ETV Bharat / bharat

ITI के 40 लाख छात्रों का भविष्य अधर में, मोदी सरकार पर अनदेखी का आरोप

अखिल भारतीय आईटीआई छात्र एवं आईटीआई संचालक संयुक्त संगठन का कहना है कि एक वर्ष से ज्यादा बीत जाने के बाद भी सत्र 2014-17 और सत्र 2018-20 के छात्रों के रिजल्ट अब तक लंबित हैं. संगठन की मांग है कि परिक्षा पुराने तर्ज पर ही लिखित रूप में आयोजित हो या फिर बिना परीक्षा आयोजित किए ही छात्रों को पास किया जाए. संगठनों ने मांगें न माने जाने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

आईटीआई संचालक
आईटीआई संचालक
author img

By

Published : Nov 1, 2021, 9:36 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सरकार में महत्वकांक्षी योजना 'स्किल इंडिया' की शुरुआत की थी, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में स्किल प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत और दशकों से चल रहे आईटीआई के संचालक और 40 लाख से ज्यादा छात्र समय से परीक्षाएं न होने के कारण परेशान हैं और रिजल्ट समय से न आने के कारण उन्हें अपना भविष्य अनिश्चित लग रहा है.

अखिल भारतीय आईटीआई छात्र एवं आईटीआई संचालक संयुक्त संगठन ने सोमवार को दिल्ली में मीडिया के माध्यम से सरकार को गुहार लगाई. उनका कहना है कि न तो केंद्रीय मंत्री की तरफ से और न ही सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा ही उन्हें मिलने का समय दिया गया. एक वर्ष से ज्यादा बीत जाने के बाद भी सत्र 2014-17 और सत्र 2018-20 के छात्रों के रिजल्ट अब तक लंबित हैं.

दिल्ली पहुंचे देश के अलग-अलग राज्यों के आईटीआई संचालकों का कहना है कि 40 लाख से ज्यादा छात्र अपनी परीक्षा देने का इंतजार कर रहे हैं. उनके पाठ्यक्रम की प्रैक्टिकल परीक्षाएं पहले ही हो चुकी हैं और केवल थ्योरी के दो विषयों की परीक्षा बाकी है जो क्रमबद्ध तरीके से ऑनलाइन आयोजित कराई जा रही हैं. पहले ये परिक्षाएं लिखित रूप में आयोजित होती थीं, लेकिन बाद में इन्हें ऑनलाइन कर दिया गया. समस्या ये है कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कराने के लिए कौशल विकास मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के पास पर्याप्त व्यवस्था उप्लब्ध नहीं है.

संचालन संयुक्त संगठन के अध्यक्ष बीएस तोमर ने बताया कि क्रमवार तरीके से परीक्षा आयोजित की जा रही हैं लेकिन एक साल से यह प्रक्रिया सतत चल रही है और इसके बावजूद अब तक 50% छात्रों की परीक्षा भी पूरी नहीं हो सकी है. इतना ही नहीं, छात्रों के परीक्षा केंद्र भी 100 किलोमीटर से 200 किलोमीटर दूर तक दिए जा रहे हैं, जिसके कारण छात्रों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि सुबह सात बजे शुरू होने वाली परीक्षा कभी देर शाम तक भी पूरी नहीं हो पाती और परीक्षार्थियों में शामिल महिला छात्रों को इसके कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

आईटीआई संचालकों का कहना है कि प्रशिक्षण महानिदेशालय के कुप्रबंधन के करण छात्र और अभिभावक उनके पास अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, लेकिन उनके पास समस्या का निदान नहीं होता.

प्रशिक्षण महानिदेशालय के नये नियमों और निर्देशों के कारण हो रही समस्याओं के बारे में बताते हुए तोमर ने कहा कि पहले से चल रहे प्राइवेट आईटीआई में चार ट्रेड अनिवार्य करने के कारण उनके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. जो छोटे संस्थान दो ट्रेड के साथ लंबे समय से चल रहे थे आज दो और ट्रेड जोड़ने के लिए न तो उनके पास पर्याप्त जगह है और न ही संसाधन. पुराने आईटीआई परिसर को नए और बड़ी जगह पर शिफ्ट करना भी कम समय में संचालकों के लिए संभव नहीं है.

अखिल भारतीय आईटीआई छात्र एवं आईटीआई संचालक संयुक्त संगठन की मांग है कि परिक्षा पुराने तर्ज पर ही लिखित रूप में आयोजित हो या फिर बिना परीक्षा आयोजित किए ही छात्रों को पास किया जाए. परीक्षा फीस में भी 2014 के बाद काफी बढ़ोतरी हुई है. जो परीक्षा फीस पहले 75 रुपये हुआ करती थी वह अब कई गुना बढ़ाकर 375 रुपये कर दी गई है. इसे कम किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- NEET UG Result 2021 : मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट का रिजल्ट जारी

उन्होंने कहा कि सरकार का कहना है कि 2014 के बाद आईटीआई में सीटों की संख्या बढ़ा कर 16 लाख से 26 लाख 40 हजार की गई, लेकिन वास्तविकता यह है कि संस्थानों में तीसरी शिफ्ट खत्म किये जाने के कारण अब 6 लाख 50 हजार सीटें घट गई हैं. इसके साथ ही परीक्षा केंद्रों को अधिकतक 25 किलोमीटर रखने की भी मांग की गई है.

संगठनों ने मांगें न माने जाने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सरकार में महत्वकांक्षी योजना 'स्किल इंडिया' की शुरुआत की थी, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में स्किल प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत और दशकों से चल रहे आईटीआई के संचालक और 40 लाख से ज्यादा छात्र समय से परीक्षाएं न होने के कारण परेशान हैं और रिजल्ट समय से न आने के कारण उन्हें अपना भविष्य अनिश्चित लग रहा है.

अखिल भारतीय आईटीआई छात्र एवं आईटीआई संचालक संयुक्त संगठन ने सोमवार को दिल्ली में मीडिया के माध्यम से सरकार को गुहार लगाई. उनका कहना है कि न तो केंद्रीय मंत्री की तरफ से और न ही सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा ही उन्हें मिलने का समय दिया गया. एक वर्ष से ज्यादा बीत जाने के बाद भी सत्र 2014-17 और सत्र 2018-20 के छात्रों के रिजल्ट अब तक लंबित हैं.

दिल्ली पहुंचे देश के अलग-अलग राज्यों के आईटीआई संचालकों का कहना है कि 40 लाख से ज्यादा छात्र अपनी परीक्षा देने का इंतजार कर रहे हैं. उनके पाठ्यक्रम की प्रैक्टिकल परीक्षाएं पहले ही हो चुकी हैं और केवल थ्योरी के दो विषयों की परीक्षा बाकी है जो क्रमबद्ध तरीके से ऑनलाइन आयोजित कराई जा रही हैं. पहले ये परिक्षाएं लिखित रूप में आयोजित होती थीं, लेकिन बाद में इन्हें ऑनलाइन कर दिया गया. समस्या ये है कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कराने के लिए कौशल विकास मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के पास पर्याप्त व्यवस्था उप्लब्ध नहीं है.

संचालन संयुक्त संगठन के अध्यक्ष बीएस तोमर ने बताया कि क्रमवार तरीके से परीक्षा आयोजित की जा रही हैं लेकिन एक साल से यह प्रक्रिया सतत चल रही है और इसके बावजूद अब तक 50% छात्रों की परीक्षा भी पूरी नहीं हो सकी है. इतना ही नहीं, छात्रों के परीक्षा केंद्र भी 100 किलोमीटर से 200 किलोमीटर दूर तक दिए जा रहे हैं, जिसके कारण छात्रों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि सुबह सात बजे शुरू होने वाली परीक्षा कभी देर शाम तक भी पूरी नहीं हो पाती और परीक्षार्थियों में शामिल महिला छात्रों को इसके कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

आईटीआई संचालकों का कहना है कि प्रशिक्षण महानिदेशालय के कुप्रबंधन के करण छात्र और अभिभावक उनके पास अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, लेकिन उनके पास समस्या का निदान नहीं होता.

प्रशिक्षण महानिदेशालय के नये नियमों और निर्देशों के कारण हो रही समस्याओं के बारे में बताते हुए तोमर ने कहा कि पहले से चल रहे प्राइवेट आईटीआई में चार ट्रेड अनिवार्य करने के कारण उनके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. जो छोटे संस्थान दो ट्रेड के साथ लंबे समय से चल रहे थे आज दो और ट्रेड जोड़ने के लिए न तो उनके पास पर्याप्त जगह है और न ही संसाधन. पुराने आईटीआई परिसर को नए और बड़ी जगह पर शिफ्ट करना भी कम समय में संचालकों के लिए संभव नहीं है.

अखिल भारतीय आईटीआई छात्र एवं आईटीआई संचालक संयुक्त संगठन की मांग है कि परिक्षा पुराने तर्ज पर ही लिखित रूप में आयोजित हो या फिर बिना परीक्षा आयोजित किए ही छात्रों को पास किया जाए. परीक्षा फीस में भी 2014 के बाद काफी बढ़ोतरी हुई है. जो परीक्षा फीस पहले 75 रुपये हुआ करती थी वह अब कई गुना बढ़ाकर 375 रुपये कर दी गई है. इसे कम किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- NEET UG Result 2021 : मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट का रिजल्ट जारी

उन्होंने कहा कि सरकार का कहना है कि 2014 के बाद आईटीआई में सीटों की संख्या बढ़ा कर 16 लाख से 26 लाख 40 हजार की गई, लेकिन वास्तविकता यह है कि संस्थानों में तीसरी शिफ्ट खत्म किये जाने के कारण अब 6 लाख 50 हजार सीटें घट गई हैं. इसके साथ ही परीक्षा केंद्रों को अधिकतक 25 किलोमीटर रखने की भी मांग की गई है.

संगठनों ने मांगें न माने जाने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.