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जम्मू कश्मीर : गिरफ्तारी के एक दिन बाद पत्रकार को मिली जमानत, 40 अधिवक्ताओं ने किया प्रतिनिधित्व - जम्मू कश्मीर

जम्मू के पत्रकार अरफाज डिंग को नौ महीने पुराने एक मामले में गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद स्थानीय कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. अरफाज की ओर से 40 अधिवक्ताओं ने प्रतिनिधित्व किया.

Journalist Arfaz Ding
पत्रकार अरफाज डिंग
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Published : Dec 21, 2022, 5:19 PM IST

जम्मू: जम्मू के एक पत्रकार को नौ महीने पुराने एक मामले में गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद मंगलवार को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी. पता चला है कि लगभग 40 अधिवक्ताओं द्वारा स्वेच्छा से उनका प्रतिनिधित्व करने के बाद अरफाज डिंग को जमानत पर रिहा कर दिया गया था.

अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि अरफाज को 22 मार्च को वेव मॉल जम्मू के पास राजस्व विभाग द्वारा चलाए गए एक विध्वंस अभियान से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, जहां मोहम्मद यूसुफ वानी के आवासीय घर को भी अधिकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था. आरोपी के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए के तहत मामला दर्ज किया गया था.

वहीं फेसबुक पेज न्यूज सेहर इंडिया चलाने वाले अरफाज ने यूसुफ के धरने का वीडियो शूट किया था, जिसमें यूसुफ ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे. अदालत में अरफाज का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि हाशिए के समुदाय की आवाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए अरफाज को निशाना बनाया जा रहा था. अरफाज का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने तर्क दिया कि उन्हें बिना किसी पूर्व नोटिस के गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया. अधिवक्ताओं ने अदालत के ऐतिहासिक फैसले के रूप में अरफाज की रिहाई की सराहना की.

ये भी पढ़ें - पुलिस अधिकारियों को नैतिक पुलिसिंग में शामिल होने की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट

जम्मू: जम्मू के एक पत्रकार को नौ महीने पुराने एक मामले में गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद मंगलवार को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी. पता चला है कि लगभग 40 अधिवक्ताओं द्वारा स्वेच्छा से उनका प्रतिनिधित्व करने के बाद अरफाज डिंग को जमानत पर रिहा कर दिया गया था.

अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि अरफाज को 22 मार्च को वेव मॉल जम्मू के पास राजस्व विभाग द्वारा चलाए गए एक विध्वंस अभियान से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, जहां मोहम्मद यूसुफ वानी के आवासीय घर को भी अधिकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था. आरोपी के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए के तहत मामला दर्ज किया गया था.

वहीं फेसबुक पेज न्यूज सेहर इंडिया चलाने वाले अरफाज ने यूसुफ के धरने का वीडियो शूट किया था, जिसमें यूसुफ ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे. अदालत में अरफाज का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि हाशिए के समुदाय की आवाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए अरफाज को निशाना बनाया जा रहा था. अरफाज का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने तर्क दिया कि उन्हें बिना किसी पूर्व नोटिस के गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया. अधिवक्ताओं ने अदालत के ऐतिहासिक फैसले के रूप में अरफाज की रिहाई की सराहना की.

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