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अगली पीढ़ी का खगोल विज्ञान उपग्रह विकसित करने की संभावना तलाश रहा इसरो

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगली पीढ़ी का खगोल विज्ञान उपग्रह विकसित करने की संभावना तलाश रहा है.

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Published : Sep 28, 2021, 7:19 PM IST

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगली पीढ़ी का खगोल विज्ञान उपग्रह विकसित करने की संभावना तलाश रहा है. खगोल विज्ञान के लिए समर्पित इसरो का पहला मिशन एस्ट्रोसैट 28 सितंबर, 2015 को शुरू किया गया था. मंगलवार को इसके संचालन के छह साल पूरे हो गए.

अंतरिक्ष एजेंसी में शीर्ष विज्ञान समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत ए एस किरण कुमार ने बताया, 'यह (एस्ट्रोसैट) मिशन कुछ और वर्षों तक चलने की उम्मीद है.'

कुमार इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष के रूप में मिशन टीम का नेतृत्व कर चुके हैं. उन्होंने कहा, 'हम कुछ और परिणाम आने की उम्मीद कर सकते हैं जो पथप्रदर्शक होंगे.'

इसरो द्वारा एस्ट्रोसैट -2 लॉन्च करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एस्ट्रोसैट -2 नहीं बल्कि अगली पीढ़ी का खगोल उपग्रह विकसित करने की संभावना तलाशी जा रही है. यह सबकुछ योजना पर निर्भर करता है. इस (एस्ट्रोसैट) पर अलग तरीके से काम करने पर भी विचार चल रहा है.

यह भी पढ़ें- ISRO, NOAA के नेतृत्व वाली परियोजना का संरा ने किया समर्थन

इसरो के अधिकारियों के अनुसार, एस्ट्रोसैट के डेटा का व्यापक रूप से खगोल विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के अध्ययन के लिए उपयोग किया जा रहा है.

(पीटीआई भााषा)

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगली पीढ़ी का खगोल विज्ञान उपग्रह विकसित करने की संभावना तलाश रहा है. खगोल विज्ञान के लिए समर्पित इसरो का पहला मिशन एस्ट्रोसैट 28 सितंबर, 2015 को शुरू किया गया था. मंगलवार को इसके संचालन के छह साल पूरे हो गए.

अंतरिक्ष एजेंसी में शीर्ष विज्ञान समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत ए एस किरण कुमार ने बताया, 'यह (एस्ट्रोसैट) मिशन कुछ और वर्षों तक चलने की उम्मीद है.'

कुमार इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष के रूप में मिशन टीम का नेतृत्व कर चुके हैं. उन्होंने कहा, 'हम कुछ और परिणाम आने की उम्मीद कर सकते हैं जो पथप्रदर्शक होंगे.'

इसरो द्वारा एस्ट्रोसैट -2 लॉन्च करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एस्ट्रोसैट -2 नहीं बल्कि अगली पीढ़ी का खगोल उपग्रह विकसित करने की संभावना तलाशी जा रही है. यह सबकुछ योजना पर निर्भर करता है. इस (एस्ट्रोसैट) पर अलग तरीके से काम करने पर भी विचार चल रहा है.

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इसरो के अधिकारियों के अनुसार, एस्ट्रोसैट के डेटा का व्यापक रूप से खगोल विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के अध्ययन के लिए उपयोग किया जा रहा है.

(पीटीआई भााषा)

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