बठिंडा: पंजाब के बठिंडा में भारतीय सेना के अधिकारियों ने दावा किया है कि सुरक्षा के मद्देनजर भारतीय जवानों को जल्द ही बैलिस्टिक हेलमेट कहे जाने वाले विशेष हेलमेट दिए जाएंगे. दूसरी ओर अब यह मुद्दा राजनीति के साथ-साथ धार्मिक भी बनता जा रहा है. श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने केंद्र के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है.
जत्थेदार ने कहा कि केंद्र सरकार ने सिख जवानों को पगड़ी की जगह हेलमेट पहनने को कहा है. उन्होंने कहा कि अब भारत सरकार भी ब्रिटिश सरकार की तरह अप्रत्यक्ष रूप से सिखों की अस्मिता पर प्रहार कर रही है. उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार ने भी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिख सैनिकों को हेलमेट पहनने के लिए कहा था, लेकिन सिख सैनिकों ने ब्रिटिश सरकार के इस फैसले को खारिज कर दिया था.
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में सिख सैनिकों को हेलमेट पहनाना सिखों की पहचान को खत्म करने की कोशिश माना जाएगा. उन्होंने कहा कि सिखों के सिर के लिए बनाई जाने वाली पगड़ी पांच या सात मीटर का कपड़ा नहीं है बल्कि यह गुरु साहिब का आशीर्वादित मुकुट है. उन्होंने कहा कि हमारी पहचान के प्रतीक पगड़ी पर किसी भी तरह की टोपी लगाना हमारी पहचान को खत्म करने की कोशिश मानी जाएगी.
उन्होंने कहा कि सिख धर्म में पगड़ी के ऊपर किसी भी तरह की टोपी पहनने की मनाही है, चाहे वह कपड़े की बनी हो या लोहे की. उन्होंने कहा कि सिखों के रक्षक शुरू से ही अकाल पुरुष हैं और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिखों ने पगड़ी पहनकर अपनी वीरता का परिचय दिया था.
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उन्होंने कहा कि 1965 और 1977 की जंग में भी सिख सैनिकों ने पगड़ी पहनकर अपनी वीरता का परिचय दिया था. उन्होंने कहा कि हेलमेट को बढ़ावा देने के लिए कुछ संगठन बड़े पैमाने पर अभियान चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में सिख किसी भी कीमत पर अपनी पहचान खोकर हेलमेट नहीं पहनेंगे. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.