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ISRO's Pictures Raise Concerns In Joshimath : 'असुरक्षित' होटलों को ढहाने, प्रभावितों को स्थानांतरित करने का सिलसिला जारी - Joshimath sinking update news

पिछले लंबे समय से जोशीमठ में भू-धंसाव और दरार की समस्या देखी जा रही थी, जो समय के साथ तेजी से बढ़ता चला गया. आलम यह है कि अब जोशीमठ के अस्तित्व पर भी खतरा (ISRO's Pictures Raise Concerns In Joshimath) मंडराने लगा है. जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर कई अध्ययन किए जा रहे हैं. जिसमें एक बात यह भी सामने आ रही है कि पिछले 12 दिनों में भूधंसाव की गति​ बढ़ने की बात सामने आने से चिंता बढ़ गई है.

ISRO's Pictures Raise Concerns In Joshimath
इसरो के द्वारा जारी की गई तस्वीर.
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Published : Jan 14, 2023, 8:05 AM IST

देहरादून: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा शुक्रवार को जारी उपग्रह तस्वीरों में जोशीमठ में पिछले 12 दिनों में भूधंसाव की गति​ बढ़ने की बात सामने आने से चिंता बढ़ गई है जबकि 'असुरक्षित' घोषित दो होटलों को ढहाए जाने और प्रभावित लोगों के सुरक्षित स्थानों पर जाने का सिलसिला जारी रहा. राज्य मंत्रिमंडल ने प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कई निर्णय लिए जिनमें उनके मकानों के किराए की धनराशि बढ़ाकर पांच हजार रुपये प्रतिमाह करना, उनके बिजली-पानी के बिल छह माह की अवधि के लिए माफ करना तथा बैंको से उनके ऋणों की वसूली एक साल तक स्थगित रखना शामिल है.

इस बीच, रूड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) की तकनीकी निगरानी में, दरारों के कारण ऊपरी हिस्से से एक दूसरे से खतरनाक तरीके से जुड़ गए दो होटलों- सात मंजिला 'मलारी इन' और पांच मंजिला 'माउंट व्यू' को तोड़ने की कार्रवाई जारी रही. इन दोनों होटलों के कारण उनके नीचे स्थित करीब एक दर्जन घरों को खतरा उत्पन्न हो गया था. उधर, चमोली में जिला आपदा प्र​बंधन प्राधिकरण ने बताया कि जोशीमठ के 25 और परिवारों को शुक्रवार को अस्थाई राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया. हालांकि, उन भवनों की संख्या अभी 760 ही है जिनमें दरारें आई हैं. इनमें से 147 को असुरक्षित घोषित किया गया है.

पढ़ें: Joshimath sinking: अलकनंदा भी बनी जोशीमठ भू-धंसाव की वजह, कटाव से पहाड़ पर बढ़ा खतरा!

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अब तक जोशीमठ के 90 परिवारों को 'स्थानांतरित' किया गया है. उन्होंने फिर साफ किया कि अभी किसी के मकान को तोड़ा नहीं जा रहा है और केवल आवश्यकतानुसार उन्हें खाली करवाया जा रहा है. इस संबंध में उन्होंने कहा कि जोशीमठ में सर्वेंक्षण करने वाले दल अपना काम कर रहे हैं. प्रभावितों की हर संभव मदद के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए धामी ने कहा कि प्रभावित परिवारों को डेढ़ लाख रुपये की अंतरिम सहायता दी जा रही है और गुरुवार से इसका वितरण भी शुरू कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि जोशीमठ में पुनर्वास की कार्रवाई पूरी योजना के साथ की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक आपदा है और हम उसी के अनुसार फैसले ले रहे हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वहां का जनजीवन सामान्य है और 60 प्रतिशत से ज्यादा चीजें सामान्य चल रही हैं. इस बीच, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में जोशीमठ में भूधंसाव से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए एक सप्ताह के भीतर राहत पैकेज प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजने तथा उन्हें मकान के किराए के रूप में दी जाने वाली धनराशि बढ़ाकर पांच हजार रुपये प्रतिमाह करने का निर्णय लिया गया.

पढ़ें: Joshimath Hotel Demolition: होटल मलारी इन-माउंट व्यू को गिराने का काम जारी

प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने कहा कि जोशीमठ में राज्य सरकार के संसाधनों से अल्पकालिक एवं मध्यकालिक कार्य जारी रहेंगे जिन पर होने वाले व्यय का समायोजन केंद्र से राहत पैकेज मिलने पर किए जाने को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी. प्रभावितों के लघुकालिक पुनर्वास के लिए चमोली जिला प्रशासन द्वारा कोटी फार्म, पीपलकोटी, गोचर, ग्राम गौख सेलंग तथा ग्राम ढाक में चयनित भूखंडों के क्षेत्रीय सर्वेक्षण के उपरांत वहां 'प्री-फेब्रीकेटेड' संरचनाओं के निर्माण को भी मंत्रिमंडल ने सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान कर दी.

इसके अतिरिक्त, मंत्रिमंडल ने चार अन्य प्रस्तावों पर भी अपनी सहमति दी जिनमें जोशीमठ के आपदा पीड़ित परिवारों के छह माह तक के लिए बिजली एवं पानी के बिल माफ करना, बैंकों आदि से लिए ऋण की वसूली एक साल के लिए स्थगित करना, प्रदेश के सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता का अध्ययन कराना तथा जोशीमठ आपदा से संबंधित प्रस्तावों पर शीघ्रता से निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करना शामिल है. संधु ने कहा कि अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ के नीचे कठोर चट्टान नहीं है, इसलिए वहां भूधंसाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जिन शहरों के नीचे कठोर चट्टानें हैं, वहां जमीन धंसने की समस्या नहीं होती हैं.

पढ़ें: HC on Joshimath: कोर्ट ने सभी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण और विस्फोट पर लगाई रोक

संधु ने कहा कि 1976 में भी जोशीमठ में थोड़ी जमीन धंसने की बात सामने आयी थी. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में पानी निकलने को लेकर विभिन्न संस्थान जांच में लगे हैं. संधु ने कहा कि विशेषज्ञ जोशीमठ में सभी पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं और उनकी रिपोर्ट आने के बाद यह मामला राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और उसके आधार पर ही कोई निर्णय किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थानों को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है और उन सभी की रिपोर्ट के अध्ययन के लिए एक समिति बनायी जाएगी जो अपना निष्कर्ष देगी.

उधर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा जारी उपग्रह तस्वीरों में जोशीमठ नगर के केवल 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर तक धंसने की बात सामने आने से चिंता बढ़ गई है. इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र द्वारा किए गए प्रारंभिक अध्ययन में कहा गया है कि अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ में भूधंसाव की दर धीमी रही जब वह 8.9 सेंटीमीटर नीचे धंसा. हालांकि, 27 दिसंबर 2022 से आठ जनवरी 2023 के बीच जोशीमठ में भूधंसाव की दर बढ़ गयी और केवल 12 दिनों में यह 5.4 सेंटीमीटर धंस गया.

पढ़ें: Karnaprayag Land Subsidence: कर्णप्रयाग में तुरंत मकानों को खाली करने का आदेश, नोटिस जारी

देहरादून: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा शुक्रवार को जारी उपग्रह तस्वीरों में जोशीमठ में पिछले 12 दिनों में भूधंसाव की गति​ बढ़ने की बात सामने आने से चिंता बढ़ गई है जबकि 'असुरक्षित' घोषित दो होटलों को ढहाए जाने और प्रभावित लोगों के सुरक्षित स्थानों पर जाने का सिलसिला जारी रहा. राज्य मंत्रिमंडल ने प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कई निर्णय लिए जिनमें उनके मकानों के किराए की धनराशि बढ़ाकर पांच हजार रुपये प्रतिमाह करना, उनके बिजली-पानी के बिल छह माह की अवधि के लिए माफ करना तथा बैंको से उनके ऋणों की वसूली एक साल तक स्थगित रखना शामिल है.

इस बीच, रूड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) की तकनीकी निगरानी में, दरारों के कारण ऊपरी हिस्से से एक दूसरे से खतरनाक तरीके से जुड़ गए दो होटलों- सात मंजिला 'मलारी इन' और पांच मंजिला 'माउंट व्यू' को तोड़ने की कार्रवाई जारी रही. इन दोनों होटलों के कारण उनके नीचे स्थित करीब एक दर्जन घरों को खतरा उत्पन्न हो गया था. उधर, चमोली में जिला आपदा प्र​बंधन प्राधिकरण ने बताया कि जोशीमठ के 25 और परिवारों को शुक्रवार को अस्थाई राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया. हालांकि, उन भवनों की संख्या अभी 760 ही है जिनमें दरारें आई हैं. इनमें से 147 को असुरक्षित घोषित किया गया है.

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वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अब तक जोशीमठ के 90 परिवारों को 'स्थानांतरित' किया गया है. उन्होंने फिर साफ किया कि अभी किसी के मकान को तोड़ा नहीं जा रहा है और केवल आवश्यकतानुसार उन्हें खाली करवाया जा रहा है. इस संबंध में उन्होंने कहा कि जोशीमठ में सर्वेंक्षण करने वाले दल अपना काम कर रहे हैं. प्रभावितों की हर संभव मदद के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए धामी ने कहा कि प्रभावित परिवारों को डेढ़ लाख रुपये की अंतरिम सहायता दी जा रही है और गुरुवार से इसका वितरण भी शुरू कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि जोशीमठ में पुनर्वास की कार्रवाई पूरी योजना के साथ की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक आपदा है और हम उसी के अनुसार फैसले ले रहे हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वहां का जनजीवन सामान्य है और 60 प्रतिशत से ज्यादा चीजें सामान्य चल रही हैं. इस बीच, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में जोशीमठ में भूधंसाव से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए एक सप्ताह के भीतर राहत पैकेज प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजने तथा उन्हें मकान के किराए के रूप में दी जाने वाली धनराशि बढ़ाकर पांच हजार रुपये प्रतिमाह करने का निर्णय लिया गया.

पढ़ें: Joshimath Hotel Demolition: होटल मलारी इन-माउंट व्यू को गिराने का काम जारी

प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने कहा कि जोशीमठ में राज्य सरकार के संसाधनों से अल्पकालिक एवं मध्यकालिक कार्य जारी रहेंगे जिन पर होने वाले व्यय का समायोजन केंद्र से राहत पैकेज मिलने पर किए जाने को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी. प्रभावितों के लघुकालिक पुनर्वास के लिए चमोली जिला प्रशासन द्वारा कोटी फार्म, पीपलकोटी, गोचर, ग्राम गौख सेलंग तथा ग्राम ढाक में चयनित भूखंडों के क्षेत्रीय सर्वेक्षण के उपरांत वहां 'प्री-फेब्रीकेटेड' संरचनाओं के निर्माण को भी मंत्रिमंडल ने सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान कर दी.

इसके अतिरिक्त, मंत्रिमंडल ने चार अन्य प्रस्तावों पर भी अपनी सहमति दी जिनमें जोशीमठ के आपदा पीड़ित परिवारों के छह माह तक के लिए बिजली एवं पानी के बिल माफ करना, बैंकों आदि से लिए ऋण की वसूली एक साल के लिए स्थगित करना, प्रदेश के सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता का अध्ययन कराना तथा जोशीमठ आपदा से संबंधित प्रस्तावों पर शीघ्रता से निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करना शामिल है. संधु ने कहा कि अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ के नीचे कठोर चट्टान नहीं है, इसलिए वहां भूधंसाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जिन शहरों के नीचे कठोर चट्टानें हैं, वहां जमीन धंसने की समस्या नहीं होती हैं.

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संधु ने कहा कि 1976 में भी जोशीमठ में थोड़ी जमीन धंसने की बात सामने आयी थी. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में पानी निकलने को लेकर विभिन्न संस्थान जांच में लगे हैं. संधु ने कहा कि विशेषज्ञ जोशीमठ में सभी पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं और उनकी रिपोर्ट आने के बाद यह मामला राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और उसके आधार पर ही कोई निर्णय किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थानों को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है और उन सभी की रिपोर्ट के अध्ययन के लिए एक समिति बनायी जाएगी जो अपना निष्कर्ष देगी.

उधर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा जारी उपग्रह तस्वीरों में जोशीमठ नगर के केवल 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर तक धंसने की बात सामने आने से चिंता बढ़ गई है. इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र द्वारा किए गए प्रारंभिक अध्ययन में कहा गया है कि अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ में भूधंसाव की दर धीमी रही जब वह 8.9 सेंटीमीटर नीचे धंसा. हालांकि, 27 दिसंबर 2022 से आठ जनवरी 2023 के बीच जोशीमठ में भूधंसाव की दर बढ़ गयी और केवल 12 दिनों में यह 5.4 सेंटीमीटर धंस गया.

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