बेंगलुरु: कर्नाटक में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. शनिवार को शपथ लेने वाले मंत्रियों को विभाग आवंटित किए गए. गौरतलब है कि सीएम सिद्धारमैया और डीप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो अपने पास रख रहे हैं. अब आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला रेड्डी ने डीसीएम डीके शिवकुमार से मुलाकात की है, जिसके बाद कर्नाटक में राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
आपको बता दें कि तेलंगाना वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष और आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला रेड्डी ने सोमवार को बेंगलुरु के सदाशिवनगर स्थित आवास पर केपीसीसी अध्यक्ष डीसीएम डीके शिवकुमार से शिष्टाचार भेंट की और बातचीत की. कर्नाटक की राजनीति में इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है.
दरअसल, कर्नाटक के सीएम सिद्धारामैया ने रविवार को ही अपने मंत्रियों में विभागों का बंटवारा किया है. सिद्धारामैया ने डिप्टी सीएम शिवकुमार को सिंचाई और बेंगलुरु शहर विकास की जिम्मेदारी सौंपी है. हालांकि, डीके शिवकुमार पहले ही मुख्यमंत्री बनने की रेस में थे लेकिन राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के कहने पर डिप्टी सीएम बनने के लिए राजी हो गए थे.
वाईएस शर्मिला रेड्डी की बात करें तो उनके भाई जगनमोहन भले ही भारतीय जनता पार्टी के विरोधी हो उन्होंने आर्टिकल 370 और तीन तलाक जैसे तमाम मुद्दों पर संसद में मोदी सरकार का साथ दिया है. तो वहीं, नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में भी जगनमोहन रेड्डी ने शिरकत की थी. साथ ही जगनमोहन ने ट्वीट कर अन्य विपक्षी दलों से भी संसद के उद्घाटन का बहिष्कार नहीं करने के लिए कहा था. ऐसे में जगनमोहन की बहन का शिवकुमार से मुलाकात करना कई मायनों में अहम माना जा रहा है.
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मुश्किल में कांग्रेस! : कर्नाटक में कांग्रेस आलाकमान ने डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया. साथ ही अब अहम विभागों का न सौंपा जाना भी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. शिवकुमार के भाई और कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनके भाई ने उप मुख्यमंत्री का पद भले ही स्वीकार कर लिया हो लेकिन आगे की रणनीति जरूत तय करेंगे. ऐसे में फिलहाल कांग्रेस के लिए कर्नाटक की चिंता दूर होती नहीं लग रही है.