कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में उहापोह की स्थिति बनी है. वहीं, नंदीग्राम में ममता बनर्जी की चोट को लेकर भी सियासत गर्माई है, लेकिन चुनाव आयोग ने सख्त कार्रवाई करते हुए जिले के डीएम और एसपी को फौरन हटा दिया. बात अगर कोलकाता पुलिस आयुक्त की करें तो जब से राजीव कुमार ने यह पद संभाला है तो हालात कुछ अलग हैं. इनके कार्यभार संभालने के बाद से ही पुलिस विभाग को सीएम ममता बनर्जी के साथ तालमेल बैठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
वहीं, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर आयोग और राज्य सरकार में भी ठन गई है. तृणमूल सरकार को ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग की सभी कार्रवाई अब उनके खिलाफ हो रही हैं.
नंदीग्राम हादसे के बाद साफ-सुथरी छवि वाले आईपीएस अधिकारी विवेक सहाय को, जो मुख्यमंत्री की सुरक्षा के प्रभारी थे, लापरवाही बरतने के आरोप के चलते और चुनाव आयोग के आदेश के बाद निलंबित कर दिया गया. इनकी जगह अतिरिक्त महानिदेशक (सशस्त्र पुलिस) ज्ञानवंत सिंह की तैनाती की गई है. इस कार्रवाई के बाद राज्य सचिवालय के गलियारों में सवाल उठ रहै हैं कि क्या सहाय और पूरे पुलिस विभाग को ममता बनर्जी के साथ तीखे संबंध के चलते कीमत चुकानी पड़ी.
वास्तव में नंदीग्राम में उस दिन क्या हुआ यह स्पष्ट होना अभी बाकी है. बता दें, नंदीग्राम में मौजूद चश्मदीदों और बयानों के बाद राज्य प्रशासन ने बताया कि अत्यधिक भीड़ के चलते यह हादसा हुआ. ऐसा राज्य के मुख्य सचिव अलपन बानोपाध्याय की रिपोर्ट में कहा गया है. मुख्य सचिव से रिपोर्ट प्राप्त करने के तुरंत बाद चुनाव आयोग सक्रिय हो गया और मुख्यमंत्री की सुरक्षा के प्रभारी अधिकारियों को दंडित किया.
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1988 बैच के एक IPS विवेक सहाय की स्वच्छ छवि है. सहयोगियों और अधीनस्थों के साथ उनके संबंध भी काफी सौहार्दपूर्ण हैं. उन्होंने पहले भी महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है. हालांकि कोई भी इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन अंदरखाने से पता चला है कि मुख्यमंत्री के साथ पुलिस विभाग के तीखे संबंध के चलते विवेक सहाय बलि का बकरा बन गए.