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झारखंड सरकार ने बीआरओ पर प्रवासी श्रमिकों के 'उत्पीड़न' का आरोप लगाया - प्रवासी श्रमिकों

झारखंड सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए सहमति शर्तों का पालन नहीं करने का सीमा सड़क संगठन (BRO) पर लगाया है. इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा बीआरओ प्रमुख को लिखे पत्र में कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया गया है.

सीमा सड़क संगठन
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Published : Jul 18, 2021, 9:39 PM IST

रांची : सीमा सड़क संगठन (BRO) की दुर्गम इलाकों की परियोजनाओं में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों की 'रहने और काम करने की दयनीय स्थिति' की खबरों पर चिंता प्रकट करते हुए झारखंड सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम पर राज्य के श्रमिकों को रोजगार के लिए रखने संबंधी पारस्परिक सहमति शर्तों का पालन करने में विफल रहने का आरोप लगाया.

बीआरओ को राज्य सरकार ने लिखा पत्र

बीआरओ प्रमुख को 16 जुलाई को भेजे गए पत्र में राज्य सरकार ने कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए काम पर रखे गए राज्य के श्रमिकों, उनका निश्चित मासिक वेतन और काम करने के दौरान जान गंवाने वाले श्रमिकों की जानकारी मांगी है.

श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास सचिव प्रवीण कुमार टोप्पो ने बीआरओ को लिखे पत्र में कहा, 'झारखंड सरकार को जानकारी मिली है कि मार्च, 2021 से बीआरओ के साथ हजारों श्रमिक अस्थायी भुगतान श्रमिक (CPL) की तरह काम कर रहे हैं. हमें लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से ऐसी खबरें मिली हैं कि हमारे श्रमिकों को अप्रैल-मई, 2021 में महामारी की दूसरी लहर के दौरान दयनीय स्थिति में रहना और काम करना पड़ा.'

राज्य सरकार ने नौकरी पर रखने में बिचौलियों की भूमिका पर चिंता जताई

अस्थायी भुगतान श्रमिक वे होते हैं, जिन्हें कभी-कभार ही काम मिलता है और उनके नियोक्ता उन्हें नियमित श्रमिक के रूप में नहीं रखते हैं. राज्य सरकार ने इन श्रमिकों की रहन-सहन की दयनीय स्थिति और 'अपर्याप्त' भुगतान और इन्हें नौकरी पर रखने में बिचौलिये की भूमिका पर चिंता जाहिर की है. टोप्पो ने बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी को लिखे पत्र में कहा, 'पिछले साल दोनों पक्षों के बीच सीएलपी श्रमिकों को लेकर तय की गई शर्तों पर आपसी सहमति के बाद इन खबरों का आना हमारे लिए चौंकाने वाला है.'

ये भी पढ़ें - कोच्चि हवाई अड्डे का टर्मिनल-2 तीन सुविधा क्षेत्रों में होगा तब्दील

झारखंड सरकार के अधिकारी ने इस केंद्रीय प्रतिष्ठान पर राज्य के प्रवासी श्रमिकों को काम पर रखने संबंधी आपसी सहमति की शर्तों को पूरा करने में 'विफल' रहने का आरोप लगाया. इस विषय पर टिप्पणी के लिए बीआरओ अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया.

बीआरओ और झारखंड सरकार के बीच 13 जून, 2020 को हस्ताक्षरित इस समझौते की शर्तों के अनुसार 2021-22 से राज्य के वेतनभोगी श्रमिकों को काम पर रखने के लिए यह आपसी सहमति बनी कि बीआरओ एक प्रतिष्ठान की तरह राज्य के मौजूदा नियमों का पालन करते हुए पंजीकरण के लिए आवेदन करेगा. उन्होंने यह भी फैसला किया कि श्रमिकों के अंतर-राज्यीय प्रवास के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बाद दोनों पक्ष एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर करेंगे. हालांकि बीआरओ रक्षा मंत्रालय के तहत आता है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले को रक्षा मंत्री के सामने उठाएंगे

टोप्पो ने कहा, 'हालांकि, यह चौंकाने वाला है कि दुमका के प्रवासी श्रमिकों को बीआरओ की परियोजनाओं में काम करने के लिए बिचौलियों के जरिए ले जाया जा रहा है, जो कि आपसी सहमति की शर्तों का उल्लंघन है और इसकी जानकारी तक राज्य सरकार को नहीं दी गई.' ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बीआरओ द्वारा काम पर रखे गए श्रमिकों के 'उत्पीड़न' का दावा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोहराया कि वह इस मामले को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष उठाएंगे क्योंकि लगातार इस संबंध में पत्राचार के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ.

पिछले महीने भी एक साक्षात्कार के दौरान सोरेन ने कहा था कि जैसे ही राज्य कोविड-19 महामारी के संकट से बाहर निकलेगा, वह विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और प्रशासकों के साथ श्रमिकों के 'उत्पीड़न' को रोकने के लिए एक मज़बूत तंत्र विकसित करने को लेकर बैठक करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

रांची : सीमा सड़क संगठन (BRO) की दुर्गम इलाकों की परियोजनाओं में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों की 'रहने और काम करने की दयनीय स्थिति' की खबरों पर चिंता प्रकट करते हुए झारखंड सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम पर राज्य के श्रमिकों को रोजगार के लिए रखने संबंधी पारस्परिक सहमति शर्तों का पालन करने में विफल रहने का आरोप लगाया.

बीआरओ को राज्य सरकार ने लिखा पत्र

बीआरओ प्रमुख को 16 जुलाई को भेजे गए पत्र में राज्य सरकार ने कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए काम पर रखे गए राज्य के श्रमिकों, उनका निश्चित मासिक वेतन और काम करने के दौरान जान गंवाने वाले श्रमिकों की जानकारी मांगी है.

श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास सचिव प्रवीण कुमार टोप्पो ने बीआरओ को लिखे पत्र में कहा, 'झारखंड सरकार को जानकारी मिली है कि मार्च, 2021 से बीआरओ के साथ हजारों श्रमिक अस्थायी भुगतान श्रमिक (CPL) की तरह काम कर रहे हैं. हमें लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से ऐसी खबरें मिली हैं कि हमारे श्रमिकों को अप्रैल-मई, 2021 में महामारी की दूसरी लहर के दौरान दयनीय स्थिति में रहना और काम करना पड़ा.'

राज्य सरकार ने नौकरी पर रखने में बिचौलियों की भूमिका पर चिंता जताई

अस्थायी भुगतान श्रमिक वे होते हैं, जिन्हें कभी-कभार ही काम मिलता है और उनके नियोक्ता उन्हें नियमित श्रमिक के रूप में नहीं रखते हैं. राज्य सरकार ने इन श्रमिकों की रहन-सहन की दयनीय स्थिति और 'अपर्याप्त' भुगतान और इन्हें नौकरी पर रखने में बिचौलिये की भूमिका पर चिंता जाहिर की है. टोप्पो ने बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी को लिखे पत्र में कहा, 'पिछले साल दोनों पक्षों के बीच सीएलपी श्रमिकों को लेकर तय की गई शर्तों पर आपसी सहमति के बाद इन खबरों का आना हमारे लिए चौंकाने वाला है.'

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झारखंड सरकार के अधिकारी ने इस केंद्रीय प्रतिष्ठान पर राज्य के प्रवासी श्रमिकों को काम पर रखने संबंधी आपसी सहमति की शर्तों को पूरा करने में 'विफल' रहने का आरोप लगाया. इस विषय पर टिप्पणी के लिए बीआरओ अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया.

बीआरओ और झारखंड सरकार के बीच 13 जून, 2020 को हस्ताक्षरित इस समझौते की शर्तों के अनुसार 2021-22 से राज्य के वेतनभोगी श्रमिकों को काम पर रखने के लिए यह आपसी सहमति बनी कि बीआरओ एक प्रतिष्ठान की तरह राज्य के मौजूदा नियमों का पालन करते हुए पंजीकरण के लिए आवेदन करेगा. उन्होंने यह भी फैसला किया कि श्रमिकों के अंतर-राज्यीय प्रवास के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बाद दोनों पक्ष एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर करेंगे. हालांकि बीआरओ रक्षा मंत्रालय के तहत आता है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले को रक्षा मंत्री के सामने उठाएंगे

टोप्पो ने कहा, 'हालांकि, यह चौंकाने वाला है कि दुमका के प्रवासी श्रमिकों को बीआरओ की परियोजनाओं में काम करने के लिए बिचौलियों के जरिए ले जाया जा रहा है, जो कि आपसी सहमति की शर्तों का उल्लंघन है और इसकी जानकारी तक राज्य सरकार को नहीं दी गई.' ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बीआरओ द्वारा काम पर रखे गए श्रमिकों के 'उत्पीड़न' का दावा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोहराया कि वह इस मामले को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष उठाएंगे क्योंकि लगातार इस संबंध में पत्राचार के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ.

पिछले महीने भी एक साक्षात्कार के दौरान सोरेन ने कहा था कि जैसे ही राज्य कोविड-19 महामारी के संकट से बाहर निकलेगा, वह विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और प्रशासकों के साथ श्रमिकों के 'उत्पीड़न' को रोकने के लिए एक मज़बूत तंत्र विकसित करने को लेकर बैठक करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

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