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जयशंकर ने यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मुलाकात की

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Published : Nov 12, 2022, 12:14 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कंबोडिया के नोम पेन्ह में आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मुलाकात की.

Ukraine Foreign Minister Dmytro Kuleba
जयशंकर ने यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मुलाकात की

नोम पेन्ह: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कंबोडिया के नोम पेन्ह में आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मुलाकात की. उन्होंने ट्वीट के बताया कि हमारी चर्चा के केंद्र में हालिया घटनाक्रम, अनाज की कमी और परमाणु चिंताओं को शामिल किया गया. उन्होंने ट्वीट के बताया कि हमारी चर्चा के केंद्र में हालिया घटनाक्रम, अनाज की कमी और परमाणु चिंताओं को शामिल किया गया.

  • EAM S Jaishankar met Ukrainian Foreign Affairs Minister Dmytro Kuleba, on ASEAN-India Commemorative Summit sidelines in Phnom Penh, Cambodia

    "Our discussions covered recent developments in the conflict, the grain initiative & nuclear concerns," he tweeted#RussiaUkraineCrisis pic.twitter.com/SLkcsATL78

    — ANI (@ANI) November 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को एक अन्य कार्यक्रम में कहा था कि चीन के साथ भारत के संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि सीमावर्ती इलाकों में शांति न हो. उन्‍होंने कहा कि इस मामले में भारत की ओर से उस देश को दिया गया संकेत स्पष्ट है.

पढ़ें: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022: कांग्रेस आज जारी करेगी घोषणा पत्र

जयशंकर ने कहा था कि मैं कह रहा हूं कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति का माहौल नहीं होगा, जब तक समझौतों का पालन नहीं किया जाता है और यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास पर रोक नहीं लगती है तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं. गलवान घाटी की झड़पों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2020 में जो हुआ वह 'एक पक्ष का प्रयास था, और हम जानते हैं कि वह कौन था, जो समझौते से अलग हटा था और यह मुद्दा सबसे अहम है.

जयशंकर ने कहा कि क्या हमने तब से प्रगति की है? कुछ मायनों में, हां... टकराव वाले कई बिंदु थे. उन टकराव वाले बिंदुओं में, सेना द्वारा खतरनाक रूप से करीबी तैनाती थी, मुझे लगता है कि उनमें से कुछ मुद्दों को समान और आपसी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हल किया गया है. उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जिन पर अभी काम किये जाने की जरूरत है. यह महत्वपूर्ण है कि हम दृढ़ रहें और आगे बढ़ते रहें. क्योंकि आप यह नहीं कहते हैं कि यह जटिल या कठिन है.

नोम पेन्ह: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कंबोडिया के नोम पेन्ह में आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मुलाकात की. उन्होंने ट्वीट के बताया कि हमारी चर्चा के केंद्र में हालिया घटनाक्रम, अनाज की कमी और परमाणु चिंताओं को शामिल किया गया. उन्होंने ट्वीट के बताया कि हमारी चर्चा के केंद्र में हालिया घटनाक्रम, अनाज की कमी और परमाणु चिंताओं को शामिल किया गया.

  • EAM S Jaishankar met Ukrainian Foreign Affairs Minister Dmytro Kuleba, on ASEAN-India Commemorative Summit sidelines in Phnom Penh, Cambodia

    "Our discussions covered recent developments in the conflict, the grain initiative & nuclear concerns," he tweeted#RussiaUkraineCrisis pic.twitter.com/SLkcsATL78

    — ANI (@ANI) November 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को एक अन्य कार्यक्रम में कहा था कि चीन के साथ भारत के संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि सीमावर्ती इलाकों में शांति न हो. उन्‍होंने कहा कि इस मामले में भारत की ओर से उस देश को दिया गया संकेत स्पष्ट है.

पढ़ें: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022: कांग्रेस आज जारी करेगी घोषणा पत्र

जयशंकर ने कहा था कि मैं कह रहा हूं कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति का माहौल नहीं होगा, जब तक समझौतों का पालन नहीं किया जाता है और यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास पर रोक नहीं लगती है तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं. गलवान घाटी की झड़पों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2020 में जो हुआ वह 'एक पक्ष का प्रयास था, और हम जानते हैं कि वह कौन था, जो समझौते से अलग हटा था और यह मुद्दा सबसे अहम है.

जयशंकर ने कहा कि क्या हमने तब से प्रगति की है? कुछ मायनों में, हां... टकराव वाले कई बिंदु थे. उन टकराव वाले बिंदुओं में, सेना द्वारा खतरनाक रूप से करीबी तैनाती थी, मुझे लगता है कि उनमें से कुछ मुद्दों को समान और आपसी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हल किया गया है. उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जिन पर अभी काम किये जाने की जरूरत है. यह महत्वपूर्ण है कि हम दृढ़ रहें और आगे बढ़ते रहें. क्योंकि आप यह नहीं कहते हैं कि यह जटिल या कठिन है.

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