जबलपुर। जहां चाह वहां रह यह कहावत तो आपने सुनी होगी, लेकिन इसको चरितार्थ कर दिखाया है. नरसिंहपुर जिले के दूर दराज गांव छीतापार के रहने वाले एक युवा विकास ने विकास कमजोर आर्थिक स्थिति के परिवार का छोटा बेटा है. विकास ने केवल 12वीं तक पढ़ाई की है. उसके परिवार का जीवन यापन एक छोटी सी मैकेनिक की दुकान के भरोसे होता है. इस दूरदराज के गांव में एक ही दुकान पर वेल्डिंग भी करते हैं. गाड़ियां भी सुधारते हैं और गाड़ियों के पंचर भी बनाते हैं.
विकास जिस परिस्थिति में छीतापार जैसे छोटे गांव में रह रहा है. उसके लिए चार चक्के की गाड़ी खरीदना एक सपना से कम नहीं है. विकास के परिवार के लिए यह कभी पूरा न होने वाला सपना है, क्योंकि इतनी आमदनी ही नहीं होती की इतना पैसा बचाया जा सके की एक कार खरीदी जा सके.
जुगाड़ की गाड़ी: जुनून के पक्के विकास को चार पहिए की गाड़ी पर घूमने एक जिद बन गई और उसने यह तय किया कि अब वह कार खरीद तो नहीं सकता, लेकिन अपने गैराज में एक कार बना जरुर सकता है. बस यही से विकास ने अपने आसपास की चीजों से कार बनाने का निर्णय लिया और गैराज में खड़ी एक पुरानी बाइक के इंजन को ठीक-ठाक किया. इसके बाद खुद एक चार चक्के की असेंबली तैयार की. इसमें बाइक के इंजन को फिट किया. एक पुरानी कार की सीट को सोफे की तरह लगाया, बेसिक स्ट्रक्चर तैयार करने के बाद सस्पेंशन के लिए मोटरसाइकिल के 6 शोकअप अलग-अलग जगह पर लगाए गए. एक पुरानी कार का पावर स्टीयरिंग जुगाड़ करके फिट किया गया और एक जुगाड़ की एक ऐसी गाड़ी बना ली जो 30 किलोमीटर की रफ्तार में चलती है और 30 किलोमीटर प्रति लीटर पेट्रोल का एवरेज भी देती है.
पैसे नहीं होने पर रंग रोगन नहीं किया: विकास का कहना है कि उसके पास मात्र ₹25000 थे. इसलिए गाड़ी के रंग रोगन और सुंदरता पर बहुत पैसा खर्च नहीं हो पाया. जैसे-जैसे पैसे आएंगे, वह अपनी कार में और मोडिफिकेशन करेगा. विकास का कहना है कि उन्होंने इसकी कहीं कोई ट्रेनिंग नहीं ली. कई लोगों ने उन्हें हतोत्साहित भी किया, लेकिन अब उनके काम को सराहा जा रहा है. विकास ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस ने भी उनकी गाड़ी को कई बार रोका लेकिन फिर गाड़ी को देखने पर रखने के बाद हमें परेशान नहीं किया.
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महंगी कार से अलग है जुगाड़ की कार: विकास का कहना है कि उनकी यह जुगाड़ की कार महंगी कारों के सामने अलग नजर आती है. लोग महंगी कारों को उतने ध्यान से नहीं देखते. जितनी हमारी मेहनत की इस कार को देखा जाता है. वहीं विकास के घर की ज़रूरतें भी इस कार के जरिए पूरी हो जाती हैं. वह बीते 3 महीने से इसके माध्यम से अपने घर के जरूरी काम भी इसी कार के जरिए पूरे कर रहे हैं. विकास का कहना है कि वे जल्द ही इसमें कुछ ऐसा परिवर्तन भी करेंगे. जिससे इसका उपयोग खेती के काम में भी किया जा सके. वे इसमें में एक पंप लगाना चाहते हैं. जिस खेत में दवा और खाद का छिड़काव किया जा सके, ताकि उनके इस मॉडल से उन्हें कुछ पैसा भी मिलने लगे.
विकास जैसे युवा बेहद गरीबी की स्थिति में जीते हैं, लेकिन इसके बाद भी इनका दिमाग बहुत रचनात्मक है. वहीं दूसरी तरफ सुविधा संपन्न बच्चे रचनात्मक से पूरी तरह दूर है. यदि विकास जैसे बच्चों को थोड़ी सी सहूलियत मिल जाए तो यह न केवल खुद के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए कुछ नया बना सकते हैं.