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JAIPUR, Rajasthan Assembly Election Result 2023 सियासत के मैदान में 50 फीसदी डॉक्टर फेल,यहां जाने कौन हुआ पास - डॉक्टर शिखा मील बराला चुनाव जीतीं

JAIPUR, rajasthan vidhan sabha chunav assembly election Result 2023 राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों में इस बार काफी दिलचस्प नजारे देखने को मिले. नतीजों में सियासी दलों के कई दिग्गज धराशायी हुए. सरकार के करीब 17 मंत्री भी चुनावी वैतरणी पार नहीं कर सके. वहीं इस बार 8 डॉक्टर प्रत्याशी में चुनावी दंगल में किस्मत अजमाने उतरे थे जिसमें 50 फीसदी डॉक्टर चुनाव हार गए.

Rajasthan Assembly Election Result 2023
सियासत के मैदान में 50 फीसदी डॉक्टर फेल
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 3, 2023, 7:14 PM IST

जयपुर. 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार खत्म हो गया है. तीनों हिंदी पट्टी वाले राज्यों में से दो प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हाथ से फिसल गया है. 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा के लिए जनता ने अपना जनादेश सुनाया. तीन दशकों से राजस्थान में सीएम की कुर्सी बीजेपी और कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूमती रही है. 1993 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से हर पांच साल में यहां सरकार बदलने का रिवाज रहा है. इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें ही बनती रही हैं. इस बार भी यही रिवाज जारी है और जनता ने सत्ता की बागडोर बीजेपी के हाथों में सौंप दी है.

राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की टिकट पर इस बार चुनाव लड़ने वाले नेताओं में प्रोफेशनल चिकित्सक भी शामिल रहे. चुनावी मैदान में इस बार आठ डॉक्टर सियासत के पिच पर भाग्य अजमाने उतरे थे. भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर 6 डॉक्टर तो कांग्रेस की टिकट पर दो डॉक्टरों ने चुनावी समर में अपनी किस्मत को आजमाया.

पढ़ें:Rajasthan Assembly Election Result 2023 : गहलोत सरकार के हार गए 17 मंत्री, जानें कहां से किसे मिली शिकस्त

नागौर सीट से ज्योति मिर्धा को अपने ही चाचा हरेंद्र मिर्धा से सियासी मैदान में हार का सामना करना पड़ा. वहीं सवाई माधोपुर से भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने जीत का परचम लहराया है.वहीं धौलपुर में भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर शिवचरण कुशवाहा अपनी ही रिश्तेदार और कॉंग्रेस प्रत्याशी शोभा रानी से सियासी दंगल में चुनाव हार गए. भरतपुर की डीग-कुम्हेर में कमल के निशान पर चुनाव लड़ने वाले डॉक्टर शैलेश सिंह ने पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह को हराया. बहरोड़ में डॉक्टर जसवंत यादव ने कांग्रेस के संजय यादव को मात देकर जीत का परचम लहराया. वहीं खाजूवाला सीट पर डॉक्टर विश्वनाथ मेघवाल ने सरकार में मंत्री गोविंद राम मेघवाल को शिकस्त दी.चौमूं से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं डॉक्टर शिखा मील बराला ने बीजेपी से चार बार विधायक रहे रामलाल शर्मा को मात दी. वहीं डूंगरपुर से बीजेपी प्रत्याशी डॉक्टर दीपक घोघरा भी सियासत के मैदान में पास नहीं हो पाए और कांग्रेस के गणेश घोघरा से चुनाव हार गए.

डॉक्टर और नर्स में मुकाबला: डूंगरपुर में इस बार एक ही अस्पताल के डॉक्टर और नर्स के बीच का टक्कर चर्चा का विषय रहा. जिला अस्पताल में 10 साल से कार्यरत दोनों ही उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में थे. नर्स बंसीलाल कटारा (41) ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर बीजेपी का दामन थामा और अपनी किस्मत आजमाई, जबकि डॉ. दीपक घोघरा (43) भारतीय ट्राइबल पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बने. दोनों ही प्रत्याशियों का मुकाबला कांग्रेस की तरफ से उतारे गए गणेश घोघरा से था, जो डॉ. दीपक घोघरा के रिश्ते में भाई लगते हैं. हालांकि, इस सीट से कांग्रेस के गणेश घोघरा को जीत मिली है.

पढ़ें:Rajasthan Assembly Election Result 2023: धौलपुर में भाजपा का सफाया, साली ने जीजा को हराया

दीपक घोघरा और बंसीलाल कटारा का कहना था कि वो डूंगरपुर को स्वस्थ्य जिला बनाने के लिए राजनीतिक सफर की शुरुआत करना चाहते थे. मरीजों के बीच दोनों काफी चहेते थे, ऐसे में उन्हें जनता का समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद थी. बता दें कि डॉ. दीपक घोघरा हाईकोर्ट से अनुमति लेकर चुनावी मैदान में कूदे थे, जिसके तहत चुनाव हारने की स्थिति में वो वापस अपनी सेवाएं देंगे. डॉ. दीपक घोघरा एक राजनीतिक परिवार से आते हैं, उनके पिता सरपंच हैं. वहीं, दोनों ही उम्मीदवार एसटी समुदाय से आते हैं. बता दें कि 2018 के चुनाव में गणेश घोघरा ने चुनाव जीता था, जिसमें भाजपा के माधवलाल वराहट दूसरे स्थान पर और बीटीपी के वेलाराम तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार भाजपा और बीटीपी ने अपने प्रत्याशी बदल दिए थे.

जयपुर. 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार खत्म हो गया है. तीनों हिंदी पट्टी वाले राज्यों में से दो प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हाथ से फिसल गया है. 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा के लिए जनता ने अपना जनादेश सुनाया. तीन दशकों से राजस्थान में सीएम की कुर्सी बीजेपी और कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूमती रही है. 1993 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से हर पांच साल में यहां सरकार बदलने का रिवाज रहा है. इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें ही बनती रही हैं. इस बार भी यही रिवाज जारी है और जनता ने सत्ता की बागडोर बीजेपी के हाथों में सौंप दी है.

राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की टिकट पर इस बार चुनाव लड़ने वाले नेताओं में प्रोफेशनल चिकित्सक भी शामिल रहे. चुनावी मैदान में इस बार आठ डॉक्टर सियासत के पिच पर भाग्य अजमाने उतरे थे. भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर 6 डॉक्टर तो कांग्रेस की टिकट पर दो डॉक्टरों ने चुनावी समर में अपनी किस्मत को आजमाया.

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नागौर सीट से ज्योति मिर्धा को अपने ही चाचा हरेंद्र मिर्धा से सियासी मैदान में हार का सामना करना पड़ा. वहीं सवाई माधोपुर से भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने जीत का परचम लहराया है.वहीं धौलपुर में भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर शिवचरण कुशवाहा अपनी ही रिश्तेदार और कॉंग्रेस प्रत्याशी शोभा रानी से सियासी दंगल में चुनाव हार गए. भरतपुर की डीग-कुम्हेर में कमल के निशान पर चुनाव लड़ने वाले डॉक्टर शैलेश सिंह ने पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह को हराया. बहरोड़ में डॉक्टर जसवंत यादव ने कांग्रेस के संजय यादव को मात देकर जीत का परचम लहराया. वहीं खाजूवाला सीट पर डॉक्टर विश्वनाथ मेघवाल ने सरकार में मंत्री गोविंद राम मेघवाल को शिकस्त दी.चौमूं से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं डॉक्टर शिखा मील बराला ने बीजेपी से चार बार विधायक रहे रामलाल शर्मा को मात दी. वहीं डूंगरपुर से बीजेपी प्रत्याशी डॉक्टर दीपक घोघरा भी सियासत के मैदान में पास नहीं हो पाए और कांग्रेस के गणेश घोघरा से चुनाव हार गए.

डॉक्टर और नर्स में मुकाबला: डूंगरपुर में इस बार एक ही अस्पताल के डॉक्टर और नर्स के बीच का टक्कर चर्चा का विषय रहा. जिला अस्पताल में 10 साल से कार्यरत दोनों ही उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में थे. नर्स बंसीलाल कटारा (41) ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर बीजेपी का दामन थामा और अपनी किस्मत आजमाई, जबकि डॉ. दीपक घोघरा (43) भारतीय ट्राइबल पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बने. दोनों ही प्रत्याशियों का मुकाबला कांग्रेस की तरफ से उतारे गए गणेश घोघरा से था, जो डॉ. दीपक घोघरा के रिश्ते में भाई लगते हैं. हालांकि, इस सीट से कांग्रेस के गणेश घोघरा को जीत मिली है.

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दीपक घोघरा और बंसीलाल कटारा का कहना था कि वो डूंगरपुर को स्वस्थ्य जिला बनाने के लिए राजनीतिक सफर की शुरुआत करना चाहते थे. मरीजों के बीच दोनों काफी चहेते थे, ऐसे में उन्हें जनता का समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद थी. बता दें कि डॉ. दीपक घोघरा हाईकोर्ट से अनुमति लेकर चुनावी मैदान में कूदे थे, जिसके तहत चुनाव हारने की स्थिति में वो वापस अपनी सेवाएं देंगे. डॉ. दीपक घोघरा एक राजनीतिक परिवार से आते हैं, उनके पिता सरपंच हैं. वहीं, दोनों ही उम्मीदवार एसटी समुदाय से आते हैं. बता दें कि 2018 के चुनाव में गणेश घोघरा ने चुनाव जीता था, जिसमें भाजपा के माधवलाल वराहट दूसरे स्थान पर और बीटीपी के वेलाराम तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार भाजपा और बीटीपी ने अपने प्रत्याशी बदल दिए थे.

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