनाई थी. जिसकी वजह से उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ा था. हालांकि पिछले दिनों मानसून सत्र के ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी.