जबलपुर। जिले में इस साल अभी तक 2 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है. अभी भी मौसम खुलने के लिए तैयार नहीं है. आसमान में काले बादल छाए हुए हैं और रोज बारिश हो रही है. जबलपुर में मई सबसे गर्म महीना होता था. मौसम विभाग की गणना के अनुसार बीते 80 सालों में मई इतना ठंडा कभी नहीं रहा. जब रात का न्यूनतम तापमान 17 डिग्री तक पहुंच गया और दिन का अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस है. पिछले साल आज के ही दिन 41.5 डिग्री सेल्सियस के साथ सूरज से आग बरस रही थी.
हजारों कमल के फूल खिले: मौसम के बदलाव का असर प्रकृति में स्पष्ट नजर आने लगा है. गर्म लू की जगह ठंडी हवाएं चल रही हैं. वातावरण में रूखे पन की जगह नमी है और लगातार हो रही बारिश के चलते कमल के फूल लगभग 2 महीने पहले ही उग गए हैं. जबलपुर के इमरती तालाब में हजारों कमल के फूल अपनी सुंदरता बिखेर रहे हैं. सामान्य तौर से जबलपुर में कमल के फूलों का मौसम जुलाई से शुरू होता था, जो ठंड तक चलता था, लेकिन इस बार मौसम ने करवट बदली तो प्रकृति ने भी करवट बदली है.
वैज्ञानिकों में चिंता: जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ शेखर बघेल का कहना है कि मौसम में यह परिवर्तन लोगों को भले ही पसंद आ रहा हो, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों और कृषि वैज्ञानिकों के लिए यह चिंता का विषय बन गया है. कोई भी मौसम यदि अपना समय बदलता है तो इससे प्रकृति में कई किस्म के संकट खड़े हो जाते हैं. प्राकृतिक बदलाव की वजह से फसल चक्र प्रभावित हुआ तो अनाज फल और सब्जियों का उत्पादन प्रभावित होगा और एक नए किस्म की चुनौती खड़ी हो जाएगी. फिलहाल शोधकर्ता मौसम के इस बदलाव की वजह जानने में जुटे हुए हैं. मौसम वैज्ञानिकों को बेमौसम बारिश की एक वजह है ग्रीन हाउस इफेक्ट भी नजर आ रहा है.
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कई बरसाती फूल उगे: कमल के अलावा दूसरे बरसाती फूल भी फूल गए हैं. वाटर लिली ने फूल छोड़ दिया है, सूखी हुई घास दोबारा से हरी हो गई है. कुछ जंगली जिनके फूल अब तक झड़ जाते थे, उनमें अभी भी फूल लगे हुए हैं. जिस तरह इंसानों के लिए मई का महीना आश्चर्यचकित कर रहा है. लगता है वैसा ही कुछ असर फूलों, पेड़-पत्तियों पर भी पड़ा है, लिहाजा वह समय के अनुसार व्यवहार करना भूल गए हैं.