बिलासपुर : कहते है जब इंसान के अंदर जीने की चाहत मजबूत हो तो उसकी कोई कमजोरी उसे मार नहीं (Iron Lady of Chhattisgarh Anita Dua ) सकती. इस कहावत को सच कर दिखाया है बिलासपुर की 62 वर्षीय महिला अनीता दुआ ने. अनीता दुआ एक कैंसर सर्वाइवर हैं. वह अब भी इस बीमारी से जंग लड़ रही हैं. लेकिन इस बीमारी का असर उनके जीवन पर कभी नहीं पड़ा. जब भी उनका इस बीमारी से सामना हुआ वो पिछली बार से ज्यादा ताकत लगाकर इससे लड़ी और परास्त किया. इस बार भी इस बीमारी ने अनीता को जकड़ रखा है. लेकिन अनीता ने भी तय कर रखा है कि वो इसे अपने जीवन में हावी नहीं होने देंगी. अनीता की सफलता और उसकी जिंदगी के जीने के प्रति सोच ही उनकी ताकत बन गई है. इसलिए वो लोगों को जीवन जीने और खुश रहने के लिए मोटिवेट कर रहीं हैं.
कौन है अनीता दुआ : बिलासपुर जिले के छोटी सी जगह मुंगेली में अनीता पैदा हुई. अनीता बड़ी होकर लोगों के लिए मिसाल बनेंगी. ये किसी ने कभी सोचा नही होगा. अनीता दुआ इस समय कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही है. अनीता को एक, दो या तीन नही बल्कि चार बार कैंसर हो चुका है. वह अब भी चौथी बार कैंसर से जूझ रही हैं.अनीता को कई बार मौत ने अपने शिकंजे में कसने की पुरजोर कोशिश की है, लेकिन हर बार वह उसे हरा कर जीवन को जिताने में कामयाब हो जा रही है. बिलासपुर के सरकंडा मुक्तिधाम चौक के पास रहने वाली 62 साल की महिला अनीता दुआ अपनी जिंदगी में बहुत करीबियों को खोने के बाद जीवन और मौत को काफी करीब से देखा है. अनीता कैंसर पीड़ितों के अलावा स्वस्थ्य लोगों के लिए एक जीती जागती मिसाल बनकर सामने आई हैं.अनीता के कई ऐसे किस्से और कामयाबी की कहानियां हैं जो अनछुए हैं. उन्होंने अपने अंदर ऐसे कई दुखों को समेटकर रखा है. शायद यही उन्हें जीने की शक्ति प्रदान करता है. अनीता को पहली बार कैंसर 1992 में हुआ था. फिर 2000 में इलाज के बाद कैंसर लौटा. इस बार वो ब्रेस्ट कैंसर से लड़ीं. ठीक सत्रह साल बाद अनीता को तीसरी बार साल 2017 में कॉलर बोन में कैंसर हुआ और एक बार फिर अनीता ने इसे हराकर जिंदगी की जंग जीती. साल 2020 में अनीता को गले के कैंसर के बारे में पता चला . एक बार फिर अनीता इससे लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. अभी भी अनीता अपना इलाज करवा रहीं हैं.
कैसा है अनीता का कैंसर के साथ संघर्ष : अनीता दुआ के पति की मौत 1997 में हो गई. उस समय तक अनीता घरेलू महिला के रूप में अपनी जिंदगी जी रही थीं. पति की मौत ने उन्हें पूरी तरह तोड़कर रख दिया था.पति की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला कोई नही था.अनीता के दो छोटे बच्चे थे. जिनमें एक लड़का और एक लड़की. इनके पालन पोषण से लेकर शिक्षा दीक्षा की जिम्मेदारी उनके सिर आ गई. ऐसे में जिम्मेदारी पूरी करने अनीता पति की जमाई हुई कलर की फैक्ट्री को आगे संचालित करने इसकी जिम्मेदारी भी अपने कंधे पर ले ली. कुछ साल तो ठीक रहा फिर बाद में बीमारी की वजह से अनीता को फैक्ट्री बंद करनी पड़ी.
अनीता के जीवन में आया एक और झटका : अनीता दुआ बताती है कि '' पति की मौत के बाद उन्हें सबसे बड़ा झटका उनके जवान बेटे की मौत से हुआ. बेटे की मौत उसके शादी के 2 साल बाद रोड एक्सीडेंट में हो गई. इससे अनीता अंदर से पूरी तरह से टूट गई थी. वह पहले ही जिंदगी की जंग लड़ रही थी. उस पर बेटे की मौत ने गहरा आघात पहुंचाया था. उन्हें लगभग 2 साल लगे बेटे की मौत से उबरने के लिए. लेकिन घर में जवान बहू होने से उनकी चिंता बनी रहती थी. बहू की जिंदगी खराब ना हो और वो अकेली ना रह जाए इसके लिए अनीता ने बहू को बेटी बनाकर उसका विवाह रचाया और मां बनकर उसकी विदाई की. बहू अब एक सुखी संसार में चली गई है और उसके दो बच्चे हैं. बहू भी अनीता से मिलने आया करती है. अनीता ने बताया कि भले ही उसका बेटा आज दुनिया में नहीं है लेकिन अनीता को इस बात की खुशी है कि उसकी बहू की जिंदगी एक बार फिर बस गई और वह अपने जीवन में खुश है.
योग गुरु के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई : अनीता दुआ इस समय अपने स्वास्थ्य के प्रति जितना सजग रहती हैं उतना ही वह दूसरों को भी सजग कर रही हैं. अनीता अपने घर में योगा की क्लास चलाती हैं. वे आस-पड़ोस के लोगों को योग सिखा रही है. अनीता ने बताया कि योग से आत्मा और शरीर दोनों ही स्वस्थ रहते हैं. स्वस्थ जीवन जीने के लिए योग की आवश्यकता को देखते हुए वे इसकी ट्रेनिंग ली और इसके बाद लोगों को भी योग की ट्रेनिंग दे रही है. उनका कहना है कि कहीं ना कहीं उनके जीवन को बचाने और शरीर को कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में योग का बहुत बड़ा योगदान है.
अनीता ने मॉडलिंग में जीते कई खिताब : अनीता जब कैंसर से लड़ रही थी तब उनके सिर के सारे बाल झड़ गए थे. इसी दौरान उनके एक सहेली ने उन्हें फोन कर कहा कि उनके कुछ दोस्त है जो बिलासपुर में मॉडलिंग शो ऑर्गनाइज कर रहे हैं. उन्हें वो मदद करे ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो. उस सहेली ने उन्हें भी मॉडलिंग करने की सलाह दी. शुरू में तो अनीता ने मना कर दिया.अनीता ने कहा कि उनके सिर में बाल नहीं है फिर वो कैसे मॉडलिंग कर सकती है. इस पर उनकी सहेली ने कहा कि तुम कैंसर पीड़ितों के लिए उनके रोल मॉडल बनो ताकि वो तुमसे इंस्पायर हो सके. सहेली की सलाह से अनीता ने 57 साल की उम्र में मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा था. तब से वो सौंदर्य प्रतियोगिताओं में 15 खिताब जीत चुकी हैं. उन्हें दिए गए कुछ खिताबों में छत्तीसगढ़ की दिवा, फेस ऑफ द ईयर, बेस्ट रैंप वॉक, बेस्ट स्माइल और इनर ब्यूटी क्राउन शामिल हैं. उन्होंने 58 बार शिविरों में रक्तदान भी किया है.
अनीता की बेटी ही उनका सहारा : अनीता दुआ की एक बेटी है जो अब वही उनके जीने का सहारा है. अनीता की बेटी निधि दुर्ग जिले में एक कोर्ट मैनेजर के पद पर है. निधि कहती है कि उनकी मम्मी के जीने की चाह ही उन्हें इतनी हिम्मत देती हैं और यही हिम्मत उन्हें जिंदगी जीने के लिए मजबूत करता है. वह सोचती है कई बार कि उनकी मम्मी इतनी हिम्मत कहां से लाती है. जिंदगी में मम्मी को इतने दुख मिले हैं, पहले पापा की मौत फिर भाई की मौत आखिर इतनी हिम्मत उनमें आती कहां से है. कई बार तो वह सोचती है कि मम्मी जिंदगी और मौत की जंग में हमेशा ही जीती है, और यही जीतना उन्हें उनकी जिंदगी को मनोबल प्रदान करता है. निधि बताती है कि ''मम्मी उनकी हर बार मौत को चकमा देकर वापस आ जाती हैं.उन्होंने एक फिल्म के डायलॉग की तरह अपने मम्मी को कहा कि वह भी मौत को टक से छूकर वापस आ जाती (Anita Dua has defeated cancer every time) है.''