रामबन/जम्मू : जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में प्रशासन ने 270 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बिना किसी रुकावट के वाहनों की आवाजाही को सुनिश्चित करने के प्रयास के तहत खानाबदोश परिवारों के अपने पशुओं के साथ पैदल चलने पर प्रतिबंध लगा दिया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
अधिकारियों के मुताबिक हालांकि, कश्मीर के ऊंचे चारागाहों से जम्मू लौटने वाले जनजातीय परिवारों को ले जाने के लिए अधिकारी 50 ट्रक उपलब्ध कराएंगे. अधिकारियों ने रामबन के जिलाधिकारी मसरत इस्लाम (Ramban District Magistrate Musratul Islam) के एक हालिया आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जनजातीय लोगों की पलायन योजना की निगरानी के लिए बनिहाल के अनुमंडल पदाधिकारी जहीर अब्बास को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.
जिलाधिकारी ने आदेश में कहा कि जिले के सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी समरिंदर सिंह और सड़क परिवहन निगम के प्रबंधक राजेश नोडल अधिकारी की इस कार्य में सहायता करेंगे. उनके मोबाइल नंबर को हेल्पलाइन नंबर के रूप में नामित किया गया है. यह आदेश खानाबदोश परिवारों और उनके पशुओं के जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर चलने पर प्रतिबंध लगाता है, जो कश्मीर घाटी को शेष भारत से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क है.
हर साल,अप्रैल-मई में जम्मू के मैदानी इलाकों में तापमान बढ़ जाता है तब खानाबदोश जनजातियों के लाखों लोग मुख्य रूप से गुज्जर और बकरवाल, घाटी की ओर पलायन करते हैं और सर्दी की शुरुआत होने से पहले वापस लौटते हैं.
केंद्र शासित प्रदेश के जनजातीय मामलों के विभाग ने इस मई में पहली बार जम्मू के विभिन्न जिलों से खानाबदोशों के परिवारों और उनके पशुओं को कश्मीर के ऊंचे चारागाहों तक ले जाने के लिए ट्रक उपलब्ध कराए. इसने उनके यात्रा समय को 20-30 दिनों से घटाकर एक से दो दिन कर दिया, जबकि सुगम यातायात प्रबंधन में भी मदद की, विशेष रूप से राजमार्ग पर.
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