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EAM Jaishankar on China : चीन के साथ रिश्तों पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर, यह कभी आसान नहीं रहा - भारत चीन संबंध

न्यूयॉर्क में 'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स पर चर्चा' के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच रिश्तों में काफी जटिलतायें हैं. यही इस रिश्ते का रोचक पहलू भी है. पढ़ें पूरी खबर...

EAM Jaishankar on China
न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री एस जयशंकर (तस्वीर : एमईए यूट्यूब से साभार)
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By ANI

Published : Sep 27, 2023, 6:52 AM IST

न्यूयॉर्क : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार (स्थानीय समय) पर भारत-चीन संबंधों पर प्रकाश डाला. विदेश मंत्री जयशंकर ने न्यूयॉर्क में 'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स पर चर्चा' के दौरान भारत और चीन के संबंधों के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि इसमें हमेशा कुछ समस्याएं रही हैं. जो लगभग 75 वर्षों में संघर्ष और सहयोग के चक्र से गुजरे हैं. उन्होंने माना कि दोनों देशों के बीच संबंध आसान नहीं रहे हैं.

विदेश मंत्री ने चर्चा के दौरान कहा कि मैं 2009 में, वैश्विक वित्तीय संकट के ठीक बाद, 2013 तक राजदूत था. मैंने चीन में सत्ता परिवर्तन देखा और फिर मैं अमेरिका आ गया. यह कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा. उन्होंने कहा कि युद्ध और सैन्य घटनाओं के इतिहास के बावजूद, 1975 के बाद से सीमा पर कोई सैन्य या युद्ध मृत्यु नहीं हुई है. जयशंकर ने कहा कि 1962 में युद्ध हुआ था, उसके बाद सैन्य घटनाएं हुईं. लेकिन 1975 के बाद, सीमा पर कभी कोई सैन्य या युद्ध घातक घटना नहीं हुई.

चीनी वास्तव में कभी भी अपने काम के पीछे का कारण नहीं बताते : चीन के साथ रिश्तों में जटिलता पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने अपनी चर्चा के दौरान कहा कि इसमें हमेशा कुछ अस्पष्टता रहती है क्योंकि चीनी वास्तव में कभी भी अपने काम के पीछे का कारण नहीं बताते हैं. उन्होंने कहा कि जब आप चीन के साथ बातचीत में शामिल होते हैं तो हमेशा कुछ अस्पष्टता रहती है. यही उनके साथ काम करने का आनंद भी है. इसलिए आप अक्सर इसका पता लगाने की कोशिश करते हैं. जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंध कभी भी आसान नहीं रहे हैं और इसमें हमेशा समस्याएं रही हैं.

भारत-चीन रिश्तों में तनाव : बता दें कि हाल के दिनों में भारत और चीन के बीच रिश्तों में तनाव और बढ़ा है. चीन ने अपने मानक मानचित्र का 2023 संस्करण जारी किया था जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया है. इसके साथ ही चीन ने हांग्जो एशियाई खेलों में भारतीय एथलीटों को वीजा देने से भी इनकार कर दिया था.

भारत की वैश्विक क्षमता पर बोले जयशंकर : जयशंकर ने यह भी कहा कि आज भारत उन कुछ देशों में से एक है जो तीव्र पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण और उत्तर-दक्षिण विभाजन को पाटने की क्षमता रखता है. उन्होंने कहा कि यह जी20 में बहुत स्पष्ट था. आपके पास बहुत तेज पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण है. इस ध्रुवीकरण का तात्कालिन उन्होंने रूस और यूक्रेन युद्ध को माना लेकिन उन्होंने कहा कि सिर्फ यही एक कारण नहीं है.

इसके पीछे कोविड महामारी और अन्य वैश्विक समस्याएं भी हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया की राजनीति में एक बहुत गहरा उत्तर-दक्षिण विभाजन खड़ा होता नजर आ रहा है. जयशंकर ने कहा कि मैं कहूंगा कि हम उन कुछ देशों में से एक हैं, जिनके पास वास्तव में इन दोनों मुद्दों को पाटने की क्षमता है.

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नये संगठनों में भारत का बढ़ा जुड़ाव : उन्होंने आगे उन समूहों और ब्लॉकों की संख्या पर जोर दिया जिनका भारत हाल ही में हिस्सा बन गया है. उन्होंने कहा कि अगर आप पिछले दशक को देखें तो यह दिलचस्प है. हम और अधिक संगठनों के सदस्य बन गये हैं. क्वाड, 2008 के बाद 2017 में पुनर्जीवित किया गया था. इसे लगातार उन्नत किया गया है. ईएएम ने कहा कि सबसे हालिया भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा है. हमारा I2U2 नामक एक समूह है, जिसमें भारत, इजराइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं. हम शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हुए. हमारे पास अधिक स्थानीय समीपवर्ती प्रकृति के कुछ और संगठन हैं.

(एएनआई)

न्यूयॉर्क : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार (स्थानीय समय) पर भारत-चीन संबंधों पर प्रकाश डाला. विदेश मंत्री जयशंकर ने न्यूयॉर्क में 'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स पर चर्चा' के दौरान भारत और चीन के संबंधों के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि इसमें हमेशा कुछ समस्याएं रही हैं. जो लगभग 75 वर्षों में संघर्ष और सहयोग के चक्र से गुजरे हैं. उन्होंने माना कि दोनों देशों के बीच संबंध आसान नहीं रहे हैं.

विदेश मंत्री ने चर्चा के दौरान कहा कि मैं 2009 में, वैश्विक वित्तीय संकट के ठीक बाद, 2013 तक राजदूत था. मैंने चीन में सत्ता परिवर्तन देखा और फिर मैं अमेरिका आ गया. यह कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा. उन्होंने कहा कि युद्ध और सैन्य घटनाओं के इतिहास के बावजूद, 1975 के बाद से सीमा पर कोई सैन्य या युद्ध मृत्यु नहीं हुई है. जयशंकर ने कहा कि 1962 में युद्ध हुआ था, उसके बाद सैन्य घटनाएं हुईं. लेकिन 1975 के बाद, सीमा पर कभी कोई सैन्य या युद्ध घातक घटना नहीं हुई.

चीनी वास्तव में कभी भी अपने काम के पीछे का कारण नहीं बताते : चीन के साथ रिश्तों में जटिलता पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने अपनी चर्चा के दौरान कहा कि इसमें हमेशा कुछ अस्पष्टता रहती है क्योंकि चीनी वास्तव में कभी भी अपने काम के पीछे का कारण नहीं बताते हैं. उन्होंने कहा कि जब आप चीन के साथ बातचीत में शामिल होते हैं तो हमेशा कुछ अस्पष्टता रहती है. यही उनके साथ काम करने का आनंद भी है. इसलिए आप अक्सर इसका पता लगाने की कोशिश करते हैं. जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंध कभी भी आसान नहीं रहे हैं और इसमें हमेशा समस्याएं रही हैं.

भारत-चीन रिश्तों में तनाव : बता दें कि हाल के दिनों में भारत और चीन के बीच रिश्तों में तनाव और बढ़ा है. चीन ने अपने मानक मानचित्र का 2023 संस्करण जारी किया था जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया है. इसके साथ ही चीन ने हांग्जो एशियाई खेलों में भारतीय एथलीटों को वीजा देने से भी इनकार कर दिया था.

भारत की वैश्विक क्षमता पर बोले जयशंकर : जयशंकर ने यह भी कहा कि आज भारत उन कुछ देशों में से एक है जो तीव्र पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण और उत्तर-दक्षिण विभाजन को पाटने की क्षमता रखता है. उन्होंने कहा कि यह जी20 में बहुत स्पष्ट था. आपके पास बहुत तेज पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण है. इस ध्रुवीकरण का तात्कालिन उन्होंने रूस और यूक्रेन युद्ध को माना लेकिन उन्होंने कहा कि सिर्फ यही एक कारण नहीं है.

इसके पीछे कोविड महामारी और अन्य वैश्विक समस्याएं भी हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया की राजनीति में एक बहुत गहरा उत्तर-दक्षिण विभाजन खड़ा होता नजर आ रहा है. जयशंकर ने कहा कि मैं कहूंगा कि हम उन कुछ देशों में से एक हैं, जिनके पास वास्तव में इन दोनों मुद्दों को पाटने की क्षमता है.

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नये संगठनों में भारत का बढ़ा जुड़ाव : उन्होंने आगे उन समूहों और ब्लॉकों की संख्या पर जोर दिया जिनका भारत हाल ही में हिस्सा बन गया है. उन्होंने कहा कि अगर आप पिछले दशक को देखें तो यह दिलचस्प है. हम और अधिक संगठनों के सदस्य बन गये हैं. क्वाड, 2008 के बाद 2017 में पुनर्जीवित किया गया था. इसे लगातार उन्नत किया गया है. ईएएम ने कहा कि सबसे हालिया भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा है. हमारा I2U2 नामक एक समूह है, जिसमें भारत, इजराइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं. हम शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हुए. हमारे पास अधिक स्थानीय समीपवर्ती प्रकृति के कुछ और संगठन हैं.

(एएनआई)

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