जम्मू : घरेलू और वैश्विक बाजारों में संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न संगठनों ने जम्मू क्षेत्र की आठ अलग-अलग पारंपरिक वस्तुओं के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग हासिल करने की कवायद शुरू की है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
जम्मू विश्वविद्यालय में आयोजित एक बैठक में इस संबंध में कार्य योजना तैयार की गई. 'जम्मू और कश्मीर के जीआई टैग के लिए आगे का रास्ता' शीर्षक से आयोजित इस बैठक में केंद्र शासित प्रदेश के देशी और पारंपरिक सामानों की विशिष्टता को निर्धारण करने पर विचार किया गया. समूह ने आठ अलग-अलग वस्तुओं के लिए जीआई टैग का अनुरोध किया है, जिसमें राजौरी जिले के थानामंडी क्षेत्र से चिकरी लकड़ी के उत्पाद, रामबन से सुलाई शहद, उधमपुर से कलारी, रामबन से अनारदाना, डोडा से गुच्छी, भद्रवाह से राजमाश और पश्मीना शामिल हैं.
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक उन्नत पंडित ने बताया, 'हमें जम्मू क्षेत्र से कुछ उत्पादों के जीआई-टैग के लिए आठ आवेदन मिले हैं. हम उनकी समीक्षा करेंगे.'
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(पीटीआई-भाषा)