देहरादून (उत्तराखंड): भारत में यात्रा साहित्य के पितामह, महापंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा संग्रहित तमाम पांडुलिपियों, थांगका और धार्मिक क्रियाओं के संरक्षण का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है. साल 2017 में शुरू हुए इस विवाद पर अब कई बुद्धिजीवियों का भी समर्थन हासिल किया जा रहा है. उधर राहुल सांकृत्यायन की बेटी जया ने बिहार सरकार पर अपनी नाराजगी जताकर पीएम नरेंद्र मोदी का दरवाजा खटखटाने और पटना म्यूजियम से महत्वपूर्ण धरोहरों को शिफ्ट किए जाने का विरोध करने का फैसला लिया है.
पटना म्यूजियम को लेकर ये है विवाद: बिहार की नीतीश सरकार ने पटना म्यूजियम को गैर सरकारी बिहार म्यूजियम में शिफ्ट करने का फैसला लिया तो इसका विरोध खुद बहुभाषी, स्वतंत्रता सेनानी राहुल सांकृत्यायन की बेटी जया सांकृत्यायन ने दर्ज करा दिया. हालांकि 2017 में इसको लेकर विवाद शुरू हो गया था, लेकिन अब एक बार फिर तमाम बुद्धिजीवियों के सामने आने से यह मामला जोर पकड़ने लगा है. खास बात यह है कि जया सांकृत्यायन ने इस मामले में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपनी बात रखने का फैसला लिया है.
जया सांकृत्यायन ने क्या कहा? जया सांकृत्यायन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए स्पष्ट किया है कि अब वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संदर्भ में पत्र लिखने जा रही हैं. जया कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय संस्कृति को जानते भी हैं और उसे तवज्जो भी देते हैं. ऐसे में उन्हें पूरा भरोसा है कि जब वह प्रधानमंत्री तक इस बात को पहुंचाएंगी, तो वह बिहार की नीतीश कुमार सरकार के फैसले पर हस्तक्षेप करेंगे.
संग्रहालय से धरोहर स्थानांतरित करने पर ये है जया की आपत्ति: पटना संग्रहालय में मौजूद राहुल सांकृत्यायन से जुड़ी धरोहरों को यहां से गैर सरकारी बिहार संग्रहालय में भेजे जाने को लेकर जया सांकृत्यायन की कुछ विशेष आपत्तियां हैं. दरअसल जया को अंदेशा है कि गैर सरकारी संग्रहालय में इन महत्वपूर्ण धरोहरों को रखे जाने से इनकी सुरक्षा पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. उनका कहना है कि दुनिया में आर्ट और पौराणिक कलाकृतियों समेत धरोहरों की स्मगलिंग बहुत ज्यादा होती है. लिहाजा गैर सरकारी संग्रहालय में इन धरोहरों को रखे जाने के बाद इसका खतरा बढ़ सकता है. हालांकि वह यह भी कहती हैं कि पटना संग्रहालय में रखे जाने के दौरान भी कई बार कुछ धरोहरों के चोरी होने की खबरें सामने आती रही हैं.
जया सांकृत्यायन का ये भी कहना है कि सरकारी नियंत्रण में होने के बाद भी ना तो कभी उनके प्रचार प्रसार को लेकर कोई काम किया गया और ना ही इन्हें संरक्षित रखे जाने के लिए कुछ खास प्रयास किए गए. शायद इसीलिए राहुल सांकृत्यायन द्वारा दिए गए कई थांगका चित्र (Thangka Pictures) के बॉर्डर तक खराब हो चुके हैं. गैर सरकारी संग्रहालय में जाने के बाद स्थिति और खराब होने की उन्होंने आशंका जताई है.
राहुल सांकृत्यायन के लिए कितना मुश्किल था इन्हें जुटाना: यहां मौजूद कई थांगका पेंटिंग 14वीं शताब्दी की हैं. इसके अलावा कई पांडुलिपियां, तालपत्र, पोशाक, धार्मिक क्रियाओं से जुड़ी चीजें, मूर्तियां, आभूषण और सिक्के भी राहुल सांकृत्यायन द्वारा संग्रहित किए गए और संग्रहालय को दिए गए. राहुल सांकृत्यायन ने इसके लिए तिब्बत की चार बार बेहद मुश्किल यात्राएं की थी. 1928 में पटना म्यूजियम जब बना तो उस समय वह अपनी खोज के लिए तिब्बत की यात्रा में जुट गए थे. उन्होंने तिब्बत से श्रीलंका तक की भी यात्रा की थी.
राहुल सांकृत्यायन तिब्बत के मठों में कई शताब्दियों से बंद पांडुलिपियों और थांगका चित्रों को वापस भारत लाये थे. बेहद मुश्किल हालात में उन्होंने कई बार छिपते छिपाते हुए तिब्बत की यात्राएं की थीं. खच्चरों पर लादकर इन महत्वपूर्ण धरोहरों को वापस लाने में कामयाबी हासिल की थी. राहुल सांकृत्यायन स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण अंग्रेजों के निशाने पर भी रहे. लिहाजा यह काम करना उनके लिए इसके चलते और भी मुश्किल हो गया था.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राहुल सांकृत्यायन के काम को मिली सराहना: राहुल सांकृत्यायन ने जिस तरह पौराणिक और दुर्लभ तिब्बती पांडुलिपियों का संग्रहण किया, उसे दुनिया भर में सराहा गया. इस दौरान अंग्रेजों ने इस संग्रह को ब्रिटेन ले जाने तक की भी पेशकश की. लेकिन राहुल सांकृत्यायन और बिहार के दूसरे बुद्धिजीवियों ने इन्हें बिहार में ही रखे जाने की बात कही. इसी का नतीजा है कि पटना म्यूजियम में इन्हें रखा गया.
जया सांकृत्यायन के अनुसार बौद्ध संग्रहण के रूप में इसे उस समय तिब्बत के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण संग्रहालय माना गया. उधर श्रीलंका, इंग्लैंड, फ्रांस और जर्मनी में भी इस संग्रह की खूब चर्चा हुई. यही नहीं वियना में तो इसके लिए एक एग्जीबिशन भी लगाई गई.
ये भी पढ़ें: पटना म्यूजियम के अस्तित्व को बचाने के लिए कूदे संदीप पांडे, राहुल सांकृत्यायन की बेटी का छलका दर्द
स्वास्थ्य ठीक होता तो धरने पर बैठ जातीं राहुल सांकृत्यायन की बेटी: नीतीश कुमार सरकार को लेकर राहुल सांकृत्यायन की बेटी जया बेहद खफा दिखाई दीं. उन्होंने कहा कि उनका स्वास्थ्य खराब है, नहीं तो वह आज ही पटना जाकर धरने पर बैठ जातीं. उन्होंने नीतीश कुमार को संदेश देते हुए कहा कि उनके फैसले से पटना म्यूजियम का अस्तित्व खत्म होने जा रहा है. उनके द्वारा नीतीश कुमार को 2017 में चिट्ठी लिखी गई, लेकिन इस पर आज तक कोई सकारात्मक जवाब तक नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जी ऐसा मत कीजिए. यह किसी की मेहनत नहीं बल्कि सपना है और तमाम कलाकार और विद्वानों की लगन भी है. इसे छेड़ना पूरी तरह से गलत है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कई बुद्धिजीवी अपना समर्थन उन्हें दे चुके हैं, लेकिन वह बिहार में ही रहते हैं. लिहाजा सुरक्षा कारणों से भी कई लोग सामने नहीं आ पा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: बदहाल पूर्व मुख्यमंत्री स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा का संग्रहालय, विभाग रो रहा बजट का रोना
हाल ही में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार पाने वाले संदीप पांडे ने भी अपने बुद्धिजीवी साथियों के साथ बिहार सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया. दअरसल मांग की जा रही है कि सभी जुटाई गई धरोहरों के लिए एक सेंटर बनना चाहिए. ताकि सभी चीज एक जगह पर रह सकें और पूरी तरह से सुरक्षित रहें.
ये भी पढ़ें: पौड़ी के बनेगा जीबी पंत संग्रहालय, डीएम ने दिए जगह तलाश करने के निर्देश