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शिक्षक का देशी जुगाड़: जलगांव के टीचर छात्रों को स्कूल पहुंचाने के लिए बनायी ट्रॉली - jalgaon teacher finds solution of state transport strike

कहते हैं जहां चाह वहां राह है. ठीक इसी तर्ज पर महाराष्ट्र के जलगांव जिला के शिक्षक ने ऐसा काम किया कि अब हर कोई के जुबान पर केवल और केवल उनके ही चर्चे हैं. जी हां आप भी देखकर रह जाएंगे हैरान परंतु मुश्किलों को आसान करना ही है पाटिल सर का दूसरा नाम.

शिक्षक का देशी जुगाड
शिक्षक का देशी जुगाड
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Published : Apr 8, 2022, 8:28 AM IST

Updated : Apr 8, 2022, 12:21 PM IST

जलगांव: महाराष्ट्र में छात्रों की पढ़ाई में आ रही समस्या का समाधान के लिए शिक्षक नेे किया ऐसा जुगाड़ की लोग अब बोलते नहीं थक रहे हैं. जी हां जलगांव में पहले कोरोना के कारण बसे बंद थी और अब कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से बसें बंद है. जिससे छात्रों को रोजाना की पढ़ाई में भारी नुकसान हो रहा है. जलगांव जिले के तेहू गांव के एक आईटीआई शिक्षक एमवी पाटिल ने इसका समाधान ढूंढ़ निकाला है. पाटिल सर ने सड़क पर वाहन का इंतजार कर रहे छात्रों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए अपनी मोटरसाइकिल से एक ट्रॉली जोड़ दी है. यह ट्रॉली दस क्विंटल तक वजन ले जा सकती है.

राज्य परिवहन के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बसें बंद हैं. इससे रोजाना स्कूल आने-जाने वाले लाखों छात्रों की पढ़ाई का नुकसान उठाना पड रहा है. निजी वाहन रखने वाले माता-पिता अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल छोड़ते और ले जाते हैं. पाटिल सर रोजाना दगदीसबगवां से तेहू गांव तक मोटरसाइकिल पर चलाते हुए जाते हैं. यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि कई छात्र रोजाना सड़क के किनारे खड़े होकर वाहन का इंतजार कर रहे हैं. फिर वापस अपने घर लौट जाते हैं. रोजाना ऐसा होता देख पाटिल सर के दिमाग को झकझोर दिया और उन्होंने इसका समाधान ढूंढ़ने की ठान ली. इन छात्रों को राज्य परिवहन व अन्य निजी वाहनों का इंतजार करना भी पसंद नहीं था. परंतु वे असहाय थे क्योंकि ना तो उनके माता पिता के पास पैसे थे कि वे अपने बच्चों को निजी वाहन से स्कूल छोड़ सकें और न ही वे पैदल यात्रा कर सकते थे. फिर पाटिल सर ने एक चार पहिये वाली ट्रॉली बनाई जो 10 क्विंटल तक का वजन ले जा सकती थी. उस ट्रॉली को पाटिल सर ने अपनी मोटरसाइकिल से जोड़ दिया.

जलगांव के शिक्षक का देशी जुगाड

कोरोना के बाद नियमित स्कूल खुलने के बाद से पाटिल सर रोजाना 10 से 12 छात्रों को परोला स्कूल में लाने और ले जाने का कार्य इसी ट्रॉली में कर रहे हैं. शाम को जब वे गांव लौटते हैं तो उनके साथ बच्चे भी घर वापसी की यात्रा पर जाते हैं. छात्रों के लिए दूसरे वाहन से लाना मुश्किल था इसीलिए छात्र अब पाटिल सर द्वारा बनाई गई ट्रॉली में स्कूल या कॉलेज जाते हैं. छात्र प्रतीक्षा पाटिल और निर्भय पाटिल ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें अब बस या किसी अन्य निजी वाहन के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें-बाढ़ से तबाह हुआ बगीचा, किसान ने लिया सूझबूझ से काम

जलगांव: महाराष्ट्र में छात्रों की पढ़ाई में आ रही समस्या का समाधान के लिए शिक्षक नेे किया ऐसा जुगाड़ की लोग अब बोलते नहीं थक रहे हैं. जी हां जलगांव में पहले कोरोना के कारण बसे बंद थी और अब कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से बसें बंद है. जिससे छात्रों को रोजाना की पढ़ाई में भारी नुकसान हो रहा है. जलगांव जिले के तेहू गांव के एक आईटीआई शिक्षक एमवी पाटिल ने इसका समाधान ढूंढ़ निकाला है. पाटिल सर ने सड़क पर वाहन का इंतजार कर रहे छात्रों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए अपनी मोटरसाइकिल से एक ट्रॉली जोड़ दी है. यह ट्रॉली दस क्विंटल तक वजन ले जा सकती है.

राज्य परिवहन के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बसें बंद हैं. इससे रोजाना स्कूल आने-जाने वाले लाखों छात्रों की पढ़ाई का नुकसान उठाना पड रहा है. निजी वाहन रखने वाले माता-पिता अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल छोड़ते और ले जाते हैं. पाटिल सर रोजाना दगदीसबगवां से तेहू गांव तक मोटरसाइकिल पर चलाते हुए जाते हैं. यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि कई छात्र रोजाना सड़क के किनारे खड़े होकर वाहन का इंतजार कर रहे हैं. फिर वापस अपने घर लौट जाते हैं. रोजाना ऐसा होता देख पाटिल सर के दिमाग को झकझोर दिया और उन्होंने इसका समाधान ढूंढ़ने की ठान ली. इन छात्रों को राज्य परिवहन व अन्य निजी वाहनों का इंतजार करना भी पसंद नहीं था. परंतु वे असहाय थे क्योंकि ना तो उनके माता पिता के पास पैसे थे कि वे अपने बच्चों को निजी वाहन से स्कूल छोड़ सकें और न ही वे पैदल यात्रा कर सकते थे. फिर पाटिल सर ने एक चार पहिये वाली ट्रॉली बनाई जो 10 क्विंटल तक का वजन ले जा सकती थी. उस ट्रॉली को पाटिल सर ने अपनी मोटरसाइकिल से जोड़ दिया.

जलगांव के शिक्षक का देशी जुगाड

कोरोना के बाद नियमित स्कूल खुलने के बाद से पाटिल सर रोजाना 10 से 12 छात्रों को परोला स्कूल में लाने और ले जाने का कार्य इसी ट्रॉली में कर रहे हैं. शाम को जब वे गांव लौटते हैं तो उनके साथ बच्चे भी घर वापसी की यात्रा पर जाते हैं. छात्रों के लिए दूसरे वाहन से लाना मुश्किल था इसीलिए छात्र अब पाटिल सर द्वारा बनाई गई ट्रॉली में स्कूल या कॉलेज जाते हैं. छात्र प्रतीक्षा पाटिल और निर्भय पाटिल ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें अब बस या किसी अन्य निजी वाहन के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

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Last Updated : Apr 8, 2022, 12:21 PM IST
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