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जम्मू-कश्मीर : चुनाव के बाद भी पुलिस और कानून-व्यवस्था केंद्र के अधीन !

जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) में चल रहे परिसीमन के प्रयास और उसके बाद विधानसभा चुनाव के बाद भी जम्मू और कश्मीर विधानसभा का अधिकार क्षेत्र और शक्तियां कभी भी 5 अगस्त, 2019 से पहले की तरह नहीं होंगी. वहीं चुनाव के बाद भी जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवस्था, पुलिस को केंद्र द्वारा नियंत्रित किया जाएगा. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

पुलिस को नियंत्रित करेगा केंद्र
पुलिस को नियंत्रित करेगा केंद्र
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Published : Jun 24, 2021, 3:40 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 6:28 PM IST

नई दिल्ली : परिसीमन की प्रक्रिया और उसके बाद के विधानसभा चुनावों में मुख्य मुद्दों में से एक होने की संभावना है, जिसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ अपनी बैठक में उठाएंगे. कुछ पहलुओं में जम्मू-कश्मीर की स्थिति को दिल्ली राज्य के समान बनाने का कदम जोर पकड़ रहा है.

इसका मतलब यह है कि जम्मू-कश्मीर विधान सभा की विधायी शक्ति भारतीय संघ के अन्य राज्यों के साथ 'कानून और व्यवस्था' के बराबर नहीं होगी और 'पुलिस' का नियंत्रण विधानसभा के दायरे से बाहर होगा और इसे नई दिल्ली में गृह मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाएगा. जबकि अन्य राज्यों में 'कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है.

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में स्थिति स्पष्ट है, जिसे 9 अगस्त, 2019 को अधिसूचित किया गया था. साथ ही संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के चार दिन बाद संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करते हुए- केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख बनाए गए थे.

अधिनियम का खंड 32 क्या कहता है

इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, विधान सभा जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के पूरे या किसी भी हिस्से के लिए राज्य सूची में सूचीबद्ध किसी भी मामले के संबंध में कानून बना सकती है, सिवाय इसके कि प्रविष्टि 1 और 2 में उल्लिखित विषय, अर्थात् क्रमशः 'लोक व्यवस्था' और 'पुलिस' या भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची, जहां तक ​​ऐसा कोई मामला लागू होता है.

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र गुरुवार दोपहर पीएम आवास में होने वाली बैठक में एक विस्तृत समयरेखा का प्रस्ताव भी दे सकता है कि विधानसभा चुनाव कब हो सकते हैं जो अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है. हालांकि, चुनाव की तारीखों पर अंतिम निर्णय चुनाव आयोग द्वारा तय किया जाएगा.

विधानसभा चुनावों का आयोजन परिसीमन प्रक्रिया पर निर्भर करता है जो विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण को संदर्भित करता है. परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे. इस सिलसिले में बुधवार को, परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के सभी 20 जिलों के उपायुक्तों के साथ एक वर्चुअल बैठक की, ताकि जिलों की रूपरेखा और मुद्दों से खुद को परिचित किया जा सके.

नई दिल्ली : परिसीमन की प्रक्रिया और उसके बाद के विधानसभा चुनावों में मुख्य मुद्दों में से एक होने की संभावना है, जिसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ अपनी बैठक में उठाएंगे. कुछ पहलुओं में जम्मू-कश्मीर की स्थिति को दिल्ली राज्य के समान बनाने का कदम जोर पकड़ रहा है.

इसका मतलब यह है कि जम्मू-कश्मीर विधान सभा की विधायी शक्ति भारतीय संघ के अन्य राज्यों के साथ 'कानून और व्यवस्था' के बराबर नहीं होगी और 'पुलिस' का नियंत्रण विधानसभा के दायरे से बाहर होगा और इसे नई दिल्ली में गृह मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाएगा. जबकि अन्य राज्यों में 'कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है.

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में स्थिति स्पष्ट है, जिसे 9 अगस्त, 2019 को अधिसूचित किया गया था. साथ ही संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के चार दिन बाद संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करते हुए- केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख बनाए गए थे.

अधिनियम का खंड 32 क्या कहता है

इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, विधान सभा जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के पूरे या किसी भी हिस्से के लिए राज्य सूची में सूचीबद्ध किसी भी मामले के संबंध में कानून बना सकती है, सिवाय इसके कि प्रविष्टि 1 और 2 में उल्लिखित विषय, अर्थात् क्रमशः 'लोक व्यवस्था' और 'पुलिस' या भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची, जहां तक ​​ऐसा कोई मामला लागू होता है.

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र गुरुवार दोपहर पीएम आवास में होने वाली बैठक में एक विस्तृत समयरेखा का प्रस्ताव भी दे सकता है कि विधानसभा चुनाव कब हो सकते हैं जो अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है. हालांकि, चुनाव की तारीखों पर अंतिम निर्णय चुनाव आयोग द्वारा तय किया जाएगा.

विधानसभा चुनावों का आयोजन परिसीमन प्रक्रिया पर निर्भर करता है जो विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण को संदर्भित करता है. परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे. इस सिलसिले में बुधवार को, परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के सभी 20 जिलों के उपायुक्तों के साथ एक वर्चुअल बैठक की, ताकि जिलों की रूपरेखा और मुद्दों से खुद को परिचित किया जा सके.

Last Updated : Jun 24, 2021, 6:28 PM IST
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